बहादुरी की मिसाल भारत के नौनिहाल

बहादुरी की मिसाल भारत के नौनिहाल

साहस और प्रतिभा का उम्र से कोई लेना-देना नहीं होता. उमर तो कच्ची है, लेकिन हिम्मत एकदम पक्की है. अपने घर वालों, दोस्तों या दूसरों की जान बचाने के लिए इन्होंने अपनी जान दांव पर लगा दी. कोई आतंकवादियों से भिड़ गया, तो कोई तेंदुए और सांड़ से.कोई आग में कूद गया, तो कोई समंदर में.दिल्ली की नीतिशा नेगी को तो जान भी गंवानी पड़ी.

हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर हमारे देश के कुछ बहादुर बच्चों को ‘राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है.इस साल भी कुछ बच्चों को वीरता पुरस्कार से नवाजा जाएगा.राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 16 साल से कम उम्र के बच्चों को उनके वीरतापूर्ण कार्य के लिए दिया जाता है.इन पुरस्कारों को पांच श्रेणियों में बांटा गया है, जिनमें भारत पुरस्कार, संजय चोपड़ा पुरस्कार, गीता चोपड़ा पुरस्कार, बापू गायधानी पुरस्कार और सामान्य राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार शामिल हैं.इस साल 21 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार दिया जा रहा है। इनमें 13 लड़के और 8 लड़कियां शामिल हैं.

‘भारत पुरस्कार’ :इस बार जम्मू की नौ वर्षीया गुरुगु हिमा प्रिया और 14 वर्षीय सौम्यादीप जना को दिया जाएगा.

‘गीता चोपड़ा पुरस्कार’:दिल्ली की 15 वर्षीय नीतिशा नेगी को मरणोपरांत दिया जाएगा.

‘संजय चोपड़ा पुरस्कार’:गुजरात के सात वर्षीय गोहिल जयराज सिंह को दिया जा रहा है.

बापू गायधानी पुरस्कार’ :इस बार तीन बच्चों- राजस्थान की नौ वर्षीया अनिका जैमिनी, मेघालय की 13 वर्षीया कैमेलिया कैथी खरबिंगर और ओडिशा के 15 वर्षीय सीतू मलिक को दिया जाएगा.

इसके अलावा वीरता पुरस्कार ओडिशा की नौ वर्षीया झीली बाग, कर्नाटक के 15 वर्षीय सीडी कृष्णा नायक, हिमाचल प्रदेश की 17 वर्षीया मुस्कान और 15 वर्षीया सीमा, छत्तीसगढ़ के 13 साल के रितिक साहू और 12 साल के झगेंद्र साहू, लखनऊ के 13 वर्षीय कुंवर दिव्यांश सिंह, मणिपुर के 14 वर्षीय वाहेंगबम लमगांवा सिंह, ओडिशा की 13 वर्षीया रंजीता माझी, दिल्ली के 14 वर्षीय मंदीप कुमार पाठक, ओडिशा के 11 वर्षीय विश्वजीत पुहान, छत्तीसगढ़ के 10 वर्षीय श्रीकांत गंजीर, केरल के 14 वर्षीय शिगिल के. और 10 वर्षीय अश्विन सजीव को दिये जाएंगे.

साहस और प्रतिभा का उम्र से कोई लेना-देना नहीं होता.अब राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार (नेशनल ब्रेवरी अवॉर्ड) से इस साल सम्मानित होने वाले बच्चों को ही देख लो.उमर तो कच्ची है, लेकिन हिम्मत एकदम पक्की है.अपने घर वालों, दोस्तों या दूसरों की जान बचाने के लिए इन्होंने अपनी जान दांव पर लगा दी.कोई आतंकवादियों से भिड़ गया, तो कोई तेंदुए और सांड़ से.कोई आग में कूद गया, तो कोई समंदर में। दिल्ली की नीतिशा नेगी को तो जान भी गंवानी पड़ी. इस साल 21 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार दिया जा रहा है। इनमें 13 लड़के और 8 लड़कियां शामिल हैं.आज हम तुम्हें इन बहादुर बच्चों में से कुछ के कारनामों के बारे में बताते हैं.

आतंकवादियों  से नहीं डरी हिमा

पिछले साल 10 फरवरी को कुछ आतंकवादियों ने जम्मू के सुंजवां आर्मी कैंप पर हमला कर दिया.वे लगातार फायरिंग कर रहे थे और अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे.एक आर्मी हवलदार की बेटी हिमा और उसकी मां वहीं फंसे हुए थे.आतंकवादियों के हाथों में बंदूक थी, लेकिन हिमा ने बिना डरे पूरी बहादुरी से उनका सामना किया.वह आतंकवादियों के सामने अड़ गई, तभी आतंकवादियों ने घर के अंदर एक हैंड ग्रेनेड फेंक दिया.हिमा की मां बुरी तरह घायल हो गईं और वह बेहोश होकर गिर पड़ीं.हिमा को भी बाएं हाथ में चोट आई, लेकिन उसने तीन-चार घंटे तक आतंकवादियों को उलझाए रखा, जबकि उसके सिर पर बंदूक तनी हुई थी.आखिरकार वह खुद और अपनी मां को वहां से सुरक्षित निकाल पाने में सफल हुई.

