कटोरा पकड़ने की नौबत इमरान परेशान

कटोरा पकड़ने की नौबत इमरान परेशान

पाकिस्तान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. पाकिस्तान के ऊपर मुश्किलों का अंबार थमने का नाम नहीं ले रहा है. 2 दिन पहले अभी पाकिस्तान ने एक मिसाइल का परीक्षण किया. मिसाइल शाहीन का परीक्षण पूरी तरह से असफल रहा. कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था से जूझता पाकिस्तान आतंकवाद को पनाह देते देते आर्थिक तंगहाली की दौर से जूझ रहा है.

गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है. बची खुची पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की कमर कोरोना वायरस ने तोड़कर रख दी है. कंगाली की दहलीज पर खड़े पाकिस्तान ने अपनी अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए फिर से 1.2 बिलियन डॉलर (87,56,58,00,000 रुपये) का नया कर्ज लिया है. कर्ज की इस नई राशि के साथ चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पाकिस्तान अब तक 5.7 अरब डॉलर (4,16,01,73,50,000 रुपये) की नई उधारी ले चुका है.

वहीं प्रधानमंत्री इमरान खान ढाई साल सरकार चलाने के बाद भी देश के खस्ता आर्थिक हालात के लिए पिछली सरकारों को जिम्मेदार बता रहे हैं. पाकिस्तान में हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि सरकारी कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए भी इमरान खान सरकार को जोड़ तोड़ करना पड़ रहा है. पाकिस्तान का सबसे बड़ा ‘दाता’ सऊदी अरब और यूएई अपने कई बिलियन डॉलर के कर्ज को वापस मांग रहे हैं. वहीं, पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त चीन भी अब पाकिस्तान को कर्ज देने में आनाकानी कर रहा है.

पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 के जुलाई-दिसंबर के दौरान इमरान खान सरकार को कई वित्तपोषण स्रोतों से बाहरी कर्जों के रूप में 5.7 बिलियन डॉलर की राशि मिली है. दिसंबर में पाकिस्तान सरकार ने विदेशों से 1.2 बिलियन डॉलर प्राप्त किए, जिसमें वाणिज्यिक बैंकों से महंगे ब्याज पर ली गई 434 मिलियन डॉलर की राशि भी शामिल है.

पिछली सरकारों पर ठीकरा फोड़ रहे इमरान खान

इमरान खान सरकार की लचर आर्थिक सुधारों के चलते साल 2020 के अंत तक पाकिस्तान का कुल कर्ज 11.5 फीसदी सालाना की दर से बढ़कर 35.8 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच गया है. जिसके बाद खुद की गलतियों के पिछली सरकारों पर डालते हुए पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय ने कहा कि पिछली सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण देश को अत्याधिक विनिमय दर और अत्यधिक उधारी का सामना करना पड़ रहा है.

पाकिस्तान को कर्ज मिलने में हो रही हैं मुश्किलें

जी-20 देशों से कर्ज राहत के तहत, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के प्रारूप के मुताबिक पूर्व की मंजूरी के अलावा, ऊंची दरों पर वाणिज्यिक कर्ज नहीं ले सकता. इस कारण चीन ही नहीं, पाकिस्तान के कई पसंदीदा देश भी निवेश करने या कर्ज देने से घबरा रहे हैं. हालात तो यहां तक आ गई है कि चीन भी कर्ज के बदले अतिरिक्त गारंटी मांग रहा है.

कर्ज वसूली रोकने के लिए गिड़गिड़ा रहे इमरान

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध किया है कि कोरोना वायरस महामारी के खत्म होने तक कम आय वाले और सर्वाधिक प्रभावित देशों के लिए ऋण अदायगी को निलंबित कर दिया जाए तथा अल्प विकसित देशों की देनदारी को निरस्त कर दिया जाए. नकदी के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की आर्थिक परेशानियां महामारी के कारण और बढ़ गयी हैं तथा इमरान खान की सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) समेत वैश्विक निकायों से आर्थिक मदद की व्यवस्था कर रही है ताकि संकट से उबरा जा सके।

 

पाकिस्तान अगर अपने नीतियों में परिवर्तन नहीं करता है. तो उसको उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. आतंकवाद के पोषण की वजह से पाकिस्तान की हालत काफी गीली हो चुकी है. पाकिस्तान अन्तर्राष्ट्रीय जाँच एजेंसियों के निशाने पर पहले से ही है, ऐसे में उसको नरमी बरतनी होगी वरना तंगहाली दिनों दिनों बढ़ती चली जाएगी और एक दिन हालत ऐसी होगी कि पाकिस्तान को कटोरा लेकर भीख मांगना पड़ेगा।

Akhilesh Namdeo