उत्तराखंड में आई भयानक तबाही

उत्तराखंड में आई भयानक तबाही

प्रकृति समय-समय पर अपना भयावह रूप दिखा ही देती है, उत्तराखंड से बेहद भयावह खबर आ रही है. प्रारंभिक जानकारी के आधार पर, उत्तराखंड राज्य में स्थित ऋषिगंगा नदी के पास ग्‍लेशियर टूटने से भीषण हिमस्खलन हुआ है. इस हिमस्खलन से भीषण तबाही की आशंका व्यक्त की जा रही है.

टूटे हुए ग्‍लेशियर की बर्फ अब पिघलकर धौलीगंगा नदी में बह रही है जिससे नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में भीषण जान-माल के नुकसान की आशंका है. मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने पूरे राज्य में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है. प्रशासन ने रेस्‍क्‍यू टीम्‍स को तुरंत घटनास्थल पर राहत एवं बचाव कार्य शुरू करने के निर्देश दिए हैं. ऋषिगंगा पावर प्रॉजेक्‍ट को भी क्षति पहुँचने की सूचना है. अलकनंदा नदी के समीपवर्ती गाँवों रहने के निवासियों को तत्काल सुरक्षित स्‍थानों की ओर जाने के निर्देश दिए गए हैं. प्रशासन ने ऐहतियातन रूप से भागीरथी नदी के जलप्रवाह को रोक दिया गया है तथा ऋषिकेश और श्रीनगर बैराजों को खाली करा दिया है.

कैसे टूटता है ग्‍लेशियर?

किसी स्थान पर भारी मात्रा में अनेक वर्षों तक बर्फ के जमा होने ग्‍लेश‍ियर का निर्माण होता है. ग्लेशियर दो प्रकार के होते हैं- आइस शीट्स और अल्‍पाइन ग्‍लेशियर. पहाड़ों के ग्‍लेशियर अल्‍पाइन कैटेगरी में आते हैं. पर्वतों से हिमस्खलन (ग्‍लेशियरों के टूटने) के अनेक कारण हो सकते हैं. ग्‍लेशियर के किनारों पर दबाव बढ़ना और पृथ्वी का गुरुत्‍वाकर्षण बल तथा ग्‍लोबल वार्मिंग आदि ही हिमस्खलन के प्रमुख कारण होते है. ग्‍लेशियर से हिमखंड के टूटने की प्रक्रिया, काल्विंग कहलाती है.

कैसे आती है ग्‍लेशियर बाढ़?

हिमस्खलन (ग्‍लेशियर फटने/टूटने) से आने वाले सैलाब का परिणाम बेहद भयानक हो सकता है. ऐसा सामान्यतः तब होता है, जब ग्‍लेशियर अन्दर से पिघल जाता है और पिघली हुई बर्फ को ग्लेशियर से बाहर निकलने का मार्ग (ड्रेनेज ब्लॉक) नहीं मिलता है. तब वह जल के रूप में ग्लेशियर को चीरते हुए अपना रास्‍ता बनाता है. ग्‍लेशियर के अंदर से जल बहने के कारण, बर्फ के पिघलने की दर में वृद्धि हो जाती है. बर्फ के पिघलने से उसका रास्‍ता बड़ा होता जाता है तथा उस जल के साथ में बर्फ भी पिघलकर बहने लगती है.

इंसाइक्‍लोपीडिया ब्रिटैनिका के अनुसार, यह आउटबर्स्‍ट फ्लड (Outburst flood) कहलाते हैं. ये आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में आती हैं.  किसी क्षेत्र में ग्‍लेशियर हर साल टूटते हैं और किसी क्षेत्र में दो से तीन वर्ष के अंतराल पर. कुछ ग्लेशियर कब टूट सकते हैं, इसका अनुमान लगाना असंभव है.

उत्तराखंड में भारी नुकसान की आशंका

उत्तराखंड की ऋषिगंगा नदी में हिमस्खलन(ग्लेशियर टूटने) के बाद, जल का बहाव तेज होने के द्रष्टिकोण से प्रशासन ने मुनि की रेती, कीर्ति नगर और देवप्रयाग, जैसे नदी के तटवर्ती क्षेत्रों को अलर्ट पर रखा है. उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के अनुसार, ‘उन्हें अभी तक प्रशासन से दो पुल के बहने की जानकारी मिली है. प्रशासन से मिली सूचना के आधार पर उन्‍होंने यह भी बताया कि जनहानि होने की भी आशंका है, लेकिन स्थिति अभी पूर्ण रूप से स्पष्ट नहीं है. राज्य की आपदा प्रबंधन और जिला प्रशासन की टीमों को शीघ्र ही घटनास्थल पर पहुंचने के लिए निर्देशित किया है  

Akhilesh Namdeo