आईये, जानते हैं डिप्रेशन क्या है? इससे कैसे बचा जा सकता है?

आईये, जानते हैं डिप्रेशन क्या है? इससे कैसे बचा जा सकता है?

आजकल की जीवनशैली काफी ज़्यादा भागमभाग और तनावपूर्ण है और पूरी तरह व्यस्तताओं से भरी हुई है. ऐसे में मनुष्य के पास खुद के लिए भी समय नहीं है. जिस कारण से दिन प्रतिदिन मनुष्य डिप्रेशन यानि कि अवसाद का शिकार हो रहा है. डिप्रेशन के शिकार मनुष्य के आंकड़े बहुत अधिक है. लेकिन इस ऒर कोई भी ध्यान नहीं देता है, खासतौर पर भारत में. लेकिन इस समस्या को समझना बहुत जरुरी हो गया है.

आज हम डिप्रेशन के बारे में जानेंगे. आइये जानते हैं कि डिप्रेशन क्या होता है, इसके लक्षण क्या है और इसे कैसे कम किया जा सकता है?

डिप्रेशन :

हर कोई कभी-कभी उदास या नकारात्मक महसूस करता है, लेकिन ये भावनाएं आमतौर पर थोड़े समय के लिए ही होती हैं. डिप्रेशन अथवा अवसाद – जिसे  “नैदानिक अवसाद”(clinical depression) या “अवसादग्रस्तता विकार” (depressive disorder) भी कहा जाता है.यह एक ऐसी मनोदशा विकार है, जोकि एक गंभीर बीमारी है और मनुष्य को भावनात्मक रूप से नकारात्मक महसूस कराती है. मनुष्य के सोचने के तरीके और उसके कार्य करने के तरीके को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है.

संकेत और लक्षण:

1 उदास महसूस करना

2 निराशा या निराशावाद की भावनाएँ

3 अपराधबोध, व्यर्थता (बेकार) या लाचारी की भावना आना

4 शौक और रूचि लेने वाली गतिविधियों में कमी आना

5 ऊर्जा में कमी, थकान, या धीमापन आना

6 ध्यान केंद्रित करने, याद रखने या निर्णय लेने में कठिनाई

7 भूख में बदलाव

8 बहुत ज़्यादा या बहुत कम सोना

9 आत्महत्या का बार बार विचार आना

10 कार्य-क्षमता में कमी आना

11 अचानक से वज़न कम होना या बढ़ना

12 बेचैनी या चिड़चिड़ापन या बार बार मनोदशा (मूड) में बदलाव आना

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (Disease Control and Prevention Centre) के अनुसार, महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अवसाद (डिप्रेशन) लगभग दोगुना है।

आमतौर पर महिलाओं में पाए जाने वाले लक्षण :

1 चिड़चिड़ापन

2 ज्यादा चिंतित रहना

3 बार बार मूड का बदलना

4 ज़्यादा थकान महसूस करना

5 दर्द, ऐंठन या पाचन सम्बन्धित समस्याएँ

डिप्रेशन से ग्रस्त पुरुषों में महिलाओं की तुलना में अधिक मात्रा में शराब पीना, मारपीट करना, गुस्सा करना, और ज़्यादा जोखिम भरे कार्य करना आदि शामिल है.

पुरुषों में डिप्रेशन के पाए जाने वाले अन्य लक्षण :

1 परिवारों और सामाजिक स्थितियों से बचना

2 बिना ब्रेक के काम करना

3 काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने में कठिनाई होना

4 रिश्ते में अपमानजनक व्यवहार करना या रिश्ते को अपने हिसाब से चलाना

डिप्रेशन अलग अलग आयु के अलग चरणों पर भी निर्भर करता है, जैसे कि  

बाल्य अवस्था

किशोर अवस्था

प्रौढ़  अवस्था

वृद्ध अवस्था

इलाज:

दवाएं:

