दिल्ली सरकार का शराब पर नया फरमान जारी
किसी भी राज्य के विकास के लिये टैक्स महत्वपूर्ण होता है. टैक्स के रूप में सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने का जरिया शराब होती है. दिल्ली सरकार ने भी अपने मुनाफे को बढ़ाने के लिये कमर कस लिया है.
दिल्ली की केजरीवाल सरकार शराब पर टैक्स लगाने की नई आबकारी नीति लाने जा रही है, जिस पर पहले ही सवाल उठने लगे हैं. आलोचकों का कहना है कि इससे छोटी कंपनियां दिल्ली के कारोबार से बाहर हो जाएंगी और बहुराष्ट्रीय कंपनियां हावी हो जाएंगी. साथ ही, कम कीमत वाली व्हिस्की, रम की बिक्री बंद हो जाएगी.
एक कमिटी द्वारा प्रस्तावित इस नीति पर अभी सभी पक्षों की राय ली जा रही है. असल में दिल्ली सरकार ने शराब की बिक्री से राज्य का राजस्व 50 फीसदी बढ़ाकर 5,000 करोड़ रुपये से 7,651करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है.
एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने के लिए गठित कमिटी ने सुझाव दिया है कि दिल्ली में 140 रुपये तक की व्हिस्की और रम की बिक्री बंद कर दी जाए, यानी यहां सिर्फ महंगी कीमत वाले ब्रांड के ही शराब बेचे जाएं.
अभी दिल्ली में बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाली किसी कंपनी के लिए यह शर्त होती है कि दिल्ली सहित देश भर में पिछले दो साल में उसके किसी ब्रैंड की बिक्री का कम से कम 60 हजार केस होना चाहिए. लेकिन अब प्रस्तावित नीति में इस शर्त को बढ़ाकर दिल्ली के बाहर किसी ब्रैंड का कम से कम 10 लाख केस कर दिया गया है.
यही नहीं, शर्त यह भी है कि ऐसे ब्रैंड का कम से कम एक लाख केस ऐसे पांच राज्यों में बिकना चाहिए, जिनकी कुल शराब बिक्री पिछले साल में दिल्ली से ज्यादा रही हो.
140 रुपये से कम वाले व्हिस्की, रम की बिक्री बंद हो.
शराब खरीदार की लीगल उम्र 25 से घटाकर 21 की जाए.
लाइसेंस फीस 8 लाख से बढ़ाकर 75 लाख किया जाए.
सिर्फ ज्यादा बिक्री वाले बड़े ब्रैंड को बिक्री की इजाजत हो.
अमूमन दिल्ली में दारू अन्य राज्यों के मुकाबले कम दाम में उपलब्ध हो जाता है. दिल्ली एनसीआर के लोग शराब की खेप लेने दिल्ली की ओर जाते हैं, ऐसे में अब उनका भी जेब ढीला होगा.
छोटे एवं मध्यम शराब उत्पादकों का कहना है कि यह शर्त उन्हें कारोबार से बाहर कर देगी और दिल्ली में सिर्फ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के शराब बिक पाएंगे. यही नहीं, इससे शराब भी महंगी हो जाएगी, क्योंकि कम दाम पर बेचने वाले छोटे एवं मझोले उत्पादक यहां बेच ही नहीं पाएंगे.
140 रुपये से कम की व्हिस्की और रम ब्रैंड की बिक्री बंद करने के पीछे तर्क है कि दिल्ली में गुणवत्तापूर्ण उत्पाद उपलब्ध कराए जाएं.

