हमें गर्व है, हम भारतीय हैं

हमें गर्व है, हम भारतीय हैं

भारत द्वारा दिया जा रहा वैक्सीन का यह उपहार बेमिसाल है. किसी भी अन्य देश ने लाखों की तादाद में दूसरे देशों को मुफ्त में वैक्सीन उपलब्ध नहीं कराई है. दुनिया के अधिकांश इलाके अभी भी कोरोना के चंगुल में फंसे हैं. उससे बचने के लिए कई जगहों पर नए सिरे से लॉकडाउन लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा हर देश कोविड-19 आपदा से निपटने पर ध्यान केंद्रित किए हुए है. ऐसे में कोरोना वैक्सीन की मांग आसमान छू रही है. इन हालात में इसकी गुंजाइश कम ही हो जाती है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारी मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध कराई जा सके.

कोविड वैक्‍सीन डेवलप होने के बावजूद, दुनिया के कुछ देशों के सामने बड़ी परेशानी है. उनके यहां न तो वैक्‍सीन बन रही है, न ही इतना बजट है कि अमेरिकी, चीनी व अन्‍य वैक्‍सीन खरीद सकें। ऐसे देशों के लिए भारत किसी देवदूत की तरह सामने आया. छोटे और कम आय वाले कई देशों को भारत ने अपने यहां बनी ऑक्‍सफर्ड-एस्‍ट्राजेनेका वैक्‍सीन ‘कोविशील्‍ड’ की खेप भिजवाई है, वह भी तोहफे के रूप में. एक तरफ देश में टीकाकरण अभियान जारी है, तो दूसरी तरफ इन देशों की मदद भी. भारत की इस पहल को दुनिया भी सराह रही है.

दुनिया कर रही भारत की तारीफ

अब तक इन देशों को भारत ने दी वैक्‍सीन

बांग्‍लादेश – 20 लाख डोज़

म्‍यांमार – 15 लाख डोज़

नेपाल – 10 लाख डोज़

श्रीलंका – 5 लाख डोज़

भूटान –  1.5 लाख डोज़

मालदीव – 1 लाख डोज़

मॉरीशस – 1 लाख डोज़

ओमन – 1 लाख डोज़

सेशेल्‍स – 50 हजार डोज़

अफगानिस्‍तान – 5 लाख डोज़

निकारगुआ – 2 लाख डोज़

मंगोलिया – 1.5 लाख डोज़

बारबेडोज – 1 लाख डोज़

डॉमिनिका – 70 हजार डोज़

ग्‍लोबल कमिटमेंट का हिस्‍सा है सीरम इंस्टिट्यूट

‘कोविशील्‍ड’ बना रही सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) दुनिया के सबसे बड़े वैक्‍सीन निर्माताओं में से एक है. कंपनी पहले ही कह चुकी है कि वो जितनी भी डोज़ बनाएगी, उसका आधा भारत के लिए और बाकी Covax के लिए होगा. Covax असल में वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की एक पहल है, ताकि वैक्‍सीन कम और मध्‍य आय वर्ग वाले देशों में भी उपलब्‍ध हो सके.

Akhilesh Namdeo