बसंत पंचमी खास: किस मुहूर्त में किन मन्त्रों से पूरी होगी मुराद
पूरे देश में बसंत पंचमी के उत्सव (सरस्वती पूजा) की तैयारियाँ पूरे जोर-शोर के साथ चल रही हैं. इस वर्ष बसंत पंचमी 16 फरवरी को है. इस दिन ज्ञान एवं विद्या की आराध्य देवी, माँ सरस्वती के पूजन की मान्यता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माँ सरस्वती का विशेष पूजन होता है.ज्योतिषियों के अनुसार, इस वर्ष बसंत पंचमी पर तीन विशेष योग (सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग एवं रवि योग ) बन रहे हैं.
तीनों विशेष योग 16 फरवरी को रात्रि 8 बजकर 57 मिनट से प्रारम्भ होकर अगले दिन 17 फरवरी को प्रातः 6 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होंगे.
बसंत पंचमी को वागीश्वरी जयंती, श्री पंचमी एवं खटवांग जयंती के नाम से भी लोग जानते हैं. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन ही माँ सरस्वती वाणी का रूप धारण करके मानव जिह्वा पर विराजमान हुई. पुराणों की मानें तो, ब्रह्मा जी ने संसार को वाणी (बोलने की शक्ति) प्रदान करने के लिए इसी दिन अपने कमंडल से चारों दिशाओं में जल का छिड़काव किया था.उस जल से वीणा धारण किये हुए जिन शक्ति का प्राकट्य हुआ, वही माँ सरस्वती कहलाई.उनके वीणा वादन से ही तीनों लोकों में वाणी का संचार हुआ. अतः इसी कारण से बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व माना गया है.
पुराणों की एक अन्य कथा के मुताबिक, सरस्वती देवी से प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण ने भी उन्हें एक वरदान दिया था कि, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी(बसंत पंचमी) के दिन उनकी आराधना की जाएगी. प्राचीन अवधारणाओं के अनुसार इस दिन को बच्चों के विद्यारम्भ के लिए विशेष तौर पर बहुत शुभ माना गया है. इसी कारणवश देश के विभिन्न भागों में इस दिन बच्चों की शिक्षा-दीक्षा आरम्भ करवाई जाती है. आंध्र प्रदेश के बासर सरस्वती मंदिर में अनुष्ठानों का आयोजन होता है. वहाँ इस पर्व को विद्यारम्भ पर्व भी कहते हैं.
शास्त्र ज्ञाताओं के अनुसार बसंतोत्सव के दिन साधक को स्वयं पीले वस्त्र पहनकर माँ शारदे की आराधना करनी चाहिए. साधक को भी साधना के दौरान माँ सरस्वती को भी पीले वस्त्र, आसान एवं पीले पुष्प अर्पित करने चाहिए. यदि कोई भी कमजोर छात्र पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास के साथ इस दिन सरस्वती आराधना करे तो वह प्रतियोगिताओं और परीक्षाओं में असफल नहीं होता है. साधक को इस दिन माँ सरस्वती के पुराणों में वर्णित प्रमुख मंत्रो से आराधना करनी चाहिए.
यदि कोई छात्र माँ सरस्वती के सभी श्लोक न जानता हो, तो वह माँ सरस्वती के इस महत्वपूर्ण मन्त्र से भी आराधना कर सकता है. ‘एमम्बितमें नदीतमे देवीतमे सरस्वति! अप्रशस्ता इव स्मसि प्रशस्तिमम्ब नस्कृधि ॥’ अर्थात – मातृगणो में श्रेष्ठ, देवियों में श्रेष्ठ हैं ! मां सरस्वती हमें प्रशस्ति यानी ज्ञान, धन व संपत्ति प्रदान करें.
बसंत पंचमी: पूजन के लिए शुभ मुहूर्त
वैसे तो पंचमी तिथि 16 फरवरी को प्रातः 03 बजकर 36 मिनट पर उदय होगी और 17 फरवरी को प्रातः 05 बजकर 46 मिनट तक रहेगी. लेकिन विद्यार्थियों के लिए सरस्वती पूजन हेतु शुभ मुहूर्त 16 फरवरी को प्रातः 6 बजकर 59 मिनट से प्रारम्भ होगा. जोकि मध्यान्ह 12 बजकर 35 मिनट तक ही रहेगा.
इसी दौरान विशेष पूजन मुहूर्त 11 बजकर 30 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक ही रहेगा. अतः इस प्रकार सरस्वती पूजन हेतु शुभ मुहूर्त 5 घंटे 37 मिनट तक ही है.
ऐसे करें माँ सरस्वती का पूजन
साधक या विद्यार्थी स्नान आदि से निवृत होकर पीले या श्वेत परिधान धारण करें और यदि माँ सरस्वती की प्रतिमा हो
तो उसे भी पीले पोशाक और आसान अर्पित करें. तदोपरांत सरस्वती प्रतिमा या चित्र के समक्ष धूप एवं दीप प्रज्वलित करें और पीले पुष्प एवं गंधोत्पक (सुगंधित द्रव्य आदि) अर्पित करते हुए नैवेद्य के रूप में पीले फल एवं मिष्ठान समर्पित करते हुए अभीष्ट की सिद्धि हेतु माँ सरस्वती से आशीर्वाद प्राप्त करें.
इन मंत्रो से करें माँ सरस्वती की आराधना
1. सरस्वती का मूल मंत्र
ओम् ऐं सरस्वत्यै नम:
2. संपूर्ण सरस्वती मंत्र
ओम ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः
3. विद्यार्थियों के लिए सरस्वती मंत्र
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्॥
4.ज्ञानार्जन के दौरान आने वाली बाधाओं के निवारण हेतु
ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी
मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।

