जल संकट की समस्या से जूझ रहे दिल्लीवासी

जल संकट की समस्या से जूझ रहे दिल्लीवासी

जल जीवन का एक अनिवार्य घटक है, बिना जल के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. तभी तो कहा जाता है, जल ही जीवन है. मौजूदा समय में मानव द्वारा प्रकृति का अत्यधिक दोहन हमारे लिये विनाश का कारण बन रहा है. धरती पर जब भी प्रकृति ने अपना भयावह रूप दिखाया है, उसकी वजह मानवीय जीवन द्वारा प्रकृति के अस्तित्व के साथ खिलवाड़ रहा है. हाल ही में चमोली में आई प्राकृतिक आपदा की वजह से जल संकट का खतरा दिल्ली में मंडराने लगा है.

उत्तराखंड के चमोली में आई भीषण आपदा का असर दिल्ली के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंच गया है. मुरादनगर से दिल्ली के 2 बड़े वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट सोनिया विहार और भागीरथी में गंगा का पानी सप्लाई किया जाता है, लेकिन गंगा के पानी मे गंदगी का लेवल अधिक होने की वजह से ट्रीटमेंट प्लांट्स को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.

रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को उत्तरी पूर्वी दिल्ली के भागीरथी ट्रीटमेंट प्लांट का जायजा लिया गया. यहां 13 फरवरी की दोपहर में सबसे पहले गंगा का गंदा पानी आना शुरू हुआ था. छुट्टी का दिन होने के बाद भी तमाम बड़े इंजीनियर और करीब 250 लोगों का स्टाफ 24 घंटे गंगा के पानी की सफाई में लगा रहा.

प्लांट में मशक्कत जारी

प्लांट पर मौजूद अधिकारियों की मानें, तो गंगा के पानी में लकड़ी के टुकड़े, मलवा अधिक होने से मशीनें जाम हो जाने का डर रहता है. ऐसे में लगातार मशीनों की सफाई करना एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि मशीनें जाम होने की वजह से पानी का प्रोडक्शन कई घंटों तक रुक सकता था. आम दिनों में गंगा के पानी को साफ करने में ढाई घंटे का समय लगता है, जो अब बढ़ गया है. दिल्ली जल बोर्ड के वाइस चेयरमैन राघव चड्ढा ने खुद सोमवार को भागीरथी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में पहुंचकर जायजा लिया, प्लांट के अधिकारियों के साथ बातचीत की और ताजा स्थिति के बारे जानकारी ली. राघव चड्ढा ने कहा कि उत्तराखंड में आपदा की वजह से दिल्ली में आने वाला गंगा का पानी मटमैला और गंदगी से भरा हुआ है. इस पानी को भागीरथी और सोनिया विहार वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में साफ किया जाता है. पानी की गंदगी को NTU नामक मानक से मापा जाता है. गंगा के पानी में फरवरी महीने में गंदगी का स्तर 100 NTU के आसपास रहता है, लेकिन गंगा नदी में गंदगी इतनी अधिक है कि ये आंकड़ा आज 8000 NTU तक पहुंच गया है.

राघव चड्ढा ने बताया कि गंगा के पानी में पौधे, लकड़ी के टुकड़े, मलबा मिला हुआ है. इस वजह से दोनों वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के प्रोडक्शन को घटाना पड़ा, क्योंकि कोई भी ट्रीटमेंट प्लांट इतनी अधिक गंदगी साफ नहीं कर सकता है. बता दें कि उत्तरी पूर्वी दिल्ली में स्थित सोनिया विहार वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में लगभग 140 MGD (मिलियन गैलन प्रतिदिन) और भागीरथी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में लगभग 110 MGD पानी साफ किया जाता है. दोनों ही प्लांट से दक्षिणी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में पानी की सप्लाई होती है.

प्रोडक्शन क्षमता घटी

राघव चड्ढा ने बताया कि दोनों हो प्लांट 24 घंटे 100% क्षमता के साथ काम करते हैं. गंदगी का स्तर बढने की वजह उत्तराखंड में ग्लेशियर का फटना है और दोनों प्लांट में प्रोडक्शन क्षमता घटकर 40% तक रह गयी थी. राघव चड्ढा ने दावा करते हुए कहा कि प्रोडक्शन घटने से दिल्ली के कई इलाकों में पानी की समस्या सामने आई लेकिब वाटर टैंकर सप्लाई से समस्या को दूर भी किया गया.

फिलहाल भागीरथी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में गंगा के पानी से 90% गंदगी को साफ कर लिया गया है. प्लांट में लगातार फिल्ट्रेशन के बाद 8000 NTU को घटाकर 960 NTU वाले गंदे पानी को आसानी से साफ किया जा सकता है. इसके अलावा सोनिया विहार वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट 80% क्षमता के साथ काम कर रहा है.

हेल्पलाइन नंबर जारी

दिल्ली में पानी की शिकायत पर चड्ढा ने अधिकारिक पुष्टि की, “दिल्ली में पानी की समस्या से निपटने के लिए टैंकर से सप्लाई बढ़ाई गई है. हेल्पलाइन नम्बर भी जारी किया गया है. पानी की किल्लत की समस्या का मुआयना करने के लिए सीनियर अधिकारियों की टीम तैनात की गयी है. जहां भी पानी की कमी की  शिकायत मिल रही वहां पानी के टैंकर तुरंत पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं. अगले 24 घंटे में गंगा के गंदे पानी की समस्या से निजात मिल जाएगी.

Akhilesh Namdeo