कमला हैरिस का राजनीतिक सफर

कमला हैरिस का राजनीतिक सफर

अभी हाल ही में विश्वशक्ति अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव संपन्न हुआ है.राजनीतिक सियासत में उल्ट फेर होना लाजमी है.नहीं तो सरकारे तानाशाह हो जाती है.ट्रम्प के राजसिंघासन में बाइडन की सेंधमारी हुई और सत्ता का ताज बाइडन के सिर सवार हो गया.ये तो रही अमेरिका की सियासत उसी सियासत में एक चेहरे पर सबकी नजरें टिकी हुई है.वो चेहरा है कमला हैरिस का.

अमेरिका की नई सरकार में कमला हैरिस बतौर अमेरिका की पहली महिला उप-राष्ट्रपति के तौर शपथ लेगी।

आइये जानते है,कमला हैरिस कौन है. और उनका भारत के साथ क्या कनेक्शन है.

56 साल की कमला हैरिस अमेरिका की पहली अश्वेत और पहली दक्षिण एशियाई-अमेरिकी महिला उप-राष्ट्रपति भी बनेंगी.

कैलिफ़ोर्निया की डेमोक्रेट नेता कमला हैरिस ऑकलैंड में पैदा हुईं. उनकी मां भारतीय मूल की हैं और पिता जमैका मूल के. तलाक के बाद हैरिस को उनकी हिंदू मां ने अकेले ही पाला. उनकी मां कैंसर रिसर्चर और सिविल राइट्स एक्टिविस्ट रही हैं. वो भारतीय विरासत के साथ पली बढ़ीं, अपनी मां के साथ भारत आती रहीं लेकिन हैरिस बताती हैं कि उनकी मां ने अमेरिकी-अफ्रीकी संस्कृति अपना ली थी और अपनी दोनों बेटियों कमला और माया को भी इसी में रखा.

वो कहती हैं, “मेरी मां बहुत अच्छे से जानती थी कि वो दो काली बेटियों को पाल रही है.”

उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘द ट्रुथ वी होल्ड‘ में यह लिखा.

वो लिखती हैं, “उन्हें पता था कि उन्होंने जिस धरती को घर की तरह अपनाया है वो माया और मुझे काली लड़कियों की तरह देखेगी. वो यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ संकल्पित थीं कि हम आत्मविश्वास से परिपूर्ण, काली महिलाओं के रूप में बड़ी हों.”

उन्होंने देश की चर्चित होवार्ड यूनिवर्सिटी में दाख़िला लिया. यह देश के ऐतिहासिक कॉलेज और यूनिवर्सिटी में से एक है. इसे वो ज़िंदगी का सबसे रचनात्मक अनुभव बताती हैं.

क़ानून-व्यवस्था और कामयाबी की सीढ़ी

होवार्ड में चार साल बिताने के बाद हैरिस क़ानून की पढ़ाई के लिए कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी, हैस्टिंग चली गईं और फिर अलामेडा काउंटी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी ऑफिस से अपने करियर की शुरुआत की.

साल 2003 में वो सैन फ्रांसिस्को की शीर्ष अधिवक्ता बन गईं थी. इसके बाद वो कैलिफ़ोर्निया की अटॉर्नी जनरल चुन ली गईं. अमेरिका के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में इस पद पर पहुंचने वाली वो पहली महिला और पहली अफ्रीकी महिला बनीं.

बतौर अटॉर्नी जनरल अपने दो कार्यकाल में कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी के उभरते सितारे के तौर पर अपनी साख बनाई और इसी का इस्तेमाल करके उन्होंने साल 2017 में कैलिफ़ोर्निया की जूनियर यूएस सीनेटर का चुनाव लड़ा.

अमेरिकी सीनेट में चुने जाने पर हैरिस अपनी बातों की वजह से काफ़ी चर्चा में रहीं. सीनेट की महत्वपूर्ण सुनवाइयों में तत्कालीन सुप्रीम कोर्ट के नॉमिनी ब्रेट कावानॉघ और अटॉर्नी जनरल विलियम बार पर अपने सवालों की वजह से भी वो चर्चा में रहीं.

 

राजनीतिक उतार चढ़ाव

महीनों पहले ख़ुद राष्ट्रपति बनने का सपना टूटने के बाद कमला हैरिस के पास डेमोक्रेटिक टिकट पर कमाल दिखाने का एक ही मौक़ा था.

एक साल पहले कैलिफ़ोर्निया की इस सीनेटर ने उम्मीदवारों की भीड़ से अलग छाप छोड़ी थी और लगातार कई बेहतरीन भाषण भी दिए. यही नहीं, राष्ट्रपति पद की रेस में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन की आलोचना भी ख़ूब की. लेकिन साल 2019 के अंत तक उनका प्रचार अभियान ठंडा पड़ चुका था और ऐसा लगने लगा था कि उनकी उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है.

लेकिन ये उनके सफर का केवल एक मोड़ ही था. जो बाइडन ने उन्हें उप-राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के तौर पर चुना और वो एक बार फिर चर्चा में आ गईं.