आग में फंसे अपने बड़े भाई को बचाने कामयाब रही कैमेलिया कैथी खरबिंगर

 

इस बहादुर बच्ची ने आग में फंसे अपने बड़े भाई की जान बचाई। उसके घर में आग लग गई थी। लोग घबराहट में घर से भाग निकले। इस दौरान किसी को ध्यान ही नहीं रहा कि मानसिक रूप से असंतुलित उसका बड़ा भाई घर में ही रह गया है। फिर कैमेलिया ने उसे आवाजें लगाई, लेकिन शोरगुल के कारण वह सुन नहीं सका। उसके बाद कैमेलिया दौड़ कर घर में घुस गई और उनका घर आग की वजह से भरभरा कर गिरता, उससे पहले भाई को सुरक्षित निकाल कर बाहर ले आई।

सेतु ने मगरमच्छ के चंगुल से बचाई चाचा की जान

 

मगरमच्छ का नाम सुन कर ही अच्छे-अच्छों को कंपकंपी होने लगती है, लेकिन ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले के सेतु ने मगरमच्छ के चंगुल से अपने चाचा की जान बचाई। 20 फरवरी 2018 की बात है। सेतु अपने चाचा के साथ झील गया था। उसी समय एक मगरमच्छ ने चाचा पर हमला कर दिया। सेतु पास में ही था। जैसे ही उसने यह देखा, एक बांस से मगरमच्छ के सिर पर मारना शुरू कर दिया। इस हमले से घबराए मगरमच्छ ने सेतु के चाचा को छोड़ दिया और उनकी जान बच गई।

नीतिशा नेगी ने डूबने से पहले बचाई दोस्त की जान

 

नीतिशा एक अच्छी फुटबॉल खिलाड़ी थी। वह अंडर-17 फुटबॉल टीम की सदस्य थी और पेसिफिक स्कूल गेम्स के लिए ऑस्ट्रेलिया गई थी। 10 दिसंबर 2017 को वह अपनी दोस्तों के साथ एन्जॉय करने एडिलेड बीच पर गई थी। तभी अचानक एक बड़ी लहर आई और उसका बैलेंस बिगड़ गया। उसी समय नीतिशा की नजर अपनी दोस्त अनन्या पर गई, जो मदद की गुहार लगा रही थी। नीतिशा तुरंत उसके पास पहुंची और उसे सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया। दोस्त की जान तो बच गई, लेकिन नीतिशा डूब गई। कुछ ही घंटे बाद उसकी दिल्ली की फ्लाइट थी।

सौम्यदीप जना ने आतंकवादियों से किया डटकर मुकाबला

इस साहसी बच्चे ने भी आतंकवादियों का डट कर मुकाबला किया। सौम्यदीप भी सुंजवां आर्मी कैंप पर हमले के समय वहीं था। उसने आतंकियों से अपनी मां और बहन को बचाने के लिए एक कमरे में बंद कर दिया। फिर घर के मुख्य द्वार को स्टील के बक्से से ब्लॉक कर दिया, ताकि आतंकवादी अंदर नहीं घुस पाएं। तब उन्होंने घर के अंदर एक हैंड ग्रेनेड फेंक दिया और फायरिंग करने लगे। लेकिन सौम्यदीप ने पूरी ताकत से उनका मुकाबला किया। उसे बहुत ज्यादा चोटें आईं और वह कोमा में चला गया। तीन महीने से ज्यादा समय तक वह कोमा में रहा। उसके कई ऑपरेशन भी हुए और उसके शरीर का बायां हिस्सा पैरालाइज्ड हो गया। चोट की वजह से उसके देखने और सुनने की क्षमता को नुकसान हुआ। उसका कहना था कि वह अपने परिवार को मरता हुआ नहीं देख सकता था।

गोहिल जयराज सिंह ने तेंदुए से बचाई दोस्त की जान

जानते हो, यह बहादुर बच्चा अपने दोस्त की जान बचाने के लिए खतरनाक तेंदुए से भिड़ गया था। सात साल का गोहिल अपने दोस्त नीलेश के साथ खेल रहा था, तभी एक तेंदुए ने नीलेश पर हमला कर दिया। अपने दोस्त को बचाने के लिए गोहिल ने पत्थर से तेंदुए के मुंह पर मारा, फिर भी तेंदुए ने नीलेश को नहीं छोड़ा। तब गोहिल ने अपनी खिलौना कार को तेंदुए की तरफ फेंका, जिसकी आवाज से तेंदुआ डर गया और नीलेश को छोड़ कर भाग गया। तुम भी हैरान हो गए न, इतने छोटे से बच्चे की बहादुरी व बुद्धिमत्ता पर!

मुस्कान और सीमा ने बदमाशों को सिखाया सबक

 

हिमाचल प्रदेश की इन दोनों बेटियों ने लड़कियों को परेशान करने वाले बदमाशों को बढ़िया सबक सिखाया. एक सरकारी स्कूल की कुछ छात्राओं ने अपने प्रिंसिपल से इस बात की शिकायत की थी कि कुछ लड़के स्कूल आते-जाते उन्हें परेशान करते हैं, उनको छेड़ते हैं और गंदे इशारे करते हैं.एक दिन मुस्कान और सीमा अपनी सहेलियों के साथ स्कूल जा रही थीं.उनके साथ भी बदतमीजी करने की कोशिश की गई. इस पर दोनों ने उस आदमी को पकड़ा और उसकी खूब पिटाई कर दी. फिर उस पर केस भी दर्ज कराया.दोनों की हिम्मत देख कर लोग हैरान रह गए.ये दोनों बड़ी होकर आर्मी में जाना चाहती हैं.

Akhilesh Namdeo