संसद के स्वाद से गायब हुआ सब्सिडी का मक्खन
हराम का खाना, घूमना, ठहरना इतिहास में जब से भारत एक लोकतांत्रिक देश के रूप में स्थापित है. तभी से संसद में सब्सिडी की व्यवस्था लागू है.आखिर यह व्यवस्था देश की अर्थव्यवस्था की नींव में सेंधमारी करता आया है. जिस सब्सिडी की व्यवस्था का अंत बहुत पहले कर देना चाहिये था.देश का दुर्भाग्य यह व्यवस्था अब दफ़न हो रही है.उम्मीद करते है घूमने और ठहरने के लिये मिलने वाले छूट पर भी जल्द लगाम लगेगा।
फिर भी कहते है अंत भला तो सब भला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को बताया कि संसद की कैंटीन में सांसदों, अन्य को भोजन पर दी जाने वाली सब्सिडी बंद कर दी गई है। बिरला ने इससे जुड़े वित्तीय पहलुओं के बारे में कोई जानकारी नहीं दी । हालांकि सूत्रों ने बताया कि सब्सिडी समाप्त किये जाने से लोकसभा सचिवालय को सालाना 8 करोड़ रूपये की बचत हो सकेगी।
लोकसभा अध्यक्ष ने बजट सत्र की तैयारियों के बारे में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि उत्तर रेलवे के बजाय अब आईटीडीसी संसद की कैंटीनों का संचालन करेगा। उन्होंने कहा कि संसद सत्र शुरू होने से पहले सभी सांसदों से कोविड-19 जांच कराने का अनुरोध किया जाएगा। बिरला ने कहा कि सांसदों के आवास के निकट भी उनके आरटी-पीसीआर कोविड-19 परीक्षण किए जाने के प्रबंध किए गए हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र, राज्यों द्वारा निर्धारित की गई टीकाकरण अभियान नीति सांसदों पर भी लागू होगी। उन्होंने कहा कि संसद परिसर में 27-28 जनवरी को आरटी-पीसीआर जांच की जाएगी, सांसदों के परिवार, कर्मचारियों की आरटी-पीसीआर जांच के भी प्रबंध किए गए हैं।
बिरला ने कहा कि 29 जनवरी से शुरू होने वाले संसद सत्र के दौरान राज्यसभा की कार्यवाही सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक होगी और लोकसभा की कार्यवाही शाम चार से रात आठ बजे तक होगी। उन्होंने कहा कि संसद सत्र के दौरान पूर्व निर्धारित एक घंटे के प्रश्नकाल की अनुमति रहेगी।

