गिड़गिड़ा रहे जनरल बाजवा, विदेश मंत्रालय का अलग विलाप
पाकिस्तान हमेशा से ही दो-तरफ़ा बातें करता आ रहा है, कभी भारत के साथ युद्ध करने को तैयार हो जाता है, तो कभी सयुंक्त राष्ट्र संघ के मंच पर भारत के साथ संबंधो में सुधार की सिफारिश करता है. कभी कश्मीर में अपनी दावेदारी पेश करके भारत पर आरोप मढ़ता है, तो कभी भारत से हमले की आशंका का जिक्र करके खुद को कमजोर साबित करके विश्व शक्तियों से मदद की गुहार लगाता है.
धूर्तता का पर्याय बन चुका पाकिस्तान अपनी आर्थिक तंगहाली से दरबदर हो चुका है. कर्ज को अदा करने के लिये भी कर्ज लेने की मुश्किल हालात से जूझ रहा पाकिस्तान अब भारत के साथ संबंधों को सुधारना भी चाहता है और भारत को गीदड़ भभकी भी दिखाना चाहता है.
पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा भारत से बातचीत की गुहार लगा रहे हैं, वहीं पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने उल्टा राग छेड़ा है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि रिश्तों को सामान्य बनाने और सार्थक बातचीत के लिए माहौल बनाने की जिम्मेदारी भारत की है. इससे पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख के बयान पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि इस तरह का माहौल बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय का बयान सेना प्रमुख जनरल बाजवा के बयान के बाद आया है. पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने मंगलवार को कहा था कि पाकिस्तान और भारत को कश्मीर मुद्दे को ‘गरिमापूर्ण और शांतिपूर्ण तरीके’ से हल करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान और भारत को जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को जम्मू-कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप गरिमापूर्ण और शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहिए.’
कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार उठाता रहा है
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका ने पाकिस्तान पर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव बढ़ा दिया है. अब बाजवा को यह डरा सता रहा है कि अमेरिका कश्मीर में शांति को लेकर भी कह सकता है. अमेरिका यह कहे, इससे पहले ही पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने शांति की बात कहकर एक चाल चली है. बाइडेन पाकिस्तान पर प्रेशर डाल सकते हैं कि आतंकवाद को खत्म करो, इससे पहले ही उन्होंने यह शांति का दांव चल दिया है.
पाकिस्तानी सेना कभी शांति की बात करते हैं और कभी आतंकियों को समर्थन देते हैं. कभी वह यह भी कहते हैं कि अमेरिका इस मुद्दे में हस्तक्षेप करे. पाकिस्तानी सेना कई बार सैन्य तरीके से कश्मीर को पाने का प्रयास कर चुकी है, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली है. पाकिस्तानी की कोशिश अब यह है कि कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार उठाते रहो, ताकि अंतर्राष्ट्रीय खबरों में यह मुद्दा अभी बना रहे. यह कहा जाए कि इसका शांतिपूर्वक समाधान होना चाहिए. साथ ही आतंकियों का समर्थन करते रहो.
यह सभी दिशाओं में शांति का हाथ बढ़ाने का समय: बाजवा
जनरल बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान एक शांतिप्रिय देश है, जिसने क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए बहुत बड़े बलिदान दिए हैं. पाक सेना प्रमुख ने कहा, ‘हम परस्पर सम्मान और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के आदर्श पर चलने को लेकर प्रतिबद्ध हैं. यह सभी दिशाओं में शांति का हाथ बढ़ाने का समय है.’ हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि शांति की इच्छा को कोई कमजोरी न समझे. पाकिस्तान की सेना किसी भी खतरे को खत्म करने की क्षमता रखती है और तैयार है.

