मेडिटेशन: क्यों, कब और कैसे ?

ध्यान यानि मैडिटेशन एक अभ्यास है जहां एक व्यक्ति एक तकनीक का उपयोग करता है-जैसे कि माइंडफुलनेस, या किसी विशेष वस्तु, विचार या गति-विधि पर ध्यान केंद्रित करना. ध्यान और जागरूकता को प्रशिक्षित करने के लिए मैडिटेशन अत्यंत आवश्यक है. मेडिटेशन करने के लिए हमें अपने मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखने की जरूरत होती है. मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए हमें नियमित योगासन और मेडिटेशन करने की जरूरत है.
आज हर मानव मानसिक व शारीरिक समस्याओं से जूझ रहा है. जिसके कारण वह गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो रहा हैं. अगर ऐसे ही चलता रहा तो मानव समाज के लिए आने वाला भविष्य बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है. हमारी दिनचर्या में हमारे मस्तिष्क की अहम भूमिका होती है. हमारा सोचना, महसूस करना, कोई कार्य करना इत्यादि हमारे मस्तिष्क से जुड़े हुए है. विज्ञान के मुताबिक हमारा मस्तिष्क लगभग 2 किलोग्राम का होता है. विज्ञान के विशेषज्ञ बताते हैं- मानव अपने जीवन काल में अपने मस्तिष्क का मात्र 8 प्रतिशत भाग उपयोग कर पाता है. जबकि 92 प्रतिशत हिस्सा निष्क्रिय अवस्था में पड़ा रहता है.
जिस तरह हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए स्वस्थ भोजन ग्रहण करते है, ठीक उसी प्रकार हमें अपने मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए आराम की जरूरत होती है. हमें अपने मस्तिष्क को योग व मेडिटेशन से भरपूर आराम दे सकते है. तो आईये हम मैडिटेशन के बारे में कुछ रोचक बाते जानते हैं. मैडिटेशन क्या है, कैसे किया जाता है, और इसके क्या क्या लाभ हैं इत्यादि ?
शुरुआत करने के लिए कुछ बेसिक मैडिटेशन:
(1) श्वास का ध्यान
यह सबसे प्राचीन और शक्तिशाली तकनीक है और अच्छी तकनीकों में से एक है यदि आप अपने श्वास का ध्यान की शुरुआत कर रहे हैं. तो आपको अपनी सांस पर ध्यान देना होगा इस तकनीक को शुरू करने के लिए, खुद को एक आरामदायक स्थिति में लाए, फिर अपनी आँखें बंद करें और धीरे–धीरे श्वास का निरीक्षण करना शुरु करें और ध्यान दें कि आप कैसा महसूस करते है और आप अंदर और बाहर सांस लेते ठीक से ले रहे हैं कि नहीं यदि आपका मन भटकना शुरू होता हैं तो मतलब है की आप ये क्रिया ठीक से नहीं कर रहें हैं. आप अपने ध्यान को फिर से केन्द्रित करें और वापिस अपना ध्यान अपनी श्वास पर वापस लाएं.
(2) माइंडफुलनेस मेडिटेशन
माइंडफुलनेस मेडिटेशन में आप अपने शरीर की संवेदनाओं पर ध्यान देकर पल में पूरी तरह से उपस्थित हो जाते हैं. अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करके अभ्यास शुरू करें, फिर अपने आप को अपने पूरे शरीर में चल रही अन्य संवेदनाओं से अवगत होने दें. आप अनुभव का विश्लेषण या निर्णय नहीं करना चाहते हैं, आप बस निरीक्षण करना चाहते हैं.
(3) मंत्र का ध्यान
“ओम्” या एक सार्थक वाक्यांश जैसे पवित्र शब्द को दोहराकर आप अपने मन को शांति की स्थिति में ला सकते हैं. इस तकनीक के साथ आप या तो मंत्र को तीव्र आवाज़ में दोहरा सकते हैं या चुपचाप इसे अपने मन में उच्चारण कर सकते हैं. जब आप जगह का चुनाव कर लें तो सहज कपड़े पहनकर मेडिटेशन के अभ्यास के लिए तैयार हों. किसी चटाई या जमीन पर पालथी लगाकर बैठ जाएं. हाथों को घुटनों पर रखें, हथेलियां नीचे की ओर हों या फिर दोनों हाथों को एक–दूसरे के ऊपर रख कर अपनी नाभि के सामने रखें. इस समय आप भगवान बौद्ध की मुद्रा में होंगे. अब आंखें बंद कर लें और किसी भी चीज़ पर अपना ध्यान फोकस करें. यह कोई वस्तु, भगवान का मुख या कोई अन्य चीज़ हो सकती है.
अब आप जिस भी मंत्र को पसंद करते हैं, या जो मंत्र आपके याद है या जिसमें आप आस्था रखते हैं उसका उच्चारण करें. आप चाहें तो ध्वनि के साथ या फिर मन में ही इसे दोहरा सकते हैं. मेडिटेशन करने के लिए आप मंत्र की जगह कोई भी शब्द, शब्दों का समूह या वाक्य को दोहरा सकते हैं जो कि आपको शांति देता हो या प्रेरित करता है. मंत्र के जाप के साथ–साथ गहरी सांस लेते रहें और छोड़ते रहें. इस दौरान अपनी सांसों पर ध्यान दें और फोकस हटने ना दें. जितनी देर आप सहज हों, उतनी देर इसका अभ्यास करें. धीरे–धीरे आप समय बढ़ा सकते हैं.
