देश में एक विवाह ऐसा भी

देश में एक विवाह ऐसा भी

विवाह का नाम सुनते ही मन में पवित्र रिश्ते की भावना जागृत हो जाती है, भारत देश में विवाह को गृहस्थ का आधार माना गया है. वेद उपनिषद पुराण सभी धार्मिक ग्रंथो में उल्लेखित 4 आश्रमों ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, सन्यास ,वानप्रस्थ में गृहस्थ मुख्य माना गया है लेकिन विवाह यदि जबरजस्ती हो तो विवाह जैसे पवित्र रिश्ते कलंकित होते है. आज बात देश के बिहार में प्रचलित ‘पकड़वा या पकड़ौआ विवाह’ या फिर फ़ोर्स्ड मैरिज की.

आजादी के इतने दशक बाद भी बिहार में प्रचलित पकड़ौआ विवाह पर लगाम नहीं लग पाया है. बहुत से मामले तो सामने आ ही नहीं पाते लोक लाज के भय से या फिर विवाह जैसे पवित्र रिश्ते की मान रखने लिये बहुत से पीड़ित अपनी जुबान नहीं खोलते, गौर करने वाली बात पुरुषप्रधान देश में देश के ही एक हिस्से में पीड़ित पुरुष होता है.

क्या होता है पकड़ौआ विवाह

विवाह का एक ऐसा प्रकार जिसमे लड़के को जबरन पकड़ कर किसी लड़की के साथ विवाह करा दिया जाता है. इस विवाह के लिये बकायदा पुरा गैंग काम करता किडनैप या डरा धमका कर लड़के को जबरन उठा लिया जाता है. किसी को इस तरह के लड़के की जरूरत होती अपनी बेटी के लिए तो गैंग लड़का उपलब्ध कराता है. उसके बदले गैंग निर्धारित रेट के हिसाब से लड़की के घर वालो से पैसे लेता है

80 के दशक में बिहार का बेगूसराय इस तरह के विवाह के लिये शीर्ष पर था

 

पकड़ौआ विवाह की कुछ कहानी पीड़ितों के जुबानी

शेखपुरा ज़िले के रवीन्द्र कुमार झा ने बताया कि उनके 15 साल के बेटे की शादी साल 2013 में जबरन 11 साल की बच्ची से करा दी गई थी. रवीन्द्र कुमार झा का कहना है कि उन्होंने इस शादी मानने से इनकार कर दिया तो नवादा ज़िले के लड़की वालों ने उनके परिवार पर दहेज प्रताड़ना (498 A) का केस कर दिया.

सहरसा के 27 साल के आलोक से बातचीत करके लगा सकते हैं. 13 मई, 2012 को आलोक के एक दोस्त ने पार्टी का लालच देकर उनका अपहरण कर लिया. 10 की संख्या में लोगों ने बंदूक तानकर मंडप पर बैठाया और जबरन शादी करवा दी.

आलोक बताते हैं कि तीन साल तक वो समाज से लड़ते रहे, लेकिन आख़िरकार खुद के ऊपर ‘थोपी’ हुई कम पढ़ी लिखी दुल्हन को सामाजिक दबाव के चलते विदा कर ले आए.
दो बच्चों के पिता आलोक कहते हैं, “दिल तो अभी भी कटा-कटा रहता है. किसी की भी ज़िंदगी के लिए शादी यादगार होती है, मेरे लिए तो वो डरावना सच है.”

पकड़ौआ विवाह के आकड़े बढ़ते ही जा रहे है

2014 में 2526, 2015 में 3000, 2016 में 3070 और नवंबर 2017 तक 3405

पकड़वा विवाह के शिकार विनोद उन गिने चुने लोगों में से हैं जिन्होंने इस तरह की शादी को अमान्य घोषित करवाने के लिए लड़ाई लड़ी.

29 साल के विनोद कुमार की आवाज़ में राहत और ग़ुस्सा, दोनों के अहसास गुंथे हुए थे. राहत उन्हें कोर्ट के फ़ैसले से मिली थी और ग़ुस्सा उनका बिहार पुलिस पर था.

पेशे से इंजीनियर विनोद कुमार की जबरन शादी का वीडियो साल 2017 के दिसंबर महीने में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.

वीडियो में 03 दिसंबर 2017 को विनोद कुमार की डरा-धमकाकर शादी करवाई जा रही थी. विनोद उसमें रोते हुए, शादी की रस्मों को निभाने से इनकार करते हुए देखे जा सकते थे.

विनोद ने इस शादी को मानने से इनकार कर दिया था. उन्होंने पटना के परिवार न्यायालय में शादी की वैधता को चुनौती दी, जिस पर मई 2019 में प्रिंसिपल जज कृष्ण बिहारी पाण्डेय ने फ़ैसला देते हुए शादी को अमान्य क़रार दिया.

फैसले के बाद विनोद ने क्या कहा “ये तो कोर्ट का सुकर है,  जिससे कुछ राहत मिली, नहीं तो मेरा जीना मुश्किल हो गया था. पुलिस भी इस मामले में मिली हुई है.”

अभी भी कही न कही एक बड़ी लड़ाई लड़नी है ,अगर महिलाओ के लिये महिला आयोग है तो पुरुष के लिए भी पुरुष आयोग की जरूरत है और जितने भी युवा पकड़ौआ विवाह की दंश को झेल रहे उन्हें विनोद से एक सीख लेकर अपने हक़ में क़ानूनी लड़ाई लड़ने जरूरत है

Akhilesh Namdeo