क्या चीन के साथ फिर विवाद की स्थिति पनप रही

इन दिनों भारत और चीन के बीच एक बार फिर से विवाद उपज गया है. जब से डोकलाम विवाद में भारत ने चीन का कड़ा विरोध किया और चीनी सेना को मजबूर किया डोकलाम से हटने के लिये। उसके बाद से ही चीन बौखलाया हुआ है ,अभी हाल ही में गलवान में भी भारत ने चीन कड़ा विरोध किया उसके बाद बहुत से चीनी एप्प को भारत सरकार ने बैन भी कर दिया. जिसको लेकर अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर चीन की छवि को नुकसान पहुँचा है.ऐसे में चीन की पुरजोर कोशिश है भारत को किसी मोर्चे पर घेराबंदी करना सरकार को उलझाये रखना.
इस समय का ताजा विवाद का मामला जुड़ा है ,अरुणाचल प्रदेश से सवाल है ,क्या चीन ने पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी से भारत की तरफ़ ताज़ा घुसपैठ की है और वहाँ एक गाँव भी बसा लिया है?कुछ न्यूज़ चैनेलों ने सैटेलाइट की तस्वीरों के हवाले से दावा किया है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारत के नियंत्रण वाले इलाक़ों में पक्के घरों वाला एक गाँव बसाया है.भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि वो इन ख़बरों पर नज़र बनाए हुए है.जिस गाँव की बात मीडिया में हो रही है, वो अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबांसीरी ज़िले में ‘सारी चू’ नदी के तट पर बसाया गया है. जानकार मानते हैं कि ये इलाक़ा भारत और चीन की सेना के बीच बेहद हिंसक झड़पों का गवाह भी रहा है.एक तस्वीर अगस्त 2019 की बताई जा रही है, जिसमें किसी भी तरह का कोई निर्माण नज़र नहीं आता है जबकि दूसरी तस्वीर पिछले साल नवंबर की बताई गई है, जिसमे कई पक्के मकान और सड़कें दिखती हैं.भारत के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि चीन पिछले कुछ सालों से अरुणाचल प्रदेश से लगे एलएसी के पास निर्माण के काम कर रहा है.
सोमवार को जारी बयान में मंत्रालय का कहना है कि भारत भी सरहद यानी एलएसी के पास पुल, सड़कें और आधार भूत संरचना बनाने के काम में तेज़ी ला रहा है, जिससे सीमा के पास रहने वाले स्थानीय लोगों को काफ़ी मदद मिलेगी.कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने तापिर गाओ के बयान का हवाला देते हुए ट्विटर पर सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि तापिर भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं और वो कह रहे हैं कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में काफ़ी अंदर घुसकर 100 घरों वाला गाँव और बाज़ार बना लिया है.
उन्होंने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग भी की.कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर इस मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा है.
पूरे मामले को लेकर सामरिक हलकों में भी बहस चल रही है. विशषज्ञों का मानना है कि जिस जगह चीन की ओर से गाँव, बाज़ार और रोड बनाने की बात कही जा रही है, वो इलाक़ा मैकमोहन रेखा के दक्षिण में स्थित है.यानी एलएएसी के उस हिस्से के भीतर जिस पर भारत का दावा रहा है. मैकमेहन रेखा भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश और तिब्बत के बीच का वो इलाक़ा है, जिसे भारत चीन के साथ अपनी सीमा मानता आया है. हालांकि चीन को इस पर आपत्ति है.’इसराइल जैसी रणनीति'”पहले इस इलाक़े में चीन की सेना यानी पीपल्स लिबरेशन आर्मी की एक पुरानी टूटी फूटी चौकी हुआ करती थी. इस चौकी को अब नया बना दिया गया है. जिस गाँव की बात कही जा रही है, वो चौकी के पीछे है. ये बात सही है कि गाँव बना है, लेकिन ये इलाक़ा पहले से ही चीन के क़ब्ज़े में रहा है. इसलिए अपने क़ब्ज़े के इलाक़े में चीन लगातार कुछ न कुछ निर्माण का काम करता आ रहा है.”अभिजीत का कहना है कि चीन ने इसराइल जैसी रणनीति अपनाई है. वो कहते हैं कि गज़ा पट्टी में इसराइल भी इसी तरह से भवन बनाता है और फिर वहाँ आबादी को बसा देता है. इसी बात का विरोध फ़लस्तीन करता आ रहा है. ऐसा ही कुछ चीन भी कर रहा है.
सवाल जिसका जवाब अब तक स्पष्ट नहींइस विवाद के बीच भारत सरकार के विदेश मंत्रालय का कहना है कि सरकार एलएसी पर हो रही हर गतिविधि पर नज़र बनाए हुए है और देश की एकता और संप्रभुता को बनाए रखने के लिए हर क़दम उठा रही है.’चीन के साथ अरुणाचल प्रदेश में जिस इलाक़े को लेकर विवाद चल रहा है, वो कई हज़ार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. सरकार भी इस इलाक़े को लेकर सतर्कता बरतती है और इलाक़े की जानकारी सैटेलाइट के ज़रिए हासिल करती रहती है. अगर ये इलाक़ा नया है तो ये गंभीर बात है. अगर ये कई दशकों से चीन के नियंत्रण में ही है, तो वहाँ चीन कुछ न कुछ कर ही रहा होगा जबकि समझौते के अनुसार उसको वहाँ यथास्थिति बनाए रखनी चाहिए.”
