“हीमोग्लोबिन टेस्ट में जीपीएम ने रचा इतिहास – एक दिन में 51,727 महिलाओं की जांच कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड” बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और एनीमिया मुक्त भारत अभियान का संयुक्त प्रयास
कलेक्टर श्रीमती लीना कमलेश मंडावी के दृढ़ईक्षा शक्ति और मार्ग दर्शन पर अभियान बना महाअभियान

गौरेला पेंड्रा मरवाही
छत्तीसगढ़ के नवगठित आदिवासी बहुल जिले गौरेला-पेंड्रा-मरवाही ने महिला स्वास्थ्य और सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित करते हुए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है। जिले में 26 जून को चलाए गए रक्त शक्ति महाअभियान के अंतर्गत एक ही दिन में 51,727 महिलाओं का हीमोग्लोबिन (Hb) परीक्षण कर यह रिकॉर्ड बनाया गया।

गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ जिले का नाम
इस उपलब्धि की आधिकारिक घोषणा गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की स्टेट हेड श्रीमती सोनल राजेश शर्मा ने एसेम्बली हॉल, मल्टीपरपज स्कूल पेंड्रा में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में की। उन्होंने जिला प्रशासन को सम्मानित करते हुए प्रमाण पत्र और मेडल कलेक्टर श्रीमती नीला कमलेश मंडावी को सौंपा।
श्रीमती शर्मा ने जिले को बधाई देते हुए कहा कि –
“महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए इस पैमाने पर किया गया यह प्रयास प्रशंसनीय है और स्वस्थ समाज निर्माण की दिशा में यह ऐतिहासिक कदम है।
एनीमिया मुक्त भारत और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ से प्रेरित अभियान

कलेक्टर श्रीमती लीना कमलेश मंडावी के नेतृत्व में यह महाअभियान एनीमिया मुक्त भारत अभियान और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम को समन्वित करते हुए संचालित किया गया। प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा: “हमारा उद्देश्य रिकॉर्ड बनाना नहीं था, बल्कि जिले की महिलाओं, विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में, एनीमिया की स्थिति की वास्तविक जानकारी प्राप्त करना था। यह पूरी तरह जनहित से जुड़ा अभियान था।”
इस व्यापक अभियान की कार्य योजना अत्यंत सुनियोजित थी जिसके लिए 31 सेक्टर बनाए गए पूरे जिले में 230 सेंटर पर एकसाथ Hb टेस्ट किया गया लक्ष्य रखा गया था 67,925 महिलाओं का परीक्षण
अभियान में स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, जिला पंचायत, राजस्व, स्कूल शिक्षा, कृषि समेत सभी विभागों की भागीदारी रही,मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, SHG, पंचायत सचिव, पटवारी, कोटवार और RAEO जैसी हर स्तर की टीमों ने अपना योगदान दिया।
कलेक्टर ने बताया कि यह अभियान इलेक्शन मॉडल की तरह माइक्रो-प्लानिंग पर आधारित था। महिलाओं को केंद्रों तक लाना सबसे बड़ी चुनौती थी, जिसे सभी विभागों और जनप्रतिनिधियों के सहयोग से संभव किया गया।
कार्य योजना का अगला चरण – एनीमिक महिलाओं की पहचान और पोषण सहायता

कलेक्टर श्रीमती मंडावी ने कहा कि एचबी जांच के आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है। जिन महिलाओं का हीमोग्लोबिन स्तर 7 ग्राम से कम पाया जाएगा, उन्हें एनीमिक की श्रेणी में चिह्नित कर उनके लिए पृथक कार्य योजना बनाई जाएगी “एनीमिया कोई बीमारी नहीं है, यह खानपान और जागरूकता से दूर हो सकता है। अब हम हरी पत्तेदार सब्जी, फल, प्रोटीनयुक्त आहार जैसी चीज़ों को महिलाओं के आहार में शामिल करने के प्रयास करेंगे,” – कलेक्टर श्रीमती मंडावी।
अभियान की सफलता में सामूहिक सहयोग

इस महा अभियान में जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग के समर्पित अमले के साथ-साथ मीडिया, सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी रही। इसके लिए कलेक्टर ने सभी को बधाई और आभार प्रकट किया।
सीएमएचओ और डीपीओ का योगदान
अभियान की योजना और क्रियान्वयन पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रामेश्वर शर्मा और जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी अमित सिन्हा ने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह अभियान राज्य और देश भर में रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।

इस ऐतिहासिक अवसर पर अपर कलेक्टर नम्रता आनंद डोंगरे, सीईओ जिला पंचायत सुरेंद्र प्रसाद वैद्य, संयुक्त कलेक्टर दिलेराम डाहिरे, एसडीएम पेण्ड्रारोड ऋचा चंद्राकर, एसडीएम मरवाही प्रफुल्ल रजक समेत सभी विभागों के जिला, अनुविभागीय एवं ब्लॉक स्तरीय अधिकारी तथा प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले का यह रिकॉर्ड न केवल एक आंकड़ा है, बल्कि यह जनसरोकार, टीमवर्क और प्रशासनिक इच्छाशक्ति का प्रतीक बन गया है। इसने यह सिद्ध कर दिया है कि जब लक्ष्य समाजहित हो और समन्वय मजबूत हो, तो बड़े से बड़ा लक्ष्य भी एक दिन में प्राप्त किया जा सकता है।

