देश का रक्षा बजट कुछ फीका रहा

देश का रक्षा बजट कुछ फीका रहा

किसी भी देश की सुरक्षा का प्रबंध करना देश के मुखिया का परम् कर्तव्य होता है. सभी जानते हैं कि आज के समय कोई भी देश एक दूसरे से युद्ध करके उलझना नहीं चाहेगा. खास करके दो परमाणु संपन्न देश तो कभी नहीं उलझना चाहेंगे. युद्ध तो महज शुरुआत होती है, उसके दुष्परिणामों से किसी भी देश को उभरने में कई दशक बीत जाते हैं, फिर भी पूर्ण रूप से उभर नहीं पाता है. लेकिन दुश्मन को अपनी शक्ति, अपनी ताकत दिखाना पड़ता है, उसके लिये युद्धस्तर की तैयारियों की एक रुपरेखा दुश्मन देश के सामने प्रदर्शित करना पड़ता है. शक्ति दिखाने का सबसे सरल और व्यापक उपाय होता है, अपने सैन्य हथियारों के जखीरे में हर समय कुछ नयी मिसाइलें, नये हथियार अपनी सेना को उपलब्ध कराना.

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ बीते नौ महीने से जारी सैन्य गतिरोध को देखते हुए रक्षा बजट में अपेक्षाकृत अधिक बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही थी, मगर खजाने की चुनौतियों ने वित्त मंत्री को हाथ बांधने पर बाध्य कर दिया। शायद यह भी एक वजह रही कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में रक्षा क्षेत्र के बजट आवंटन से जुड़े प्रविधानों का उल्लेख नहीं किया. जबकि अमूमन रक्षा बजट के बारे में घोषणाएं वित्त मंत्री के भाषण का महत्वपूर्ण हिस्सा होती रही हैं.

रक्षा बजट में बड़े इजाफे के लिए राजस्व जुटाने की चुनौतियों ने ज्यादा गुंजाइश नहीं दी. खजाने की सेहत के हिसाब से सरकार ने रक्षा बजट का आवंटन पिछले बजट के 4.71 लाख करोड़ के मुकाबले 4.78 लाख करोड़ किया है. हालांकि सेनाओं के पेंशन व्यय में इस साल आई कमी का फायदा उठाते हुए सरकार ने तीनों सेनाओं के लिए पूंजीगत आवंटन में पिछले बजट के मुकाबले करीब 19 फीसद की बढ़ोतरी की है.

बजट दस्तावेजों के हिसाब से वर्ष 2021-22 के लिए आवंटित कुल रक्षा बजट में करीब 1.16 लाख करोड़ रुपये पेंशन मद पर खर्च होंगे। पिछले बजट में सेना के पेंशन मद का व्यय करीब 1.33 करोड़ रुपये था और अगले वित्त वर्ष में यह 17,000 करोड़ रुपये कम रहेगा. इस हिसाब से आवंटन में 3.62 लाख करोड़ रुपये तीनों सेनाओं के लिए हैं, जो पिछले बजट के 3.37 करोड़ रुपये की तुलना में करीब 7.4 फीसद अधिक है.

सेनाओं के लिए हथियार और रक्षा सामग्री जुटाने पर होंगे, 1.35 लाख करोड़ रुपये

रक्षा बजट के इस आवंटन में सेनाओं के लिए हथियार और रक्षा सामग्री जुटाने पर होने वाले पूंजीगत खर्च में ज्यादा इजाफा हो, इसका कुछ हद तक प्रबंध किया गया है. पिछले बजट में सैन्य जरूरतों और हथियारों की खरीद के लिए 1.14 लाख करोड़ रुपये का बजटीय प्रविधान था, जो नए बजट में 1.35 लाख करोड़ रुपये रखा गया है.

सेनाओं के पूंजीगत खर्च में 19 फीसदी का इजाफा

सेनाओं के पूंजीगत खर्च में करीब 19 फीसदी का यह इजाफा मौजूद समय की जरूरत को देखते हुए अहम्  है। रूस से एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के अलावा मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए खरीदे जाने वाले दूसरे आधुनिक हथियार से लेकर लड़ाकू विमानों की खरीद का खर्च इसी पूंजीगत आवंटन से ही होना है. चीन के साथ पाकिस्तान की दोहरे मोर्चे की जंग के लिए सेनाओं को तैयार करने की जरूरत को देखते हुए रक्षा विशेषज्ञ भी लगातार पूंजीगत खर्च को बढ़ाए जाने की वकालत कर रहे हैं.

राजनाथ ने कहा- 15 साल में रक्षा क्षेत्र के पूंजीगत व्यय के लिए किया गया सबसे बड़ा आवंटन

इस इजाफे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पिछले 15 साल में रक्षा क्षेत्र के पूंजीगत व्यय के लिए किया गया यह सबसे बड़ा आवंटन है. निजी क्षेत्र के सहयोग से देश में 100 सैनिक स्कूल खोलने के वित्त मंत्री के ऐलान  पर भी रक्षा मंत्री ने प्रसन्नता जताई.

Akhilesh Namdeo