प्रबल प्रताप सिंह को कोटा विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाए जाने की खबर लीक होने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं का असंतोष उभरा

कोटा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी को लेकर रस्साकस्सी जारी

कोटा विधानसभा क्षेत्र में टिकट को लेकर भाजपा नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई भी सतह पर

प्रबल प्रताप सिंह जूदेव

अखिलेश नामदेव गौरेला पेंड्रा मरवाही

छत्तीसगढ़ में भाजपा प्रत्याशियों की संभावित दूसरी लिस्ट जारी होने के बाद भाजपा संगठन में वर्चस्व की लड़ाई सतह पर आ गई है खासकर कोटा विधानसभा क्षेत्र से जशपुर क्षेत्र के कद्दावर भाजपा नेता प्रबल प्रताप सिंह जूदेव का नाम प्रत्याशी के रूप में सामने आने के बाद अविभाजित बिलासपुर जिला के भाजपा संगठन में बवाल मचा हुआ है। खासकर कोटा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के इच्छुक भाजपा नेताओं ने कोटा विधानसभा क्षेत्र से किसी स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता को टिकट देने की मांग संगठन के सामने रख दी है ऐसे में एक बार फिर भाजपा संगठन कोटा विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी चयन को लेकर मंथन शुरू कर दिया है।

कोटा विधानसभा की बसाहट

कोटा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा आजादी के बाद से लेकर वर्ष 2018 तक हुए विधानसभा चुनाव में कभी अपनी जीत दर्ज नहीं कर पाई है। समय-समय पर भाजपा ने कार्यकर्ताओं की मांग पर स्थानीय प्रत्याशी के रूप में काशी साहू को भी चुनाव में उतार कर प्रयोग किया है परंतु भाजपा का प्रयोग सफल नहीं हो पाया ऐसे में स्वाभाविक रूप से कोटा विधानसभा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं में निराशा का वातावरण दिखाई दे रहा है ।

डॉ. सोमनाथ यादव

तब जब अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में भाजपा की दूसरी संभावित लिस्ट लीक होने पर जशपुर क्षेत्र के हिंदूवादी कद्दावर भाजपा नेता प्रबल प्रताप सिंह का नाम सामने आया है तब से भाजपा में खटमंडल मचा हुआ है और कार्यकर्ताओं में स्वाभाविक रूप से यह चर्चा है कि क्या छत्तीसगढ़ में बैक फुट में पहुंच चुकी भाजपा इस बार भी कोटा विधानसभा क्षेत्र में कोई नया प्रयोग करने वाली है? दरअसल कोटा विधानसभा क्षेत्र की बनावट ऐसी है कि इसमें कोटा ब्लॉक का रतनपुर, कोटा,टेंगनमाड़ा बेलगहना,केंदा,खोंगसरा जैसे बड़े से लेकर छोटे गांव बिलासपुर जिले में शामिल है वही गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के गौरेला पेंड्रा नगर सहित बहुत सारे गांव कोटा विधानसभा क्षेत्र में आते हैं इसलिए स्वाभाविक रूप से कोटा विधानसभा क्षेत्र से बिलासपुर जिले के तथा गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के भाजपा नेता चुनाव लड़ने की इच्छा संगठन के सामने जाहिर कर चुके हैं

बृजलाल राठौर

इनमें से प्रमुख रूप से डॉक्टर सोमनाथ यादव, बृजलाल सिंह राठौड़ मुकेश दुबे मोहित जायसवाल सुमंत जायसवाल संतोष तिवारी श्री कृष्णा प्रपन्नाचार्य कामता महाराज, नीरज जैन सहित दर्जन भर नेताओं के नाम सामने आ चुके हैं और ऐसे में जब इन नाम को दरकिनार करके जशपुर क्षेत्र के भाजपा नेता प्रबल प्रताप सिंह का नाम सामने आया तो प्रत्याशी के नाम को लेकर विवाद उठना स्वाभाविक ही था।

मुकेश दुबे

वैसे भी अविभाजित बिलासपुर जिले से बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद अरुण साव प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, भाजपा के वरिष्ठ नेता धरमलाल कौशिक भुपेद्र सवन्नी जैसे कद्दावर भाजपा नेताओं का वर्चस्व है तब स्वाभाविक रूप से कोटा से जो नाम प्रत्याशी के रूप में लीक हुआ है उसमें धुआं उठना ही था।

नीरज जैन

हालांकि इसमें कोई दो मत की बात नहीं है की प्रबल प्रताप सिंह भाजपा के कद्दावर सम्मानित नेता है परंतु इतनी दूर के नेता कोटा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े यह विभाजित बिलासपुर तथा गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के भाजपा कार्यकर्ताओं को हजम नहीं हो पाई यही कारण है कि कोटा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की इच्छुक नेता स्थानीय एवं बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा उठाते हुए लामबंद होते हुए एक बैठक आयोजित की तथा राष्ट्रीय भाजपा संगठन मंत्री बी एल संतोष को एक पत्र लिख दिया जिसके पास से कोटा विधानसभा क्षेत्र में एक बार फिर प्रत्याशी चयन को लेकर मंथन शुरू हो गया है वहीं दूसरी ओर भाजपा के आरएसएस से जुड़ा एक वर्ग ऐसा मानता है कि स्थानीय एवं बाहरी के मुद्दे को हवा बिलासपुर के वहीं स्थापित नेता दे रहे हैं जो नहीं चाहते कि कोटा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर बिलासपुर में कोई नया नेता स्थापित हो और अपना वर्चस्व बनाए रखना के लिए इस तरह की लामबंदी संयोजित ढंग से करवा रहे हैं।

अभी वर्तमान में अविभाजित बिलासपुर जिले कि भाजपा राजनीति में जो कुछ भी चल रहा है उसके पल-पल की खबर रायपुर से दिल्ली तक के भाजपा संगठन नेताओं को अलग-अलग माध्यमों से भेजी जा रही है तथा शीर्ष नेतृत्व यहां की गतिविधियों पर नजर रख रहा है। इन परिस्थितियों में जब भाजपा छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने का सपना देख रही है तब प्रत्याशी चयन एवं टिकट वितरण से उत्पन्न स्थिति पर कैसे नियंत्रण रख पाएगी यह बड़ा सवाल है।

Akhilesh Namdeo

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