छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की चतुर्थ पुण्यतिथि पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा एवं भजन संध्या के साथ भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई
पुण्यतिथि पर याद किए गए अजीत जोगी
प्रदेश के कोने-कोने से जोगी समर्थक पहुंचे पुण्यतिथि कार्यक्रम में

अखिलेश नामदेव
छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्व अजीत प्रमोद जोगी की चतुर्थ पुण्यतिथि के अवसर पर उनके ग्रेव्यार्ड पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा एवं भजन संध्या का आयोजन किया गया। पुण्यतिथि कार्यक्रम में पेंड्रा गौरेला मरवाही सहित प्रदेश भर के उनके समर्थक बड़ी संख्या में उपस्थित हुए और भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई ।
स्वर्गीय अजीत जोगी की चौथी पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में उनके समर्थकों ने उन्हें याद करते हुए उन्हें अपराजेय योद्धा बताया। इस अवसर पर अजीत जोगी के खास समर्थक एवं प्रदेश छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के उपाध्यक्ष पंडित रामनिवास तिवारी ने कहा कि अजीत जोगी कि उनके राजनीतिक विरोधी भी उनके प्रशंसक बन जाते थे।

अजीत जोगी भारत की राजनीति में एक ऐसा राजनीतिक चेहरा था जो गरीब पिछड़े हरिजन आदिवासियों की राजनीति करता था। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अशोक नगाइच ने कहा कि नर्मदा खंड गौरेला पेंड्रा अंचल में जन्मे पले बढ़े अजीत जोगी में छात्र जीवन से ही प्रतिभा कूट-कूट कर भरी थी। एक गरीब परिवार में जन्म लेने के बावजूद वे पहले इंजीनियर फिर आईपीएस अधिकारी फिर आईएएस एवं बाद में राजनीति में ऊंचाइयों पर रहे।

ग्रामीण नेता राम शंकर राय ने कहा कि सीधी शहडोल इंदौर एवं रायपुर में एक चर्चित एवं संवेदनशील कलेक्टर के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले अजीत जोगी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के कहने से आईएएस की नौकरी छोड़ कर कांग्रेश की राजनीति में प्रवेश किए। वे कांग्रेसमें राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए गए बाद में उन्हें कांग्रेस में राज्यसभा सदस्य मनोनीत किया गया। अजीत जोगी जी के जीवन में राजनीतिक मोड़ तब आया जब उन्हें कांग्रेस पार्टी ने नए छत्तीसगढ़ राज्य गठन उपरांत वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाया।

मथुरा सोनी ने कहा कि तमाम विरोधाभास के बावजूद अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनाए गए तथा उन्होंने मरवाही विधान सभा क्षेत्र से फरवरी 2001 में विधायक का उपचुनाव लड़ा। उस चुनाव की खास बात यह थी कि अजीत जोगी के लिए मरवाही सीट भाजपा के तत्कालीन विधायक रामदयाल उइके ने खाली की। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक आसमान में यह एक बड़ी घटना थी कि किसी बड़े विपक्षी राजनीतिक दल के विधायक द्वारा विरोधी दल के मुख्यमंत्री के लिए अपनी सीट खाली की गई। अजीत जोगी सुरक्षित आदिवासी सीट मरवाही से 52000 से भी अधिक मतों से विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद तो जैसे छत्तीसगढ़ में विधायकों का अजीत जोगी के पक्ष में बड़ी संख्या में विधायक एवं नेता समर्थन देते हुए कांग्रेश प्रवेश किया।

