प्रकृति से सजीव संवाद का अवसर बना मानसून ट्रैकिंग – देशभर से आए सैलानियों ने लिया उत्साहपूर्वक भाग
ठाड़पथरा की वादियों में जीवंत हुई जैव विविधता – पर्यावरण संरक्षण का मिला संदेश
जिले में पनपता पर्यटन, खूबसूरत वादियां आकर्षण का केंद्र
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही

जिला प्रशासन गौरेला-पेंड्रा-मरवाही द्वारा प्रकृति से जुड़ाव और स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित दो दिवसीय मानसून ट्रैकिंग एवं प्रकृति भ्रमण कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रकृति प्रेमियों, विद्यार्थियों, पर्यावरणविदों और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफरों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। यह अनूठा आयोजन 19 और 20 जुलाई को ठाड़पथरा क्षेत्र में संपन्न हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत ग्राम ठाड़पथरा स्थित मड हाउस से हुई। 19 जुलाई की शाम आयोजित पहली ट्रैकिंग में प्रतिभागियों को 100 वर्ष से अधिक पुराने सेमल के ‘मदर ट्री’ का दुर्लभ दर्शन कराया गया। ट्रैकिंग मार्ग पर उन्हें जुगनुओं की टिमटिमाहट, उल्लुओं की गतिविधियां, बिच्छू और कॉमन करैत सांप जैसे वन्यजीवों का सजीव अनुभव मिला। विशेषज्ञों ने इन जीवों के व्यवहार, पारिस्थितिकी तंत्र में उनकी भूमिका और मानव के साथ सह-अस्तित्व पर विस्तार से जानकारी दी।

दूसरे दिन की ट्रैकिंग में दिखी प्रकृति की संपूर्ण छटा
20 जुलाई की सुबह प्रतिभागियों ने ठाड़पथरा से कमर-पत्थरा होते हुए अमरावती गंगा नदी के तट पर स्थित माई के मंडप तक रोमांचकारी ट्रैकिंग की। यह यात्रा जंगल वॉक, रिवर वॉक और जैव विविधता अवलोकन जैसी गतिविधियों से परिपूर्ण रही। हरियाली से आच्छादित जंगल, वर्षा की बूंदें और पक्षियों की चहचहाहट ने इस अनुभव को अविस्मरणीय बना दिया।

कार्यक्रम के दौरान पर्यावरणविद संजय पयासी ने प्रतिभागियों को औषधीय वनस्पतियों, पक्षियों, कीट-पतंगों और वनस्पतियों की पहचान कराई। प्रतिभागियों ने ग्रेट इंडियन हॉर्नबिल, ओरियोल, पपीहा, कठफोड़वा, तोतों के झुंड और रंग-बिरंगे पेंटेड ग्रासहॉपर जैसे दुर्लभ जीवों को निकट से देखा। सावन मास में इन रंग-बिरंगे पक्षियों की उपस्थिति ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

स्थानीय व्यंजनों का स्वाद और बोटिंग का आनंद
कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों ने मड हाउस में स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लिया और पास के तालाब में बोटिंग का आनंद भी उठाया।
प्रतिभागियों ने जिला प्रशासन के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से न केवल प्रकृति के प्रति लगाव बढ़ता है, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार और पर्यटन की संभावनाएं भी मजबूत होती हैं।

पर्यटन को मिलेगा नया आयाम
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जैसे प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण जिले में इस तरह के आयोजन निश्चित रूप से स्थानीय पर्यटन को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
जिला प्रशासन ने भी संकेत दिया है कि भविष्य में ऐसे और कार्यक्रमों की योजना बनाई जाएगी ताकि जिले की जैव विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को देश-दुनिया के सामने प्रस्तुत किया जा सके।

