कोरोना महामारी की वजह से बेटियों का भविष्य खतरे में

कोरोना महामारी ने संभवत: विश्व को पूरी तरीके से बदलकर रख दिया. अर्थव्यवस्था को गहरा आघात लगा. सामाजिक ढांचे में परिवर्तन हुआ, लोगों की जीवन शैली पूरी तरीके से बदल गई, लोग अब कम में जीना सीख गए. जीवन के तमाम पहलुओं में आए परिवर्तन की वजह से आज भी विश्व की एक बड़ी जनसंख्या इस भयावह महामारी की चपेट में है. कहीं आर्थिक रूप से तो कहीं सामाजिक रुप से और कहीं स्वास्थ्य को लेकर.
बात भारत की करें, तो कोरोना महामारी की वजह से भारत में भी सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक ढांचे में वृहद् स्तर पर परिवर्तन देखने को मिला है. वैसे आज के समय में भारत आत्मनिर्भर हो चुका है. कोरोना की जंग से लड़ने के लिए वैक्सीन हम बना चुके हैं. जो कोरोना के आंकड़े हैं, वह भी दिन-प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं. इसमें हमारी एक बड़ी उपलब्धि है. लेकिन कहते हैं, कोई आपदा महज रहती तो चंद दिनों के लिए है, लेकिन उसका परिणाम बड़े लंबे काल के लिए समाज पर पड़ता है.
आप समाज में देखते होंगे कि कोरोना महामारी की वजह से बहुत से लोगों की नौकरियां चली गई. बहुत से लोगों के जो सपने थे, अरमान थे, वह बिखर गए. बहुतों की जिंदगी पूरी तरीके से बदल गई. आज भी जिंदगी से जद्दोजहद कर रहे हैं, ताकि किसी भी तरीके से अपने जीवन को फिर से शुरू किया जाए.
लेकिन जो परिवर्तन पारिवारिक ढांचे में हुआ है, सोचने को मजबूर कर रहा है. कल की एक खबर है, राज्यसभा के भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया जी ने कोरोना की वजह से बंद पड़े स्कूलों के कारण बच्चों की, खासकर लड़कियों के भविष्य की पढ़ाई पर बाल विवाह के मामले बढ़ने का दावा करते हुए सरकार से मांग किया है कि राज्यों से बाल विवाह पर आंकड़े एकत्रित किया जाएं.
शून्य काल के दौरान उच्च सदन में मुद्दा उठाते हुए सिंधिया जी ने कहा है कि कोरोना काल में समस्त गतिविधियों पर विराम लग गया है. स्कूल भी पूर्ण रूप से बंद हो गए हैं. इसमें बच्चों, खासकर लड़कियों की पढ़ाई पर संकट के बादल मंडराने लगे है. बेटियों के बाल विवाह का खतरा बढ़ा है.
भाजपा सदस्य ने दावा किया है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर के संबंध में आरटीआई के माध्यम से जानकारी पता चली है कि हेल्पलाइन नंबर पर बाल विवाह को लेकर करीब 18324 शिकायतें मिली हैं. उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ऐसी 200 से अधिक शिकायतें और कर्नाटक से 188 शिकायतें मिलने की खबर है.
सिंधिया ने इसे चिंताजनक बताते हुए मांग की है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय राज्य से बाल विवाह पर आंकड़े एकत्रित करें. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही उचित काउंसलिंग के लिए जिला कल्याण समितियों को सक्रिय किया जाए. साथ ही उनकी पढ़ाई जारी रखने की व्यवस्था की जाए. उन्होंने बाल विवाह रोकने के लिए कानून को सख्ती से पालन करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा है कि ऐसा खाका तैयार किया जाना चाहिए कि बच्चे बीच में ही अपनी पढ़ाई न छोड़े.
यह खबर हमारे समाज के लिये तोड़ने वाली है. बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ का जो दावा है, उसके ऊपर एक करारा प्रहार है. सरकार को सतर्क होना पड़ेगा. जागरूकता की जो सीमा है, उसका दायरा बढ़ाना होगा. सरकार के साथ-साथ एक परिवार की जो नैतिक जिम्मेदारी है, उसे समझना होगा, वरना लड़कियों की जो दशा पहले थी, उसी का सूत्रपात होगा और ये उचित नहीं होगा.
