पर्यटन संवर्धन की दिशा में ऐतिहासिक पहल: जीपीएम जिले में तीन दिवसीय पर्यटन विशेषज्ञ सम्मेलन संपन्न

गौरेला पेंड्रा मरवाही
प्राकृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों से समृद्ध गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही (जीपीएम) जिले को पर्यटन मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाने की दिशा में जिला प्रशासन ने एक अनूठी पहल की है। कलेक्टर श्रीमती लीना कमलेश मंडावी के मार्गदर्शन में 18 से 20 अप्रैल तक तीन दिवसीय “पर्यटन विशेषज्ञ सम्मेलन एवं इन्फ्लुएंसर मीट” का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देशभर से आए पर्यटन विशेषज्ञों, इनफ्लुएंसर्स, डॉक्यूमेंट्री मेकर्स, लेखकों और पर्यावरण प्रेमियों ने भाग लिया।

पर्यटन स्थलों की भव्यता से हुए अभिभूत
सम्मेलन के दौरान अतिथियों ने जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया। पहले दिन बिल्लमगढ़ की प्राकृतिक गुफाओं और वहां की स्टैगमाइट संरचनाओं को देखा। फिर राजमेरगढ़ में कैंपिंग साइट और कैंटीन का निरीक्षण करते हुए रमणीय सनसेट का आनंद लिया। इसके साथ ही डूमरपानी, जामुनपानी, तिपान, जोहिला और अमरावती-गंगा नदियों के उद्गम स्थलों का अवलोकन भी हुआ।

बैगा संस्कृति से रूबरू
दूसरे दिन बैगा बाहुल्य क्षेत्र केंवची और बानघाट का दौरा करते हुए अतिथियों ने यहां की परंपरागत चिकित्सा पद्धति से जुड़े वैद्यों से मुलाकात की। लमना स्थित विलेज स्टे में ठहराए गए अतिथियों को स्थानीय व्यंजनों का स्वाद चखने का अवसर मिला। मुनगा भाजी के पकोड़े, गूलर और कोरकोट की सब्ज़ियों ने विशेष सराहना बटोरी। पूटा में ग्रामीण हाट और चाँद-सूरज मंदिर के दर्शन के पश्चात ब्रह्मीपानी ठोड़ा तक की नाईट ट्रेकिंग रोमांचक अनुभवों में से एक रही। वहां आयोजित गौरा-गौरी नृत्य और शैला नृत्य ने सांस्कृतिक रंग भर दिए।

तीसरे दिन प्रकृति और पुरातत्व की झलक
सम्मेलन के तीसरे दिन अतिथियों ने झोझा जलप्रपात और जोगी गुफा का भ्रमण किया और सदा बहती नीर झरने में स्नान का आनंद लिया। परेवा पाट-सेमरदर्री में दुर्लभ दूधराज पक्षी के दर्शन किए, जिसे स्थानीय लोग प्रेत चिरई और दुलहा चिरई के नाम से जानते हैं। समुदलई के प्राकृतिक कुंड और करगीकला गांव के पुरातात्विक स्थलों गूलर पानी कुंड, गगनई डेम, बेनीबाई और धनपुर ने सभी को आकर्षित किया।


जैवविविधता की अद्भुत झलक
सम्मेलन में शामिल विशेषज्ञ ऑरेंज ओक लीफ तितली, मैपविंग तितली, दूधराज पक्षी और बम्बू पिट वाइपर जैसे दुर्लभ जीवों को देखकर अभिभूत हुए। इन स्थलों की समृद्ध जैवविविधता और सांस्कृतिक धरोहरों ने जिले को एक संभावनाओं से भरे पर्यटन गंतव्य के रूप में प्रस्तुत किया।

प्रभावशाली अतिथि
इस सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख अतिथियों में शामिल थे—बस्तर ट्राइबल होम स्टे के संचालक शकील रिज़वी, केशकाल स्थित रूरल यात्रा और टाटामारी इकोटूरिज्म के संचालक रिज़वान खान, सोलो ट्रेवलर एवं राइटर स्मिता अखिलेश, सरीसृप विशेषज्ञ विवेक शर्मा, आकाशवाणी बिलासपुर से डॉ. सुप्रिया, “मैं जुहिला” पुस्तक के चर्चित लेखक प्रतिभू बनर्जी, स्केच आर्टिस्ट अद्वैत भारत, बिलासपुर रेलवे जोन के प्रबंधक एस. भारतीयन, नित्या पर्यटन समिति के संचालक प्रदीप सिंह बघेल, सेलिब्रिटी इवेंट मैनेजर सुचित सिंह और डाक्यूमेंट्री फिल्ममेकर कृतार्थ चतुर्वेदी।

एक नई शुरुआत
यह सम्मेलन न केवल जीपीएम जिले की छवि को पर्यटन जिला के रूप में उभारने में मददगार सिद्ध होगा, बल्कि यहां की संस्कृति, प्रकृति और जैवविविधता को राष्ट्रीय पहचान दिलाने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। जिला प्रशासन की यह पहल निश्चित ही आने वाले समय में पर्यटन क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगी।