डिप्रेशन के उपचार के लिए एंटीडिप्रेसेंट्स (antidepressants) नामक दवाई का इस्तेमाल किया जाता है. एंटीडिप्रेसेंट पहले सप्ताह और दूसरे सप्ताह के भीतर ही कुछ सुधार पैदा कर देती है. लेकिन अब तक पूर्ण रूप से सुधार के लिए इसका अधिक उपयोग नहीं देखा गया है. यदि किसी मरीज को कई हफ्तों के बाद बहुत कम या कोई सुधार महसूस नहीं होता है, तो उसके मनोचिकित्सक दवा की ख़ुराक को बदल सकते हैं या किसी अन्य एंटीडिप्रेसेंट को जोड़ या बदल सकते हैं.कुछ स्थितियों में अन्य साइकोट्रोपिक दवाएं मददगार हो सकती हैं. अपने चिकित्सक को यह बताना महत्वपूर्ण है कि कोई ख़ास दवा काम नहीं करती है या आप दुष्प्रभावों का अनुभव करते हैं.

मनोचिकित्सा ( Psychotherapy )

साइकोथेरेपी (मनोचिकित्सा) को टॉक थेरेपी  (talk therapy) भी  कहते हैं. मनोचिकित्सा सोचने और व्यवहार करने के नए तरीकों को सीखने में मदद करता है, और ऐसी आदतों को अपनाने में सहायता करता है जिससे कि डिप्रेशन के असर को कम किया जा सके. मनोचिकित्सा या टॉक थेरेपी के अंतर्गत आने वाली थेरेपी है-

पारस्परिक मनोचिकित्सा (interpersonal psychotherapy),

संज्ञानात्मक-व्यवहार चिकित्सा [(Cognitive-Behavioral Therapy) CBT].

1 पारस्परिक मनोचिकित्सा (interpersonal psychotherapy):

पारस्परिक चिकित्सा का उद्देश्य निम्नलिखित बातों को पहचानने में मदद करना है:

1 लोगों की भावनात्मक समस्याएँ, जिससे उनके रिश्ते और बात करने के तरीके प्रभावित होते हैं.

2 समस्याएं कैसे उनके मूड को प्रभावित करते हैं.

3 और यह सब कैसे बदला जा सकता है.

2 संज्ञानात्मकव्यवहार चिकित्सा [(Cognitive-Behavioral Therapy) CBT]):

संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) एक प्रकार का क्लीनिकल ट्रीटमेंट है,जो लोगों को विनाशकारी या परेशान करने वाले विचारों को पहचानने और उसे बदलने में मदद करता है, जो व्यवहार और भावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.

व्यायाम

एरोबिक व्यायाम एंडोर्फिन के स्तर को बढ़ाता है और न्यूरोट्रांसमीटर नोरपाइनफ्राइन को उत्तेजित करता है, जो मूड से जुड़ा होता है. यह हल्के डिप्रेशन से राहत देने में मदद कर सकता है.

अगर आप डिप्रेस्ड हैं, तो क्या करें

 1 एक्टिव रहें और व्यायाम करने की कोशिश करें

2 अपने खुद के रोजमर्रा के कामों को निर्धारित करें और अपने कामों को प्राथमिकता दें.

3 अन्य लोगों के साथ समय बिताएं और एक विश्वसनीय दोस्त या रिश्तेदार में विश्वास करें

4  जब तक आप बेहतर महसूस नहीं करते हैं, तब तक महत्वपूर्ण जीवन के फैसले स्थगित करें और दूसरों के साथ उन फैसलों पर चर्चा करें, जो आपको अच्छी तरह से जानते हैं.

5 शराब और ड्रग्स से बचे इनका सेवन ना करें और अपने आपसे किसी भी दवाई का सेवन ना करें

अगर आपका कोई प्रियजन डिप्रेशन में है, तो क्या करें

1 उसे समझें,उसे अपना समर्थन दें और ध्यान से उसकी बात सुनें

2 प्रियजन की आत्महत्या की बात को कभी भी अनदेखा ना करें और उसके डॉक्टर या थेरपिस्ट को इस बारे में अवगत कराएं

3 उसे सैर पर अपने साथ ले जाएं और दूसरी रोचक गतिविधियों में उसे शामिल करें

4 उसे इस बात का भरोसा दिलाएं कि उपचार की मदद से और समय के साथ वो डिप्रेशन से बाहर आ जायेगा

5 उसे कभी भी मानसिक तौर पर अकेले होने का एहसास न होने दें

Akhilesh Namdeo