साल 2019 में उन्होंने वॉशिंगटन पोस्ट से कहा था कि राजनेताओं को उनका पृष्ठभूमि या रंग की वजह से किसी कंपार्टमेंट में नहीं फिट कर देना चाहिए. उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि मैं वो हूं जो मैं हूं. मैं इसी के साथ ठीक हूं. आपको इस पर विचार करना पड़ सकता है लेकिन मैं ऐसे ही ठीक हूं.”

शीर्ष की चाहत

जब उन्होंने 20 हज़ार लोगों की भीड़ के सामने ऑकलैंड कैलिफ़ोर्निया में राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी का ऐलान किया तो वो साल 2020 के इस दांव के लिए काफ़ी उत्साहित थीं.

लेकिन अपने कैंपेन को लेकर वो स्पष्ट तर्क देने में चूक गईं और जब उनसे स्वास्थ्य सेवा जैसे मुद्दे पर सवाल किए गए तो उन्होंने काफ़ी गोलमोल जवाब दिए. इसके साथ ही वो अपनी उम्मीदवारी के दावे को लेकर ज्‍यादा नंबर नहीं जुटा पाईं. उम्मीदवारी की डिबेट में उनकी अधिवक्ता वाली खूबी दिखी, बार-बार वो बिडेन पर हमला बोल रही थीं.

क़ानून की डिग्री और अनुभव रखने वाली हैरिस ने अपनी पार्टी में प्रगतिशील और उदारवादी धाराओं के बीच संभलकर चलने की कोशिश की लेकिन दोनों में से एक को भी सही से अपील नहीं कर पाईं. दिसंबर में उन्होंने अपनी उम्मीदवारी ख़त्म कर दी. इसके कुछ समय बाद ही 2020 की शुरुआत में डोमोक्रेटिक्स का पहला उम्मीदवारी कॉन्टेस्ट होने वाला था.

मार्च में हैरिस ने पूर्व राष्ट्रपति का समर्थन किया और कहा कि “वो उन्हें अमेरिका का अगला राष्ट्रपति चुने जाने में हर मुमकिन मदद करेंगी.”

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अपराध और पुलिस रिकॉर्ड

कमला हैरिस की उम्मीदवारी ने उनके कैलिफ़ोर्निया के टॉप अधिवक्ता के रिकॉर्ड को चर्चा के केंद्र में लगा दिया है.

गे मैरिज और मृत्युदंड जैसे मसलों पर वामपंथी झुकाव होने के बावजूद वो बार-बार प्रगतिशील सोच वाले लोगों के निशाने पर रही हैं. उनपर ये सवाल उठते हैं कि उन्हें जितना प्रगतिशील होना चाहिए वो उतनी नहीं हैं. सैन फ्रांसिस्को विश्वविद्यालय में क़ानून की प्रोफ्रेसर लारा बाज़ेलोन ने हैरिस की आलोचना में एक लेख भी लिखा था.

कमला हैरिस के अभियान की शुरुआत में बाज़ेलन ने लिखा था कि हैरिस ने पुलिस सुधार, ड्रग सुधार और ग़लत तरीक़े से अपराधी ठहराए जाने जैसे मसलों की प्रगतिशील लड़ाइयों से किनारा किया.

लेकिन खुद को “प्रोग्रेसिव अधिवक्ता” कहने वाली हैरिस ने अपनी विरासत के ज़्यादातर वामपंथी झुकाव वाले हिस्सों पर ज़ोर देने की कोशिश की है – जैसे कैलिफ़ोर्निया के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के कुछ ख़ास एजेंट्स को बॉडी कैमरे का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया, इस फैसले पर अमल करने वाली ये पहली स्टेट एजेंसी बनी और उन्होंने एक डेटाबेस लॉन्च किया, जिससे आम लोग भी अपराध के आंकड़े देख सकते हैं – लेकिन इन कदमों से भी वो ज़्यादा ध्यान नहीं खींच पाईं.

चुनाव अभियानों के दौरान “कमला इस अ कॉप” वाक्य का खूब इस्तेमाल हो रहा है, जिससे प्राइमरीज़ में ज़्यादा लिबरल डेमोक्रिटिक बेस हासिल करने में उन्हें मुश्किल हो रही है. लेकिन यही चीज़ें उन्हें आम चुनाव में तब फायदा दे सकती हैं जब डेमोक्रेट्स को और ज़्यादा मोडरेट मतदाताओं और निर्दलीयों पर जीत की ज़रूरत होगी.

इस वक्त अमेरिका में नस्लवादी घटनाओं और पुलिस की बर्बरता पर बहस छिड़ी हुई है, ऐसे में हैरिस को अपने अनुभव का फायदा मिल सकता है.

कई टॉक शो में उन्होंने कहा है कि पूरे अमेरिका में पुलिस के काम के तरीक़े में सुधार होना चाहिए.

ट्वीटर पर उन्होंने उस पुलिस अधिकारी की गिरफ्तारी की मांग की जिनके हाथों 26 साल की अफ्रीकी-अमेरिकी महिला ब्रेओना टेलर की जान चली गई थी.

और हैरिस सिस्टमेटिक नस्लवाद को ख़त्म करने की ज़रूरत पर अक्सर बोलती हैं.

कमला हैरिस कई बार बोल चुकी हैं कि अपनी पहचान की वजह से वो वंचित तबकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए सही व्यक्ति हैं.

 

Akhilesh Namdeo