उत्तराखंड में तबाही की कहानी, लोगों की जुबानी
2013 में आई आपदा के बाद हिमालय के ऊपर वैज्ञानिक शोध कार्यों में लगे हुए हैं. आखिर हिमालय की स्थिति क्या है और वह किस रूप में काम कर रहा है. कल उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने से व्यापक रूप में तबाही मच गयी. आइटीबीपी के जवान अभी भी राहत एवं बचाव कार्य में लगे हुए हैं.
देवभूमि की भूमि कहा जाने वाले उत्तराखंड में बीते दिन आयी कुदरती आफत ने फिर अपना कहर बरपाया है. हिमालयी ग्लेशियर के टूट जाने की वजह से उत्तराखंड के चमोली जिले में बड़ा नुकसान हुआ, जहां पानी के तेज बहाव में काफी कुछ बह गया. प्रकृति का कहर कुछ ऐसा था, कि प्लांट से लेकर पुल और घर तक को इस हादसे में नुकसान हुआ है. इस आपदा की वजह से अभी तक कुल 14 शव मिले हैं, जबकि सौ से अधिक लोग गायब बताए जा रहे हैं. आपदा को देखते हुए उत्तराखंड की स्थानीय प्रशासन से लेकर सेना तक सभी रेस्क्यू में जुटी है. गौरतलब हैं की राज्य-केंद्र सरकार मिलकर काम कर रही है.
उत्तराखंड के रैणी गांव में हर दिन की तरह रविवार की सुबह भी शांत सर्द सुबह थी. समय की घड़ी में लगभग दस बजे एक जोरदार आवाज सुनायी दी. जिसके बाद पूरा मंजर बदल चूका था. ऋषिगंगा में जल का भयानक सैलाब और कीचड़ काफी तेजी से गांव की तरफ बढ़ रहा था. वही के रहने वाले धरम सिंह नाम के पचास वर्षीय ग्रामीण ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि हम यह समझ पाते कि क्या हो रहा है, उससे पहले ही ऋषिगंगा के कीचड़ वाले पानी ने सारी चीजें तबाह कर दी.
धौली गंगा नदी में बढा जलस्तर
हिमालयी पर्वत के एक चोटी नंदा देवी के ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने की वजह से उत्तराखंड में आई आपदा के बाद धौली गंगा नदी का जलस्तर रविवार की रात एक बार फिर बढ़ गया. जिसकी वजह से आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों में घबराहट पैदा हो गई. अचानक आयी आपदा की वजह से धौली गंगा नदी का जलस्तर बढ़ जाने की वजह से रविवार की रात को अधिकारियों को एक परियोजना क्षेत्र में जारी राहत एवं बचाव कार्य को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा.
2013 की याद
इस भयावह मंजर ने लोगों को 2013 की केदारनाथ की भयावह बाढ़ की याद दिला दी, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गयी थी और न जाने कितने हजार लोग बेघर हो गए थे. रविवार को आयी आपदा में कई लोगों के इस सैलाब में बह जाने की आशंका है.

