युक्तियुक्तकरण के बाद जीपीएम जिले में कोई भी शाला शिक्षक विहीन या एकल शिक्षकीय नहीं है : कलेक्टर श्रीमती लीना कमलेश मंडावी

पत्रकारवार्ता में शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के संबंध में कलेक्टर ने दी जानकारी

विसंगति ऐसी थी कि 64 छात्र छात्राओं के बीच 6 शिक्षक, जबकि 70 दर्ज संख्या में 1 शिक्षिक थे

गौरेला पेंड्रा मरवाही


शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने के लिए राज्य सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ जीपीएम जिले में शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया गया है। युक्तियुक्तकरण के बाद जीपीएम जिले में कोई भी शाला शिक्षक विहीन या एकल शिक्षकीय नहीं है। कलेक्टर श्रीमती लीना कमलेश मंडावी ने कलेक्ट्रेट के अरपा सभा कक्ष में आयोजित प्रेस वार्ता में युक्तियुक्तकरण की जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप शिक्षकों और शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया गया है। नगरीय इलाकों में छात्रों की तुलना में अधिक शिक्षक पदस्थ थे, जबकि ग्रामीण और दूरस्थ अंचलों की शालाओं में स्थिति इसके विपरीत थे। वहां शिक्षकों की कमी थी, जिसके चलते शैक्षिक गतिविधियां प्रभावित हो रही थी और छात्र-छात्राओं का परीक्षा परिणाम भी प्रभावित हो रहा था। इस स्थिति को सुधारने के उद्देश्य ही प्रदेश सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण का कदम उठाया गया है। इससे जिन शालाओं में शिक्षक की जरूरत है, वहां शिक्षक उपलब्ध होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में गणित, रसायन, भौतिकी और जीव विज्ञान जैसे विषयों के विषय-विशेषज्ञ उपलब्ध होंगे। बच्चों को अच्छी शिक्षा, बेहतर शैक्षणिक वातावरण और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। कुल मिलाकर युक्तियुक्तकरण के माध्यम से छात्र-शिक्षक अनुपात स्कूलों में संतुलित हो, यह सुनिश्चित किया जा रहा है।


कलेक्टर ने कहा कि हमारे जिले में 4 प्राथमिक शालाएं शिक्षक विहीन एवं 130 शालाएं एकल शिक्षकीय थे। राज्य में 48 पूर्व माध्यमिक शालाएं शिक्षकविहीन और 255 एकल शिक्षकीय हैं। हमारे जिले में कोई भी पूर्व माध्यमिक शाला शिक्षक विहीन नहीं था किन्तु 10 एकल शिक्षकीय शालाएं थी। हमारे जिले में प्राथमिक स्कूलों में 174 शिक्षक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में 163 शिक्षकों की आवश्यकता थी। हमारे जिले में प्राथमिक शालाओं में 135 एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं में 43 शिक्षक ही अतिशेष थे। युक्तियुक्तकरण से शिक्षक विहीन विद्यालयों में शिक्षकों की उपलब्धता के साथ ही एक ही परिसर में विद्यालय होने से आधारभूत संरचना मजबूत होगी और स्थापना व्यय में भी कमी आएगी। यह युक्तियुक्तकरण कोई कटौती नहीं, बल्कि गुणवत्ता और समानता की दिशा में बड़ा कदम है।
कलेक्टर ने कहा कि जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी विद्यार्थी की पढ़ाई प्रभावित न हो। पूरे राज्य में मात्र 241 स्कूलों का समायोजन किया जा रहा है। हमारे जिले में 13 शालाओं का समायोजन किया गया है। राज्य के कुल 10 हजार 538 स्कूलों में से 10 हजार 297 स्कूल यथावत संचालित रहेंगे, जबकि हमारे जिले में 844 स्कूलों में से 831 स्कूल यथावत संचालित होंगे। अतिशेष शिक्षकों का पुनः समायोजन कर एकल शिक्षकीय और शिक्षक विहीन विद्यालयों में पदस्थापना की गई है। इसके पश्चात हमारे जिले में कोई भी शाला शिक्षक विहीन या एकल शिक्षकीय नहीं है। युक्तियुक्तकरण से बच्चों के ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी और अच्छी बिल्डिंग, लैब, लाईब्रेरी जैसी सुविधाएं एक ही जगह देना आसान होगा।

युक्तियुक्तकरण से होने वाले फायदे के शानदार उदाहरण



माध्यमिक शाला मनौरा में 63 दर्ज संख्या में 6 शिक्षक थे जबकि माध्यमिक शाला बगरार में 70 दर्ज संख्या में 1 ही शिक्षिका थी, युक्तियुक्तकरण के पश्चात बगरार में भी 03 शिक्षक हो गये हैं। हाई स्कूल धोबहर में दो कक्षाओं (9वी एवं 10वी) के 68 बच्चों के लिए अंग्रेजी के 3 व्याख्याता कार्यरत थे जबकि शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जोगीसार में कक्षा 9वी से 12वी तक के 168 बच्चों के लिए अंग्रेजी के कोई भी व्याख्याता नहीं थे। युक्तियुक्तकरण पश्चात जोगीसार में अंग्रेजी के व्याख्याता को पदस्थ किया गया है। कस्तुरबा गाँधी आवासीय विद्यालय कुम्हारी में सिर्फ 1 शिक्षिका थी अब युक्तियुक्तकरण पश्चात वहां 3 शिक्षिकाएं हो गई है। प्राथमिक शाला ठेंगाड़ाड एवं प्राथमिक शाला औराढोढी विकासखण्ड गौरेला में क्रमशः 32 एवं 35 छात्र-छात्राओं के लिए 4-4 शिक्षक पदस्थ थे जबकि प्राथमिक शाला नेवरी में 78 छात्र-छात्राओं के लिए कोई भी शिक्षक कार्यरत नहीं थे। इसी तरह प्राथमिक शाला तरईगाँव में 88 छात्र-छात्राओं के लिए सिर्फ 1 शिक्षक कार्यरत थे। युक्तियुक्तकरण पश्चात प्राथमिक शाला नेवरी में 2 शिक्षक एवं प्राथमिक शाला तरईगाँव में 3 शिक्षक पदस्थ हो गये हैं।

Akhilesh Namdeo

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