क्या है ट्विटर से जुड़ा ताजा विवाद

बीते 26 तारीख को जब से गणतंत्र दिवस के अवसर पर ट्रैक्टर मार्च के नाम पर तथाकथित खालिस्तानी समर्थक किसानों ने दिल्ली में उपद्रव तांडव मचाया है, सोशल मीडिया पर एक नया विवाद खड़ा हो गया है. विवाद जुड़ा हुआ है ट्विटर को लेकर. बीते 4 फरवरी को कुछ विदेशी चेहरे ट्विटर पर हैशटैग कैंपेनिंग चलाना शुरु कर देते हैं. उद्देश्य रहता है, भारत में हो रहे किसान आंदोलन को वैश्विक स्तर फैलाना और भारत की छवि को धूमिल करना. विदेशी सेलिब्रिटी में मिया खलीफा, रिहाना और जानी-मानी पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग का नाम मुख्य रूप से सामने आता है.
बड़ा सवाल यह खड़ा होता है, भारत में हो रहे हर गतिविधि का अधिकार भारत सरकार और भारत के नागरिकों को है. भले ही वह सरकार के खिलाफ कोई आंदोलन हो या फिर सरकार के पक्ष में सरकार का समर्थन.
ऐसे में जब सरकार ने जांच पड़ताल शुरू की तो बड़े खुलासे निकलकर सामने आते हैं. जितने भी विदेशी चेहरों ने ट्विटर पर हैशटैग कैंपेनिंग चलाया था, सभी की फंडिंग खालिस्तानी समर्थक Poetic Justice Foundation नामक एक संस्था ने की थी. जो कि कनाडा से संचालित होती है, जिसके अध्यक्ष एम धारीवाल है. Foundation बराबर खालिस्तान समर्थन से जुड़ी हुई खबर एवं पोस्ट अपने वेबसाइट एवं और पेज पर पोस्ट करती रहती है. खुलासे में यह भी दावा किया गया है कि खालिस्तानी समर्थक फाउंडेशन ने हैशटैग कैंपेनिंग के लिये सुनियोजित एक टूलकिट जारी किया था.
A criminal case against the creators of the 'Toolkit document' has been registered; investigation has been taken up. #ToolkitBooked
— Delhi Police (@DelhiPolice) February 4, 2021
टूलकिट आख़िर होती क्या है?
मौजूदा दौर में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जो आंदोलन होते हैं, चाहे वो ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ हो, अमेरिका का ‘एंटी-लॉकडाउन प्रोटेस्ट’ हो, या फिर पर्यावरण से जुड़ा ‘क्लाइमेट स्ट्राइक कैंपेन’ हो या फ़िर कोई दूसरा आंदोलन. सभी जगह आंदोलन से जुड़े लोग कुछ ‘एक्शन पॉइंट्स’ तैयार करते हैं, यानी कुछ ऐसी चीज़ें प्लान करते हैं, जो आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए की जा सकती हैं.
एक दस्तावेज़ में दर्ज ‘एक्शन पॉइंट्स’ को टूलकिट कहते हैं.
‘टूलकिट’ शब्द इस दस्तावेज़ के लिए सोशल मीडिया के संदर्भ में ही ज़्यादा इस्तेमाल होता है, लेकिन इसमें सोशल मीडिया की रणनीति के अलावा भौतिक रूप से सामूहिक प्रदर्शन करने की जानकारी भी जाती है.
ऐसे में टूलकिट को किसी भी आंदोलन की रणनीति का अहम् हिस्सा कहना ग़लत नहीं होगा.
टूलकिट को दीवारों पर लगाये जाने वाले उन पोस्टरों का परिष्कृत और आधुनिक रूप कह सकते हैं, जिनका इस्तेमाल वर्षों से आंदोलन करने वाले लोग अपील या आह्वान करने के लिए करते रहे हैं.
सोशल मीडिया और मार्केटिंग के विशेषज्ञों या महारथियों के अनुसार, इस दस्तावेज़ का मुख्य मक़सद लोगों (आंदोलन के समर्थकों) में समन्वय स्थापित करना होता है. टूलकिट में यह बताया जाता है कि लोग क्या लिख सकते हैं, कौन से हैशटैग इस्तेमाल कर सकते हैं, किस वक़्त से किस वक़्त के बीच ट्वीट या पोस्ट करने से फ़ायदा होगा और किन्हें ट्वीट्स या फ़ेसबुक पोस्ट्स में शामिल करने से फ़ायदा होगा.
जानकारों के अनुसार, इसका असर ये होता है कि एक ही वक्त पर लोगों के एक्शन से किसी आंदोलन या अभियान की मौजूदगी दर्ज होती है, सोशल मीडिया के ट्रेंड्स में और फिर उनके ज़रिये लोगों की नज़र में आने के लिए इस तरह की रणनीति बनायी जाती है.
सरकार का कड़ा रुख
खुलासे में यह भी दावा किया गया है कि संस्था ने सभी विदेशी चेहरे को भारत की छवि और गरिमा को बदनाम करने के लिए हैशटैग कैंपेनिंग का हिस्सा बनने के लिए बड़ी मात्रा में पैसे भी दिए थे. बीते 4 फरवरी को हैशटैग कैंपेनिंग के बाद जब भारत सरकार ने इस खबर को संज्ञान में लिया, तो सरकार ने ट्विटर के ऊपर नकेल कसने की योजना बनाई.
सरकार का ट्विटर से सवाल था, आखिर तुम्हें अधिकार कहां से मिले कि देश की सीमा के भीतर हो रहे आंदोलन को अपने प्लेटफ़ॉर्म का हिस्सा बनाओ और भारत की अखंडता एकता और भारतवासियों के भावना को आहत करो.
सरकार ने टि्वटर पर यह दबाव बनाया कि जितने भी उस हैशटैग कैंपेनिंग के विदेशी चेहरे थे, उस कैंपेनिंग का हिस्सा थे, सभी का ट्विटर अकाउंट बैन किया जाए और आंदोलन से जुड़े हुए जितने भारतीय टि्वटर अकाउंट है, जो आम जन की भावना को आहत कर रहा है, देश की गरिमा को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं, उन सभी ट्विटर अकाउंट को बैन किया जाए. ट्विटर ने अपनी दलीलें देते हुए कहा कि हम ट्विटर अकाउंट को बैन तो नहीं कर सकते, लेकिन हम आंदोलन से जुड़े हुए अकाउंट को ग्रोअप नहीं करेंगे.
सरकार का अभी भी ट्विटर के ऊपर विरोध बना हुआ है. इसी बीच एक भारतीय एप्लीकेशन जो बिल्कुल ट्विटर की तरह है, जिसका नाम कू ऐप है, इस समय देशवासियों के बीच काफी अधिक पॉपुलर हो चुका है. देश के बहुत से मंत्री और पॉपुलर चेहरे कू पर अपने अकाउंट बनाकर लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि आप ट्विटर की जगह कू को तवज्जो दें. ऐसे में आने वाले समय में ट्विटर कभी भी भारत से बैन किया जा सकता है. सरकार का फैसला देश की गरिमा, आमजन की भावना के लिहाज से उचित है एवं ऐसे में हमारा और आपका कर्तव्य है एक देशवासी होने के नाते कि हम ट्विटर का बहिष्कार करें और कू एप्लीकेशन को अधिक से अधिक अपने सगे संबंधियों के बीच भेज कर इसकी लोकप्रियता में इजाफा करें.
