चीन की परेशानी बढ़ी, QUAD की जल्द हो सकती है बैठक
चीन की नापाक हरकतों से सभी देश त्रस्त है, खास करके भारत और अमेरिका. आप बराबर खबरों में पढ़ते आ रहे होंगे, जितने भी भारत की चीन के साथ साझा वाली सीमा है, बराबर चीन उस में घुसपैठ की फिराक में रहता है. लेकिन चीन के मंसूबे कभी भी कामयाब नहीं हो पाते. वजह,अब देश के प्रधानमंत्री का हर संभव यही प्रयास रहता है कि देश के दुश्मनों पर उन्ही की भाषा में प्रहार किया जाए. नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत अपने दो पड़ोसी दुश्मन देश यानी पाकिस्तान और चीन को 2014 के बाद से ही मुंहतोड़ जवाब देने में कामयाब रहा है. अब भारत चीन को फिर से उसी की भाषा में जबाव देने के लिए QUAD बैठक में सम्मलित होने जा रहा है.
चीन की बौखलाहट और उसके जो नापाक मंसूबे कभी भी सफल नहीं हो पाए. आप लोगों को 2018 का डोकलाम विवाद याद होगा. भारत के प्रति चीन की रणनीतियां डोकलाम विवाद के बाद से ही लगातार बदलती चली गई, गलवान घाटी में भी कुछ दिन पहले युद्ध की स्थिति बनी थी तथा हाल ही में अभी चीनी सैनिको ने अरुणाचल प्रदेश में स्थित भारत सीमा से सटे गांव में निर्माण कार्य करने का प्रयास किया था. भारतीय सेना की ओर से हुए घोर विरोध ने यहाँ पर भी चीन को अपने कदम पीछे खींचने को विवश कर दिया.
चीन की नापाक हरकतों में सेंधमारी के लिहाज से QUAD फ्रेमवर्क में शामिल चारों देश- भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया-जल्द ही पहली बैठक कर सकते हैं. इस समूह का गठन चीन से मिलती चुनौतियों के बीच हुआ है. लेकिन इस समूह के नेता एवं अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि इस समूह के गठन केंद्रीय मुद्दा सिर्फ चीन ही नहीं है. यह कयास भी लगाये जा रहे हैं कि नए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की चार बड़ी लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट करना चाहते हैं.
अमेरिका ने दिया बैठक का सुझाव
जापान टाइम्स में प्रकाशित ख़बर के अनुसार जापान के नैशनल सिक्यॉरिटी अडवाइजर जेक सलीवन ने बताया है कि, इस क्वॉड समूह के गठन के आधार पर अमेरिका अपनी इंडो-पैसिफिक नीति निर्धारित करेगा. अखबार ने सूत्र के हवाले से यह भी लिखा है कि बाकी देशों को ऑनलाइन मीटिंग करने का अमेरिका ने सुझाव दिया है.
अरुणाचल प्रदेश में भारत सीमा से सटे क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी को देखते हुए भारत सरकार का यह बेहद महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. इस बैठक को लेकर अभी से चीन की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया और आपत्ति की अटकलें भी लगने लगी हैं.
चीन पर बरसे थे पॉम्पियो
जापान टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार QUAD फ्रेमवर्क के चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने पहली बार वर्ष 2019 में न्यूयॉर्क में बैठक की थी और फिर उसके बाद कोविड-19 महामारी के बीच टोक्यो में पिछले साल मुलाकात की गई थी. अक्टूबर में आयोजित बैठक में अमेरिका के तत्कालीन विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने चीन की जमकर बख़िया उधेड़ी थी . उन्होंने बैठक में चीन पर आरोप लगाया था कि अपने पड़ोसी दक्षिण एशियाई देशों पर दबदबा कायम करने के लिए चीन आर्थिक शक्ति का प्रयोग कर रहा है.
पॉम्पियो ने चीन पर पड़ोसी देशों के शोषण, भ्रष्टाचार और दबाव पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि यह देखना होगा कि क्या यह दुनिया अंतर्राष्ट्रीय नियमों की व्यवस्था का पालन करेगा या चीन जैसे शासन के दबाव में रहेगी.
चीन के दबाव को खत्म करने की कोशिश
अमेरिका के मौजूदा विदेश मंत्री ऐंटनी ब्लिंकेन ने भी चीन को अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का उल्लंघन करने का जवाबदेह बताया है. ब्लिंकेन ने अपने चीनी समकक्ष से वार्ता के दौरान तिब्बत, हॉन्ग-कॉन्ग और शिनजियांग का मुद्दा भी उठाया है। QUAD समूह द्वारा चीन की आर्थिक दबाव बनाने वाली नीतियों को खत्म कराने के लिए उस पर दबाव बनाये जाने के प्रयास की भी अटकलें लगाई जा रही हैं.

