7 अगस्त को गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की 84वीं पुण्यतिथि पर अंचल के पत्रकारों, साहित्यकारों एवं बुद्धिजीवियों  ने रखी मांग

जिला चिकित्सालय गौरेला पेंड्रा का नामकरण मृणालिनी देवी टैगोर के नाम पर करने की मांग


गौरेला पेंड्रा मरवाही

राष्ट्र गान जन गण मन के रचयिता गुरुदेव कविवर रविंद्र नाथ टैगोर जी की पुण्यतिथि 7 अगस्त को जिले के पत्रकारों साहित्यकारों एवं बुद्धिजीवियों ने गौरेला पेंड्रा मरवाही के जिला चिकित्सालय का नामकरण गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर की पत्न मृणालिनी  देवी टैगोर के नाम पर करने की मांग की है। उल्लेखनीय वर्ष 1902 में गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर अपनी पत्नी मृणालिनी देवी टैगोर का इलाज कराने सेनेटोरियम आए थे जो उन दिनों एशिया में टीवी का एकमात्र जाना माना हॉस्पिटल था। इसी सेनेटोरियम में इलाज के दौरान गुरुदेव की पत्नी का निधन 23 नवंबर 1902 में यही सेनेटोरियम में हो गया था।

बुद्धिजीवियों पत्रकारों एवं साहित्यकारों ने जिला प्रशासन गौरेला पेंड्रा मरवाही के ध्यान में यह बात लाई है कि जन गण मन एवं एकला चलो रे गीत के रचयिता गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर का गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले की माटी से बी जुड़ाव रहा है ।यह बात यहां के ज्यादातर लोग जानते हैं कि गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर का भावनात्मक संबंध इस क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। उनकी यादें इस नर्मदा अंचल से जुड़ी हुई है।वर्ष 1901-02 के आसपास गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर का पेंड्रा की सेनेटोरियम आना जाना  रहा। दरअसल उन दिनों सेनेटोरियम एशिया का  जाना माना टीवी का अस्पताल था। साल वनों से आच्छादित एवं कलकल बहती नदियों के कारण पेंड्रा अंचल आबोहवा स्वास्थ्य के लिए उत्तम है और यही उत्तम आबोहवा टीवी के रोगियों के लिए रामबाण का काम करती थी। उस दौर में टीवी बहुत कठिन और लाइलाज बीमारी थी। गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर की पत्नी श्रीमती मृणालिनी देवी टैगोर टीवी के रोग से ग्रसित थी। गुरुदेव बीमार पत्नी का इलाज कराने सेनेटोरियम आए थे ।यहां काफी समय इलाज के बाद भी स्वस्थ नहीं हुई और 23 नवंबर 1902 को मृणालिनी देवी जी का 28 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। गुरुदेव के जीवन की यह कष्टकारी घटना थी। उन्होंने यही उनका अंतिम संस्कार किया और पत्नी की यादों के साथ वे खाली हाथ कोलकाता लौट गए। इस लिहाज से कह सकते है कि गुरुदेव का गौरेला पेंड्रा मरवाही से भावनात्मक लगाव क्यों ना रहा होगा? इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए पत्रकारों एवं बुद्धिजीवी मांग कर रहे हैं कि गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर की पत्नी श्रीमती मृणालिनी देवी टैगोर की स्मृतियों को चिरस्थाई बनाने के लिए गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में स्थित जिला चिकित्सालय का नामकरण मृणालिनी देवी टैगोर जिला चिकित्सालय किया जाए।


उल्लेखनीय है कि जब छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री थे तो इसी सेनेटोरियम परिसर में उन्होंने पीड़ित मानवता के सेवार्थ लाइफ लाइन एक्सप्रेस शिविर का संचालन कराया था तथा उन्होंने गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर की यादों को जीवंत रखने के लिए सेनेटोरियम परिसर का नामकरण रविंद्र परिसर रखा था।श्री आरपी मंडल जी उन दिनों बिलासपुर के कलेक्टर के पद पर थे तथाआई ए एस श्री जितेंद्र शुक्ला जी एसडीएम पेंड्रा रोड थे। दोनों वरिष्ठ अधिकारी स्वयं लाइफ लाइन एक्सप्रेस की मानिटरिंग कर रहे थे। वर्ष 1901 में गुरुदेव के रेलगाड़ी द्वारा कलकत्ता से बिलासपुर रेलवे स्टेशन और बिलासपुर से पेंड्रारोड रेलवे स्टेशन आने की स्मृतियों को जीवित बनाए रखने के लिए रेल प्रशासन द्वारा बिलासपुर रेलवे स्टेशन में एक शिलालेख पट्टिका लगाई है जिसमें  दो पंक्तियां जो उनकी कविता फाकीं से उद्धृत है।रविंद्र नाथ टैगोर से सेनेटोरियम से जुड़ी  बातों पर शोध करने के लिए वर्ष 2001-02 में छत्तीसगढ़ शासन कि पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजन पीठ के अध्यक्ष साहित्यकार एवं वरिष्ठ पत्रकार सतीश जायसवाल जी के नेतृत्व  में एक दल पेंड्रा गौरेला आया था ,उस दल में रविंद्र संगीत के विशेषज्ञ बिलासपुर के वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि संगीतकार स्वर्गीय मनीष दत्त भी विशेष रूप से आए थे, जिन्होंने यहां सेनेटोरियम में गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर से जुड़ी बातों पर विस्तृत जानकारी इकट्ठा की थी। इस दल में गौरेला पेंड्रा के अनेक पत्रकार एवं बुद्धिजीवी थे। इसी तरह वर्ष 2020 में 10 फरवरी को जब तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पेंड्रा में अरपा महोत्सव कार्यक्रम में आए थे तो उन्होंने पेंड्रा की नदियों के महत्व को रेखांकित करते हुए यहां की आबोहवा जलवायु मौसम की काफी प्रशंसा की थी और उन्होंने इस अवसर पर गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के इस क्षेत्र में प्रवास को याद करते हुए कहा था कि आने वाले समय में उनकी स्मृतियों को लेकर भी यहां कार्यक्रम आयोजित किए जाएं और उनकी स्मृतियों को चिरस्थाई बनाया जाए। इसकी एक कड़ी के रूप में सेनेटोरियम परिसर में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की प्रतिमा बीते 7 मई 2023को उनके जन्मदिवस अवसर पर स्थापित की गई है।

Akhilesh Namdeo

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