(4) चलने का ध्यान
यदि आपको नहीं लगता कि आप एक विस्तारित अवधि के लिए स्थिर बैठ सकते हैं तो आप चलने की ध्यान तकनीक का प्रयास कर सकते हैं. यह कहीं भी किया जा सकता है. आपको बस अपने शरीर पर ध्यान केंद्रित करना होगा क्योंकि यह चलता रहता है. इस बात पर ध्यान दें कि आपकी भुजाएँ कैसे झूलती हैं. आपके पैर कैसे उठे और बढ़े हैं. और आपके पैर कैसे उठते हैं और वापस जमीन पर स्पर्श करते हैं. यदि आपका मन भटकने लगता है तो अपना ध्यान अपने शरीर की गति पर वापस जाएं. इससे आपका ध्यान एक जगह केंद्रित होने लग जाएगा और आपको एकाग्रता बढ़ाने में फायदा मिलेगा.
(5) खाली दिमाग का ध्यान
खाली दिमाग का ध्यान आपको एक विशिष्ट ध्यान केंद्रित किए बिना जागरूक होने की अनुमति देता है. इस तकनीक का अभ्यास करने के लिए एक आरामदायक जगह पर चुपचाप बैठें. अपनी आँखें बंद करें और अपने विचारों को अपने दिमाग में स्वतंत्र रूप से तैरने दें. प्रत्येक विचार को ध्यान से देखें क्योंकि वे आपके मन में बिना किसी लगाव या निर्णय के प्रवेश करते हैं.
(6) त्राटक ध्यान
त्राटक जिसे केंद्रित ध्यान भी कहते हैं. इसमें पांचों इंद्रियों में से किसी भी एक का उपयोग करते हुए एकाग्रता लाने की कोशिश की जाती है. इस प्रक्रिया को करते समय दिये की लौ, मोमबत्ती या फिर लैंप के फोकस पॉइंट पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. इसे करने से दृश्य इंद्रिय पर विशेष प्रभाव पड़ता है. इस तरह से ध्यान लगाने से एकाग्रता की क्षमता बढ़ती है.
मेडिटेशन करने के लिए ध्यान कैसे करें :
स्टेप 1 – आपको एक शांत स्थान की जरूरत होती है. इसलिए मेडिटेशन करने के लिए एक अच्छा शांत स्थान चुनें.
स्टेप 2 – सही स्थान की तरह ही सही समय भी चुनना बहुत ज़रूरी होता है. ज्यादातर लोग सुबह–सुबह मेडिटेशन करते हैं. आप चाहें तो दिन के किसी और समय भी मेडिटेशन कर सकते हैं.
स्टेप 3 – मेडिटेशन करने के लिए पहले 30 सेकेंड तक अपने शरीर को स्ट्रेच करें. स्ट्रेच करने से पूरा शरीर एक सही दशा में आ जाता है.
स्टेप 4 – चौकड़ी लगाकर कमर सीधी करके बैठना मेडिटेशन करने के लिए सही अवस्था मानी जाती है. इससे आपके फोकस करने की और श्वसन की प्रणाली क्षमता आसानी से बढ़ती है. अपनी कमर को सीधा रखें. सीने को चौड़ा रखें और आलथी–पालथी लगाकर बैठें. अपना सिर सीधा रखें और आंखें बंद कर लें.
स्टेप 5 – किसी भी तरह के मेडिटेशन के लिए ब्रीदिंग अत्यंत आवश्यक है. धीरे– धीरे सांस लें और छोड़ें और अपनी श्वसन क्रिया पर फोकस करें यानि ध्यान लगाएं. हर गहरी सांस पर गिनती करें और इस क्रिया को दोहराएं. अपनी श्वास पर अपना ध्यान केंद्रित करें. उसकी गति या तीव्रता को घटाएं या बढ़ाएं नहीं.
स्टेप 6 – मेडिटेशन के दौरान दिमाग में आलतू– फालतू विचारों को न आने दें. खुद को एकाग्र करने के लिए उल्टी गिनती गिनें और ध्यान में फोकस करें.
स्टेप 7 – याद रखें, ध्यान से बाहर निकलते समय एकदम से अपनी आंखें न खोलें. खुद को धीरे– धीरे फोकस पॉइंट से दूर करें. रिलैक्स रहें और श्वास धीरे– धीरे लें और छोड़ें और धीरे– धीरे ही अपनी आंखें भी खोलें.
सावधानी : ध्यान किसी स्वच्छ और शांत वातावरण में करें. ध्यान करते वक्त सोना मना है. ध्यान करते वक्त सोचना बहुत होता है. लेकिन यह सोचने पर कि ‘मैं क्यों सोच रहा हूँ‘ कुछ देर के लिए सोच रुक जाती है. सिर्फ श्वास पर ही ध्यान दें और संकल्प कर लें कि 20 मिनट के लिए मैं अपने दिमाग को शून्य कर देना चाहिए.
ध्यान के लाभ : जो व्यक्ति ध्यान करना शुरू करते हैं. वह शांत होने लगते हैं. यह शांति ही मन और शरीर को मजबूती प्रदान करती है. ध्यान आपके विचारों के बादल को हटाकर शुद्ध रूप से आपको वर्तमान में खड़ा कर देता है. ध्यान से ब्लडप्रेशर, घबराहट, हार्टअटैक जैसी बीमारियों पर कंट्रोल किया जा सकता है. ध्यान से सभी तरह के मानसिक रोग, टेंशन और डिप्रेशन दूर होते हैं. ध्यान से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता हैं. स्मृति दोष में लाभ मिलता है. तेज और एकाग्र दिमाग के लिए ध्यान करना एक उत्तम और कारगर उपाय है. ध्यान से आँखों को राहत मिलती है जिससे उसकी देखने की क्षमता का विकास होता है.
