जिहादी की हुई गिरफ्तारी

जिहादी की हुई गिरफ्तारी

लव जिहाद का नाम आते ही,किसी धर्म विशेष का ख्याल सामने आ जाता है.बीते दिनों में देश के हर कोने से लव जिहाद का मामला देखने को मिल रहा है.आखिर धार्मिक आजादी के नाम पर किसी दूसरे धर्म की लड़की को बहला फुसला कर अपनी पहचान छुपाकर पहले उससे शादी करना  और उसके बाद अपना असली चेहरा सामने लाना फिर लड़की के ऊपर दबाव धर्म परिवर्तन के लिये कहाँ तक उचित और न्यायप्रिय है।

योगी सरकार ने इसके खिलाफ शख्त एक्शन लेते हुये कानून बनाया

जब से कानून बना लव जिहाद के खिलाफ बहुत से मामले दर्ज हुये ,इस मामले में पहली गिरफ्तारी भी हो गई

उत्तर प्रदेश में शादी से पहले धर्म परिवर्तन के मामलों में योगी सरकार का अध्यादेश आने के बाद कई केस दर्ज हुए हैं। इस बीच गोरखपुर में कथित लव जिहाद के पहले मामले में आरोपी शख्स को कर्नाटक से पुलिस ने दबोच लिया है। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। वहीं नाबालिग लड़की को भी बरामद कर लिया गया है।

क्या है पूरा मामला

गोरखपुर में लव जिहाद केस के आरोपी को पुलिस ने कर्नाटक के बीजापुर से गिरफ्तार कर लिया है। वहीं नाबालिग किशोरी को भी युवक के चंगुल से आजाद कराया गया है। लड़की को मेडिकल परीक्षण के लिए आशा ज्योति केंद्र भेजा गया है। इस बीच गोरखपुर पुलिस आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। बताते चलें कि बीते 12 जनवरी को चिलुआताल पुलिस को लव जिहाद के मामले में तहरीर मिली थी। शिकायत में सेना के रिटायर्ड जवान ने लिखा था कि वह 4 जनवरी को अपनी नाबालिग बेटी को कॉलेज छोड़ने गए थे। देर शाम तक जब बेटी कॉलेज से नहीं लौटी तो उन्होंने बेटी को ढूंढना शुरू किया।

बीजापुर के शख्स ने हिंदू बताकर की थी दोस्ती

इसी दौरान यह सामने आया कि उनकी बेटी पिछले एक साल से कर्नाटक के बीजापुर के एक शख्स के संपर्क में थी। बीजापुर के इंडी रेलवे स्टेशन के पास रहने वाले महबूब नाम के शख्स से बेटी की बातचीत होती थी। बताया जा रहा है कि महबूब ने खुद को हिंदू बताकर लड़की से दोस्ती की थी। तहरीर में पीड़ित ने यह भी बताया कि आरोपी युवक उनकी बेटी को नौकरी का झांसा देकर बहला-फुसलाकर भगा ले गया है।

पुलिस की टीम ने कर्नाटक से महबूब को दबोचा
तहरीर मिलने के बाद एक्शन में आई पुलिस ने लव जिहाद अध्यादेश के तहत केस दर्ज किया। आरोपी महबूब की गिरफ्तारी के लिए एक तीन सदस्यीय टीम कर्नाटक भेजी गई थी। उधर, कर्नाटक पहुंची पुलिस टीम ने सर्विलांस के जरिए आरोपी की तलाश शुरू की। जल्द ही पुलिस को कामयाबी मिली और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।

क्या है लव जिहाद कानून

अवैध धर्मांतरण कानून ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ के मसौदे को मंजूरी दे दी गई। इसके तहत बहला-फुलसा कर, जबरन, छल-कपट कर, प्रलोभन देकर या किसी कपट रीति से या विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में किया गया परिवर्तन गैरकानूनी होगा। ऐसा करने पर अधिकतम 10 वर्ष की सजा दी जाएगी। साथ ही 25 हजार रुपये जुर्माना भी होगा।

प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि कैबिनेट ने ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ के मसौदे को मंजूरी दे दी है। इसके तहत जबरन धर्म परिवर्तन करने पर कम से कम एक वर्ष और अधिकतम पांच वर्ष की सजा और 15 हजार रुपये का प्रावधान किया गया है। किसी अवयस्क महिला, अनुसूचित जाति, जनजाति की महिला के संबंध में नियमों का उल्लंघन करने पर कम से कम 3 साल की सजा और अधिकतम दस साल की सजा होगी। साथ ही जुर्माने की राशि 25 हजार रुपये होगी।

सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 50 हजार जुर्माना
प्रवक्ता ने बताया कि सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में भी कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसी स्थिति में कम से कम तीन साल की सजा होगी, यह सजा अधिकतम 10 वर्ष तक की हो सकती है। वहीं जुर्माने की राशि भी ऐसे मामलों में बढ़ाकर 50 हजार रुपये होगी।

डीएम से लेनी होगी अनुमति
अध्यादेश के तहत ऐसे विवाह के लिए जिसमें धर्म परिवर्तन होना हो, विहित प्राधिकारी यानी डीएम से अनुमति लेनी होगी। इसके लिए जिला मजिस्ट्रेट को दो माह पूर्व में सूचना देनी होगी। इसका उल्लंघन करने पर छह माह से लेकर तीन वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही जुर्माना 10 हजार रुपये से कम नहीं होगा।

धर्म परिवर्तन के लिए किया गया विवाह शून्य होगा
प्रावधान किया गया है कि केवल धर्म परिवर्तन के लिए की गई शादी शून्य मानी जाएगी। प्रावधान के मुताबिक, किसी एक धर्म से दूसरे धर्म में लड़की के धर्म में परिवर्तन के एक मात्र प्रयोजन के लिए किया गया विवाह शून्य की श्रेणी में लाया जाएगा।

गैर जमानती होगा अपराध
प्रावधान किया गया है कि जबरन, मिथ्या, बलपूर्वक, प्रलोभन व उत्पीड़न कर किया गया धर्मपरिवर्तन गैरजमानती अपराध होगा। यह अपराध संज्ञेय होगा और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के न्यायालय में उसकी सुनवाई होगी। अपराध नहीं किया यह साबित करने की जिम्मेदारी अभियुक्त पर किया गया धर्म परिवर्तन अवैध नहीं है, जबरन नहीं किया गया। इसे प्रलोभन देकर नहीं कराया गया। धर्म परिवर्तन उत्पीड़न करके नहीं किया गया, यह सिद्ध करने की जिम्मेदारी आरोपी व्यक्ति परही होगी। साथ ही सामूहिक धर्म परिवर्तन में सामाजिक संगठनों का पंजीकरण रद्द कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

 

Akhilesh Namdeo