चीन के साथ जारी सीमा विवाद की पूरी कहानी

चीन के साथ जारी सीमा विवाद की पूरी कहानी

भारत के दो घोर विरोधी दुश्मन पड़ोसी राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान और चीन का नाम सर्वविदित है. पाकिस्तान जहां LOC पर भारत के साथ उलझने की फिराक में रहता है, तो वहीं चीन LAC पर भारत के साथ युद्ध के ताने-बाने बुनता रहता है. हां, यह बात अलग है कि कभी भी सफल नहीं हो पाता है. वजह, मौजूदा सरकार सैनिकों को ईंट का जवाब पत्थर से देने के लिए पूरी तरीके से स्वतंत्रता प्रदान की है.  अब भारतीय सैनिकों के हाथ बंधे नहीं है. उदाहरण के रूप में 2017 में चीन के साथ हुआ डोकलाम विवाद. पिछले साल से चीन के साथ गलवान घाटी क्षेत्र में उपजी टकराव की स्थिति का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है.

कई बार चीन ने कोशिश की कि भारत को झुकाया जाए और चीन की पूरी कोशिश यही थी कि किसी भी तरीके से अतिक्रमण करके कुछ भारत की सरजमीं को अपने कब्जे में लिया जाए. चीन इसमें पूरी तरीके से असफल रहा. जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिये चीन और भारत के सैन्य स्तर के बड़े अधिकारियों के बीच आपसी बातचीत का दौर भी चला, लेकिन हर बार कोशिशें असफल रही. सामरिक दृष्टि से देखा जाए तो भारत अब किसी भी शर्त पर सीमा विवाद में झुकने वाला नहीं है. भले बात युद्ध तक पहुंच जाए.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि चीन के साथ जो सीमा विवाद है, वो अब खत्म किया जा रहा है. दोनों देशों के सैन्य प्रमुख के बीच हुई वार्ता के बाद पूर्वी लद्दाख से करीब 1 साल बाद जारी विवाद को खत्म करने के लिए दोनों देशों के बीच पैंगोंग लेक को लेकर समझौता हो गया है. पूर्वी लद्दाख में जो स्थिति अप्रैल 2020 के पहले थी, वही स्थिति फिर से हो जाएगी. राज्यसभा में ऐलान के बाद शाम को लद्दाख सीमा से सेनाओं के पीछे हटने की भी तस्वीरें सामने आ चुकी है.

लेकिन आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस विषय पर गंभीर सवाल सरकार से किए हैं और सरकार पर यह आरोप मढ़ा है कि कुछ जमीन चीन को सौंप दी गई है रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा किए गए ऐलान के मुताबिक दोनों देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख की सीमाओं से अपने जवानों को पीछे हटाएंगी. इसके तहत चीन पैंगोंग लेक की फिंगर 9 तक जाएगा, और फिंगर 3 की धन सिंह थापा पोस्ट तक रहेगा. भारत की सेना धन सिंह थापा पोस्ट तक रहेगी. नॉर्थ बैंक के अलावा साउथ बैंक पर मौजूद जवानों को पीछे हटाया जाएगा. जब क ये प्रक्रिया चलेगी तब तक कुछ वक्त के लिए दोनों देश लेक में पैट्रोलिंग नहीं करेंगे.

क्यों है चीन को चिढ़ और क्या है चीन के दावे

इस इलाके में भारत के पास राचिन ला पर अपना अधिकार है. इससे चीन चिढ़ता है, क्योंकि भारतीय सेना राचिन ला के द्वारा चीन की पूरी सेना और बेस पर पुख्ता नजर रखती है. अगर इससे अलग देपसांग इलाके की बात करें, तो चीन यहां पर मजबूत हुआ है. लेकिन मौजूदा  विवाद कुछ अतिरिक्त निर्माण  टैंक के  तैनाती का है. बार्डर के व्यापक स्थिति के बारे में हमारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में भी बयान दिया कि चीन 1962 से ही लद्दाख की 38 हजार स्क्वायर किमी जमीन पर अनाधिकृत रूप से यानी अवैध रूप से कब्जा किया. इसके अलावा POK पर भी गरीब 5180 स्क्वायर किलोमीटर जमीन पर चीनी कब्जा है.

क्या है पैंगोंग लेक की स्थिति

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन ठीक आमने सामने आते हैं. यहां पर पैंगोंग लेक करीब 134 किलोमीटर लंबा है. समुद्र तल से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस पूरे लेक का दो-तिहाई हिस्सा चीन के पास है, जबकि 45 किलोमीटर का हिस्सा भारत के पास है. इस विवाद की जड़ की शुरुआत तब हुई, जब भारतीय सेना ने फिंगर 4 से आगे पेट्रोलिंग की थी. जबकि चीन की ओर से सिंगर 2 तक आने की कोशिश की गई. इतना ही नहीं, 1999 में चीन ने फिंगर 4 के पास अपनी एक सड़क भी बना ली. लेकिन भारत के पास अभी तक ऐसी कोई सुविधा या निर्माण नहीं है.

मौजूदा वक्त में चीन के साथ जो समझौता हुआ है, उसका मुख्य फोकस पैंगोंग लेक पर जारी विवाद को खत्म करना है. लेकिन भारत की नजर देपसांग के विवाद पर भी है, जो 2013 में हुआ था. इस पूरे क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने है और स्थिति काफी संवेदनशील रहती है. यह वही इलाका है, जहां पर बीते साल चीन के साथ गोली चलने की घटना सामने आई थी. यहां पर भारत कैलाश रेंज पर अपनी नजर गड़ाए हुए हैं. साथ ही हॉट स्प्रिंग, घोघरा जैसे विवादित स्थानों को लेकर आने वाले भारत और चीनी सेनाओं के बीच की बैठक में चर्चा होगी.

कांग्रेस नेता राहुल का सवाल

शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और सवाल किया कि हमारी जगह पहले फिंगर 4 में होती थी. लेकिन सरकार ने अब फिंगर 3 पर सहमति क्यों दी थी. प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने भारतीय जमीन को चीन के हवाले क्यों किया. राहुल गांधी ने देपसांग मसले पर भी कहा कि वहां से चीनी सेना पीछे क्यों नहीं हट रही है. यह ये साफ है कि देश के प्रधानमंत्री ने भारत की पवित्र जमीन चीन को पकड़ा दी है. राहुल बोले पीएम मोदी ने चीन के सामने माथा टेक दिया है.

शायद राहुल जी भूल गए चीन के साथ 1962 में हुए युद्ध के बाद चाचा नेहरू ने भारत का एक बड़ा भूभाग चीन को दे दिया था. नेहरू ने कहा था, हिंदी चीनी भाई भाई हैं. कांग्रेस की सामरिक नीतियों में कमी का ही नतीजा है कि आज भारत अपने पड़ोसी मुल्कों से सीमा विवाद में उलझा रहता है. इस स्थिति को उपजाने में कांग्रेस की भूमिका है, क्योंकि देश में राजनैतिक सत्ता के लोकतांत्रिक इतिहास को खंगाल कर देखेंगे तो आप पाएंगे कि 73 सालों के इतिहास में लोकतंत्र पर्व में जनता जनार्दन ने कांग्रेस के ऊपर भरोसा जताया और कांग्रेस को बहुत मौके दिए. ऐसे में चीन के लिये सामरिक नीतियां अगर आजादी के बाद से मौजूदा सामरिक नीतियों के सापेक्ष में रही होती, तो आज पीओके, LAC और एलओसी पर दुश्मनों के साथ सीमा विवाद की स्थिति नहीं होती.

Akhilesh Namdeo