कृषि कानून की तारीफ़ करने वाली गीता गोपीनाथ कौन है
किसान बिल को लेकर, किसान अर्थशास्त्री कृषि जानकर आम जनता विपक्ष सभी का अपना अपना मत है, कोई इस बिल की तारीफ कर रहा तो कोई सरकार के ऊपर बिल को लेकर हमेशा सवाल कर रहा है, आप सभी जानते है, कृषि बिल को लेकर जिस तरह से आंदोलन हो रहा था. और उसके बाद जिस तरह से देश की राजधानी में उपद्रव आगजनी हंगामा हुआ, जिससे देश की गरिमा मर्यादा पे आँच आयी. क्या हुआ क्यों हुआ कैसे हुआ आज सभी प्रश्न शासन और प्रशासन के लिये सर दर्द बने है. इस सभी अनसुलझी गुत्थियों के बीच जो राहत भरी खबर है, वह है आईएमएफ़ प्रमुख अर्थशास्त्री का किसान बिल को लेकर जो प्रतिक्रिया आयी है. वो सरकार के लिये राहत भरी है.
कृषि कानून की तारीफ़
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने मोदी सरकार के विवादित कृषि क़ानूनों की तारीफ़ की है. ऐसे में गीता गोपीनाथ के इस ताज़ा बयान पर भी मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. गीता गोपीनाथ अपने ताज़ा बयानों की वजह से सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी रहीं.
गीता गोपीनाथ के मुताबिक़, केंद्र सरकार की ओर से लाए गए क़ानूनों में किसानों की आय बढ़ाने की क्षमता है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि कमज़ोर किसानों को सामाजिक सुरक्षा देने की ज़रूरत है.
वॉशिंगटन स्थित इस वैश्विक वित्तीय संस्थान से जुड़ीं गीता गोपीनाथ ने मंगलवार को कहा कि ‘भारत में ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहाँ सुधार की ज़रूरत है और कृषि क्षेत्र उनमें से एक है.’
भारत सरकार ने पिछले साल सितंबर में कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन नए क़ानूनों को लागू किया था और इन्हें ‘कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों’ के रूप में पेश किया गया.
लेकिन किसान इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं. कई राज्यों के किसान इनके ख़िलाफ़ प्रदर्शनों में शामिल हुए हैं. वो चाहते हैं कि तीनों क़ानून वापस लिए जाएं. किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत का भी अब तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया और अब गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद स्थिति ने एक नया मोड़ ले लिया है.
कौन हैं गीता गोपीनाथ?
अक्टूबर 2018 में गीता को आईएमएफ़ का प्रमुख अर्थशास्त्री नियुक्त किया गया था.
भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल स्टडीज़ ऑफ़ इकोनॉमिक्स में प्रोफ़ेसर रही हैं. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के अनुसार, आईएमएफ़ के साथ काम करने के लिए उन्होंने अध्यापन-कार्य से फ़िलहाल छुट्टी ली हुई है.
गीता ने इंटरनेशनल फ़ाइनेंस और मैक्रो-इकोनॉमिक्स में रिसर्च की है.

आईएमएफ़ में इस पद पर पहुँचने वाली गीता दूसरी भारतीय हैं. उनसे पहले भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी आईएमएफ़ में प्रमुख अर्थशास्त्री रह चुके हैं.
साल 2017 में केरल सरकार ने गीता को राज्य का वित्तीय सलाहकार नियुक्त किया था. गीता का जन्म केरल में ही हुआ था.
लेकिन जब केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने गीता की नियुक्ति की थी तो उस समय उन्हीं की पार्टी के कुछ लोग नाराज़ भी हुए थे.
गीता अमेरिकन इकोनॉमिक्स रिव्यू की सह-संपादक और नेशनल ब्यूरो ऑफ़ इकोनॉमिक रिसर्च (एनबीइआर) में इंटरनेशनल फ़ाइनेंस एंड मैक्रो-इकोनॉमिक्स की सह-निदेशक भी रही हैं.
गीता ने व्यापार और निवेश, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट, मुद्रा नीतियों, कर्ज़ और उभरते बाज़ार की समस्याओं पर लगभग 40 रिसर्च लेख लिखे हैं.
गीता ने ग्रेजुएशन तक की शिक्षा भारत में पूरी की. गीता ने साल 1992 में दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से अर्थशास्त्र में ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की.
इसके बाद उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में ही मास्टर डिग्री पूरी की.
साल 1994 में गीता वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी चली गईं. साल 1996 से 2001 तक उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी पूरी की थी.
साल 2001 से 2005 तक गीता शिकागो यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर थीं.

इसके बाद साल 2005 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई.
साल 2010 में गीता इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर बनीं और फिर 2015 में वे इंटरनेशनल स्टडीज़ एंड इकोनॉमिक्स की प्रोफ़ेसर बन गईं.
जब अमिताभ बच्चन ने की गीता पर टिप्पणी
“इतना ख़ूबसूरत चेहरा इनका, इकॉनमी के साथ कोई जोड़ ही नहीं सकता…”
अभिनेता अमिताभ बच्चन ने कुछ दिन पहले ही गीता गोपीनाथ के बारे में यह टिप्पणी की थी.
उन्होंने एक महिला प्रतिभागी से गीता गोपीनाथ के बारे में सवाल पूछते समय यह टिप्पणी की थी.
Ok, I don't think I will ever get over this. As a HUGE fan of Big B @SrBachchan, the Greatest of All Time, this is special! pic.twitter.com/bXAeijceHE
— Gita Gopinath (@GitaGopinath) January 22, 2021

