रैगिंग और सुसाइड के मामले में चार लड़कियों को 5 साल की सजा

रैगिंग और सुसाइड के मामले में चार लड़कियों को 5 साल की सजा

देश में रैगिंग एक ऐसा मुद्दा है, जो हमेशा से सुर्खियों और विवादों में रहा है. आप समाचार-पत्रों, न्यूज़ चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बराबर देखते आ रहे होंगे कि सीनियर्स जूनियर की रैगिंग लेते हैं. मानसिक और शारीरिक रूप से रैगिंग तथा सुसाइड प्रताड़ित करते हैं. समान्यतः, रैगिंग  इंजीनियरिंग कॉलेजों और मेडिकल कॉलेजों में देखने को मिलती है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि रैगिंग यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में नहीं होती है. हां, यह बात अलग है कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में होने वाली रैगिंग इंट्रोडक्शन से शुरू होती है और एक वक्त के बाद सीनियर और जूनियर में एक अच्छी बॉन्डिंग हो जाती है. कई बार सीनियर और जूनियर के बीच चलता आ रहा रैंगिग का खेल हमारे आपके बीच नहीं आ पाता है और कई बार रैगिंग से परेशान होकर जूनियर आत्महत्या कर लेता है. 

ऐसा ही एक रैगिंग और सुसाइड मामला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सामने आया है, जिसमें दोषियों को करीब 8 साल के बाद सजा सुनाई गयी है. गौर करने वाली बात है कि दोषी सभी लड़कियां हैं. कहा जाता है कि स्त्री का हृदय बहुत कोमल होता है. ऐसे में कहीं न कहीं ममत्व और इस स्त्रीत्व के ऊपर रैंगिग का मामला एक करारा प्रहार करता है.

जनपद न्यायालय भोपाल ने एक 8 साल पुराने रैगिंग और खुदकुशी के लिए उकसाने के केस में शुक्रवार को 4 लड़कियों को पांच-पांच साल की सजा सुनाते हुए उन पर दो-दो हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है. 2013 में भोपाल के एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में रैगिंग से तंग आकर अनिता शर्मा नाम की स्टूडेंट ने खुदकुशी कर ली थी. न्यायालय के फैसले के बाद चारों दोषी लड़कियों (निधि, दीप्ति, कीर्ति और देवांशी) को जेल भेज दिया गया है. साक्ष्यों की कमी के चलते कॉलेज के टीचर मनीष को बरी कर दिया.

सरकारी वकील मोहम्मद खालिद कुरैशी ने बताया कि ‘पहली बार भोपाल में रैगिंग के मामले में दोषी सिद्ध होने पर 4 लड़कियों को सजा सुनाई गई है. R.K.D.F कॉलेज में बी-फार्मा की सेकेंड ईयर की छात्रा अनिता शर्मा ने 6 अगस्त 2013 की रात रैगिंग के चलते अपने घर में फांसी लगा ली थी. वह अपने साथ हो रही रैगिंग से परेशान थी. अनिता ने कॉलेज के शिक्षक मनीष को रैगिंग वाली बात बताई थी, लेकिन कार्रवाई करने की जगह उसने छात्रा को चुप रहने की सलाह दी थी.

सुसाइड नोट पर लिखे थे चारों के नाम

मामले की जांच के दौरान कमला नगर पुलिस को उसके कमरे से बरामद हुए सुसाइड नोट में लिखा था कि ‘मैं अनीता शर्मा बी-फार्मा द्वितीय वर्ष की छात्रा हूं. जब से मैंने कॉलेज ज्वाइन किया है, तभी से मेरी रैगिंग की जा रही है. ये चारों लड़कियां (निधि, दीप्ति, कीर्ति और देवांशी) बहुत ही गंदे स्वाभाव की हैं. मैंने इन्हें एक साल तक किस तरह झेला है, ये मैं ही जानती हूं. मुझसे इन्होंने मिड सेम की कॉपियाँ भी लिखवाई थी. शिकायत करने पर मनीष सर ने मुझे कहा कि कॉलेज में रहने के लिए सीनियर्स की बात माननी पड़ती है.’

परिवार से कहा- मुझे पिंक सूट में जलाना

अनिता ने सुसाइड नोट में परिवार के लिए लिखा था, ‘मॉम एंड डैड आई लव यू. आप मुझे मिस मत करना. भाई तू सबसे ज्यादा रोने वाला है, क्योंकि तेरी सबसे अच्छी मित्र जा रही है. मैं न गंदी बन सकती हूं, न स्ट्रॉन्ग. मुझे पिंक सूट पहना कर जलाना. मैं जानती हूं पापा कि मैं आपकी फेवरेट रही हूं. चाहती तो थी कि पढ़-लिखकर खूब पैसा कमाकर एक बड़ा घर बनवाऊं.

कोर्ट ने कहा- रैगिंग के लिए सजा सख्त होनी चाहिए

कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा, ‘ रैगिंग की बढ़ती हुई घटनाओं को देखते हुए इतनी सजा होनी चाहिए कि अन्य लोग ऐसा करने से पहले उसका नतीजा सोचकर डरने लगे. आगे से भविष्य के सपने लेकर कॉलेज में प्रवेश लेने वाले किसी भी विद्यार्थी को खुदकुशी करने के लिए मजबूर न होना पड़े.

Akhilesh Namdeo