आंदोलन के बीच हिंसात्मक हुई भीड़, फिर हुई पत्थरबाजी

कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा. बीते 26 तारीख़ को ट्रैक्टर मार्च के नाम पर जो बवाल और उपद्रव राजधानी के भीतर मचा, उससे तो लग रहा था कि शायद हंगामे के बाद स्थिति में सुधार हो. किसान नेता शांति की अपील करेंगे. किसान नेताओ में ही आपसी खींचातानी का दौर शुरू हो गया. टकराव की स्तिथि पनपी तो लगा आंदोलन कमजोर हो जायेगा, लेकिन शाम 7 बजे टिकैत का मीडिया के सामने रोना, कहीं-न-कहीं आंदोलन में फिर से जान फूंक दिया.
आंदोलन आप का मौलिक अधिकार है, आप स्वतंत्र है. आंदोलन करिये, लेकिन आंदोलन के नाम पर कानून को अपने हाथ में लेना उपद्रव मचाना, प्रशासन तंत्र के ऊपर पत्थरबाजी करना, कहाँ तक न्यायोचित लगता है.
कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन में एक बार फिर संघर्ष हुआ है. दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार को किसान प्रदर्शनकारियों और स्थानीय प्रदर्शनकारियों के बीच बवाल हुआ. दोनों गुटों के बीच पत्थरबाजी हुई और एक दूसरे पर हमला किया गया.
स्थानीय प्रदर्शनकारी शुक्रवार सुबह से ही किसान आंदोलनकारियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. हाईवे खाली करने की मांग की गई. दोनों गुटों में जारी संघर्ष और पत्थरबाजी के दौरान पुलिस ने भी लाठीचार्ज किया और प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की. हालांकि, इस बवाल के बीच कई लोगों और पुलिसकर्मियों के घायल होने की खबर है.
इसी बवाल के बीच SHO अलीपुर पर एक प्रदर्शनकारी ने तलवार से हमला किया. पुलिस ने हमला करने वाले व्यक्ति को हिरासत में ले लिया है. यहां पर कुछ देर के लिए पत्थरबाजी रुकी, लेकिन दोपहर करीब ढाई बजे एक बार फिर प्रदर्शनकारियों ने एक-दूसरे की तरफ पत्थर फेकें.
शुक्रवार सुबह ही दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर बड़ी संख्या में लोग किसान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ प्रदर्शन करने आए थे. यहां पर ‘तिरंगे का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान’ के नारे लगाए गए और तुरंत हाइवे खाली करने की मांग की गई.
गौरतलब है कि कल यानी गुरुवार को भी स्थानीय लोगों ने सिंघु बॉर्डर पर धरने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. इन लोगों ने खुद को हिंदू सेना का बताया था और कहा था कि लाल किले पर तिरंगे का जो अपमान हुआ है, वो इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे.
हालांकि कल पुलिस ने इनको वहां से खदेड़ दिया था. उसके बाद गाजीपुर में भी स्थानीय लोग किसानों के धरने के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंचे थे. हालांकि मौके पर मौजूद भारी पुलिस बल ने उन्हें किसानों तक नहीं पहुंचने दिया था.
आपको बता दें कि गुरुवार को गाजीपुर बॉर्डर पर भी तनावपूर्ण स्थिति बन गई थी. गाजीपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पुलिसफोर्स पहुंची थी और प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश की गई.
अगर सच में आप किसान है, तो बिखरने का, टूटने का मर्म आप जानते होंगे. दर्द की परिभाषा से आप वाकिफ होंगे. खून निकलने पर दिल पसीजता होगा, क्योंकि आप अपने खून पसीने की मेहनत से अन्न उपजाते होंगे, लेकिन आप के विरोध प्रदर्शन का यह भयावह रूप देख कर रिपोर्ट लिखते वक्त मेरी उँगलियाँ काँप सी जाती हैं. आंदोलन से आने वाली तस्वीरें सच में आज देश की गौरवमयी शांति सद्भावना और विश्वबंधुत्व के इतिहास पर करारा प्रहार कर रहा है.
