मोदी की गारंटी पूरी नहीं करने से नाराज छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन एक्शन मोड में
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन की 11 सितंबर को होगी जिला , तहसील एवं ब्लॉक मुख्यालय में मशाल रैली
मांगे पूरी नहीं हुई तो 27 सितंबर से अनिश्चितकालीन आंदोलन
27 सितंबर से हो जाएगा छत्तीसगढ़ में सरकारी कामकाज ठप्प

गौरेला पेंड्रा मरवाही
बीते विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के जिला अधिकारी कर्मचारियों ने भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देकर उन्हें सरकार में बैठाया था वही अधिकारी कर्मचारी अब अपनी मांगे पूरी नहीं होने के कारण आंदोलन का शंखनाद कर चुके हैं । बीते 6 अगस्त को छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने राजधानी रायपुर में मशाल रैली के माध्यम से सरकार को सचेत किया था परंतु उसके बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार ने मोदी की गारंटी पूरा करने कोई पहल नहीं की। अब आगामी 11 सितंबर को छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ज़िला, तहसील एवं ब्लॉक मुख्यालय में मशाल रैली का आयोजन कर सरकार को अंतिम मौका दे रहा है और इसके बावजूद भी यदि भाजपा की छत्तीसगढ़ सरकार मोदी की गारंटी पूरी नहीं करती तो आगामी 27 सितंबर से छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के तत्वाधान में छत्तीसगढ़ के सभी अधिकारी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे जिससे स्वाभाविक रूप से सरकार का कामकाज ठप होने जा रहा है। ऐसे में अब जरूरी है कि छत्तीसगढ़ सरकार मोदी की गारंटी के तहत कर्मचारियों अधिकारियों से चुनाव के समय किए गए वादों को पूरा कर दे ताकि छत्तीसगढ़ की आम जनता को कोई परेशानी ना हो।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने पिछले महीने एक बड़ी बैठक करके महंगाई भत्ते की मांग पूरी करने को लेकर चरणबद्ध आंदोलन करने की रणनीति तैयार की थी जिसमें छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने लेकर रहिबो लेकर रहिबो,मोदी की गारंटी लेकर रहिबो अब नई सहिबो अब नई सहिबो मोदी की गारंटी लेकर रहिबो के नारे के साथ अगस्त क्रांति का एलान किया था तथा 6 अगस्त 24 को इंद्रावती भवन (संचालनालय) से महानदी भवन (मंत्रालय) मशाल रैली आयोजित करके सरकार को जागने का प्रयास किया था। इस मशाल रैली में कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के घटक संगठनों के प्रांताध्यक्ष एवं संभाग तथा जिला संयोजक पदाधिकारियों सहित जिम्मेदार पदाधिकारियों ने रायपुर में जाकर हिस्सा लिया था। इसके बाद द्वितीय चरण में 20 से 30 अगस्त तक सांसदों एवं विधायकों को ज्ञापन सौंप कर छत्तीसगढ़ सरकार के नुमाइंदों को एक बार पुनः ध्यान आकर्षित कराया था परंतु इसके बावजूद भी छत्तीसगढ़ सरकार के नुमाइंदों के कानों में जूं नहीं रेंगी।

इन सब परिस्थितियों को देखते हुए छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन अपने तृतीय चरण के आंदोलन में आगामी 11 सितंबर को जिला,ब्लॉक,तहसीलों में मशाल रैली का आयोजन आयोजन करने जा रहा है जिसके लिए सभी जिला मुख्यालयों एवं ब्लॉक मुख्यालय में कर्मचारी एवं अधिकारी ने व्यापक तैयारी की है। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन गौरेला पेंड्रा मरवाही के संयोजक संजय शर्मा महासचिव विश्वास गोवर्धन एवं आकाश राय ने संयुक्त रूप से आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि 11 सितंबर को 5:00 बजे संध्या आयोजित मशाल रैली सरकार को जगाने का अंतिम प्रयास होगा और यदि इसके बाद भी सरकार नहीं जगी तो चौथे चरण में
27 सितंबर को सामूहिक अवकाश लेकर जिलों में धरना-प्रदर्शन का आयोजन होगा। यदि सरकार ने कर्मचारियों के हित को नजरअंदाज किया तो फेडरेशन अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लेने बाध्य होगा। उन्होंने बताया कि भाजपा घोषणा पत्र अनुसार प्रदेश के कर्मचारियों को केंद्र के समान 1 जनवरी 24 से महंगाई भत्ता में 4 % वृद्धि कर साथ 50 % डी ए स्वीकृत करने; प्रदेश के कर्मचारियों को जुलाई 2019 से देय तिथि पर महंगाई भत्तों के एरियर्स राशि का समायोजन जीपीएफ खाते में जमा किये जाने;भाजपा घोषणा पत्र अनुसार प्रदेश के शासकीय सेवकों को चार स्तरीय समयमान वेतनमान दिये जाने;केन्द्र के समान गृह भाड़ा भत्ता;भाजपा घोषणा पत्र अनुसार मध्यप्रदेश सरकार की भांति प्रदेश के शासकीय सेवकों को अर्जित अवकाश नगदीकरण 240 दिन के स्थान पर 300 दिन देने के मुद्दा शामिल है।
संयुक्त शिक्षक महासंघ भी कर रहा है फेडरेशन के आंदोलन का समर्थन
11 सितंबर को जिला एवं ब्लॉक तथा तहसील मुख्यालय पर आयोजित मसाल रैली की मुख्य विशेषता यह होगी कि इस मशाल रैली को छत्तीसगढ़ संयुक्त शिक्षक महासंघ अपने सभी अनुसांगिक संगठनों के सहित द् समर्थन दिया जा रहा है जिसकी पुष्टि छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रदेश संयोजक कमल वर्मा ने की है ऐसे में पूरे छत्तीसगढ़ में एक तरह से सरकार के विरुद्ध आंदोलन का आगाज होने जा रहा है । 11 सितंबर के मसाल जुलूस के बाद भी यदि छत्तीसगढ़ सरकार नहीं जागी तो जिस तरह फेडरेशन ने 27 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की है उससे सरकारी कामकाज बुरी तरह प्रभावित होगा।


