चुनावी साल में सरकार से मांगे पूरी कराने छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारियों मैं बनी एकता…

– छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा करेगा 7 जुलाई को एकदिवसीय सामूहिक हड़ताल
– फिर भी मांगे पूरी नहीं हुई तो 1 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारी एवं शिक्षक
अखिलेश नामदेव / रायपुर
छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारी बीते साडे 4 साल से लंबित अपनी मांगों के लिए अब एकजुट हो गए हैं तथा सरकार पर दबाव बनाने अंतिम दौर की लड़ाई लड़ने जा रहे हैं इसके तहत छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारी
छठवे वेतनमान के आधार पर देय गृह भाड़ा भत्ते को सातवें वेतनमान के आधार पर केन्द्रीय दर पर पुनरीक्षित करने सहित 5 सूत्रीय मांग को लेकर एक दिवसीय सामूहिक हड़ताल पर रहेंगे और इसके बाद भी शासन द्वारा मांगे पूरी नहीं होने पर 1 अगस्त 2023 से प्रदेश के समस्त अधिकारी कर्मचारी अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। चुनाव वर्ष में चुनावी आचरण संहिता लागू होने के पूर्व कर्मचारी अधिकारियों की मांग पूरी कराने के लिए छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा का यह आखिरी दांव है। देखना यह होगा कि सरकार पर दबाव बनाने के लिए अधिकारी कर्मचारियों का यह पैंतरा कितना कारगर होगा।
बीते लगभग साढ़े चार साल के अंदर छत्तीसगढ़ के विभिन्न धड़ों में बंटे अधिकारी कर्मचारियों तथा शिक्षकों के संगठन छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार से अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे।। अधिकारी कर्मचारी संगठन चाहते थे कि कांग्रेश चुनाव के समय जो घोषणा पत्र में वादे किए थे उसे पूरा कर दे परंतु छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चुनाव जीतने के पहले साल कर्मचारियों की मांग को यह कह कर टाल दिया था कि यह साल किसानों के बोनस संबंधी मांग को पूरा करने का है और दूसरे साल कोविड-19 के संक्रमण के कारण सरकार ने छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारियों की मांग पूरी नहीं कर सकी बल्कि कोरोना वायरस संक्रमण काल के नाम पर महंगाई भत्ते पर रोक लगा दी गई। संक्रमण काल गुजरने के बाद अधिकारी कर्मचारी एवं शिक्षकों की संगठन सरकार का लगातार ध्यानाकर्षण कराते रहें और अपने-अपने संवर्ग की मांग उठाते रहे परंतु इतने से बात नहीं बनी तब बीते वर्ष 108 संगठनों के प्रतिनिधि छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन ने महंगाई भत्ता एवं सातवें वेतनमान के अनुसार गृह भाड़ा भत्ता की मांग को लेकर लंबी हड़ताल की परंतु इस हड़ताल में महासंघ शामिल नहीं हुआ तथा कुछ शिक्षक संगठन भी इस हड़ताल को समर्थन नहीं दिए जिसकी परिणीति रही कि सरकार ने अधिकारी कर्मचारियों एवं शिक्षकों के संगठन के इस आपसी फूट का लाभ उठाते हुए फेडरेशन के 2 सूत्री मांग को तवज्जो नहीं दी तब छत्तीसगढ़ सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे एवं फेडरेशन के संरक्षक सुभाष मिश्रा के समन्वय से आश्वासन पर ही हड़ताल समाप्त हो गई और अधिकारी कर्मचारियों की महंगाई भत्ता एवं गृह भाड़ा भत्ता जैसी मांग लंबित रह गई। सरकार के इस रवैये एवं रुख से छत्तीसगढ़ के सभी अधिकारी कर्मचारी भी समझ चुके हैं कि इसी तरह फूट रही तो सरकार चुनाव वर्ष में भी कुछ देने वाली नहीं है। ऐसे में छत्तीसगढ़ मंत्रालय कर्मचारी संघ ने प्रदेश के सभी अधिकारी कर्मचारी संगठनों के बीच समन्वय बनाते हुए बीते 19 जून 2023 को एक बैठक का आयोजन किया जिसमें छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन, छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी महासंघ एवं शिक्षक संगठनों को एक मंच पर लाकर एक बैठक का आयोजन किया जिसमें चुनाव में 50 से 6 माह तथा कर्मचारी अधिकारियों की लंबित मांगों पर सरकार का रुख सभी परिस्थितियां ऐसी है कि यदि कर्मचारी अधिकारी एक नहीं हुए तो सरकार कुछ देने वाली नहीं है। मंत्रालयीन कर्मचारी संघ के इस समन्वय के बाद सभी संघों में एकता बनी और 23 जून को निर्णय लिया गया है कि सैमसंग मिलाकर छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा बनाकर सरकार से अपनी मांगे पूरी कराएं। इन मांगों के लिए छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा ने सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए आगामी 7 जुलाई को एकदिवसीय सामूहिक हड़ताल करने जा रही है जिससे पूरे प्रदेश के शासकीय कार्यालय कोर्ट कचहरी स्कूल कॉलेज इत्यादि बंद हो जाएंगे। एक दिवसीय सामूहिक हड़ताल के बाद भी यदि कर्मचारियों की मांग पूरी नहीं होती तो छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में छत्तीसगढ़ के समस्त अधिकारी कर्मचारी एवं शिक्षक 1 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे और सरकारी कामकाज ठप हो जाएगा। छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने इस संबंध में छत्तीसगढ़ सरकार को अवगत करा दिया है। सरकार के समक्ष जो मांगे रखी गई है उनमें सबसे प्रमुख मांग केंद्र के समान लंबित महंगाई भत्ता एवं सातवें वेतनमान के आधार पर गृह वाले भक्तों का परीक्षण किया जाए। दूसरी प्रमुख मांग राज्य के कर्मचारियों एवं पेंशनरों को केन्द्र के समान देय तिथि से महंगाई भत्ता स्वीकृत किया जावे। तीसरी प्रमुख मांग
प्रदेश के कर्मचारियों की विभिन्न मांगो को लेकर गठित पिंगुआ कमेटी एवं सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव की अध्यक्षता में *वेतन विसंगति हेतु गठित समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जावे। चौथी प्रमुख मांग कांग्रेस पार्टी के जन घोषणा पत्र के क्रियान्वयन हेतु राज्य के समस्त कर्मचारियों को चार स्तरीय वेतनमान क्रमश: 08, 16, 24 एवं 30 वर्ष की सेवा अवधि उपरांत किया जावे एवं अनियमित, संविदा एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को नियमित किया जावे। तथा पांचवी प्रमुख मांग
पुरानी पेंशन का लाभ दिलाने हेतु प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना की जावे एवं पूर्ण पेंशन का लाभ अर्हतादायी सेवा 33 वर्ष के स्थान पर 25 वर्ष किया जाये। अब देखना यह है कि चुनावी साल में छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारियों के संगठनों की बनी एकता के बाद उनके द्वारा दिए गए हड़ताल के अल्टीमेटम को किस रूप में लेते हैं।