वरिष्ठ नेता एस.एन.तिवारी ने कहा अजीत जोगी के छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बनने तथा बाद में मरवाही विधायक चुने जाने का सुखद परिणाम यह हुआ कि छत्तीसगढ़ का दूरस्थ वनांचल क्षेत्र में फैले मरवाही विधानसभा क्षेत्र के गांवों में विकास की रोशनी पहुंची। जोगी जी मुख्यमंत्री बनने के बाद मरवाही विधानसभा के सुदूर वनांचल गांव बस्ती बगरा, से लेकर अंधियारखोर, डांडजमड़ी से लेकर कांसबहरा बेलझिरिया जलेश्वर जैसे दुर्गम स्थानों एवं पहाड़ों से होकर सड़कों का जाल बिछाया। मरवाही क्षेत्र में सिंचाई योजनाओं पर कार्य शुरू किया गया। बिजली पहुंचाई गई स्वास्थ्य सुविधाओं को उन्नत करने का प्रयास किया गया तथा उनके मुख्यमंत्री रहते तथा मुख्यमंत्री रहने के बाद अभी पर्यंत उन्होंने मरवाही क्षेत्र के ग्रामीण जनता का मान सम्मान एवं मनोबल बढ़ाया।

मरवाही विधानसभा क्षेत्र के युवा नेता मनोज साहू ने कहा कि गांव के छोटे छोटे कार्यकर्ताओं को नेता के रूप में पहचान दी तथा लीडरशिप पैदा की। जिन गरीब लोगों की कोई नहीं सुनता था उन लोगों की आवाज बन जाते थे अजीत जोगी।जोगी के मुख्यमंत्री रहते यहां विकास के अनेक बड़े-बड़े काम हुए। अजीत जोगी के मरवाही क्षेत्र से नेतृत्व संभालने के बाद भारत के राजनीतिक नक्शे में मरवाही को एक बड़ा नाम मिला जो मरवाही क्षेत्र के लिए गौरव का विषय रहा। मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए विधानसभा उप चुनाव फरवरी 2001के समय ही अजीत जोगी जी ने मरवाही एक एक गांव का दौरा किया। एक एक ग्रामीण का विश्वास जीता। ग्रामीणों से सीधे जुड़े तथा मरवाही ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ में एक लोकप्रिय जन नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई।

युवा नेता निर्माण जायसवाल ने कहा कि अजीत जोगी मुख्यमंत्री रहे तो आम आदमी की पहुंच सीधे सीएम हाउस एवं मंत्रालय में रही। कोई आडंबर या आवरण अजीत जोगी अपने और आम ग्रामीण के बीच में रखना पसंद नहीं करते थे। वे ग्रामीणों से सीधे संवाद करना पसंद करते थे। मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद भी आखरी तक रायपुर में अजीत जोगी के सागौन बंगले से लेकर पूरे छत्तीसगढ़ एवं गौरेला पेंड्रा मरवाही तक अजीत जोगी के पीछे जनता का हजूम जमा होता रहा। युवा नेता संतोष साहू ने कहा अजीत जोगी ने मरवाही का आम आदमी इस बात को समझ चुका था कि अजीत जोगी के रूप में उन्हें मजबूत नेतृत्व मिला है इसलिए तमाम बदलती हुई राजनीतिक परिस्थितियों के बावजूद मरवाही विधानसभा क्षेत्र से अजीत जोगी जीवन पर्यंत अपराजेय रहे।

अलग-अलग वक्ताओं ने अपने उद्बोधन में कहा कि अजीत जोगी का पूरा जीवन राजनीतिक उतार-चढ़ाव से भरा रहा इसके बावजूद भी वह कभी चुनौतियों से नहीं हारे ,वे हर परिस्थितियों में संघर्ष के लिए तैयार रहें। वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से अजीत जोगी के प्रतिकूल राजनीतिक परिस्थितियां निर्मित होती रही उनके बावजूद अजीत जोगी पूरे दमखम के साथ मरवाही विधानसभा सहित छत्तीसगढ़ में अपने समर्थक नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ रहे। ग्रामीण नेता प्रदीप श्रीवास्तव ने स्वर्गीय को याद करते हुए कहा कि अपने छोटे से छोटे काम या बड़े से बड़े काम के लिए मरवाही क्षेत्र का कोई ग्रामीण यदि अजीत जोगी के पास जाता तो अजीत जोगी उसका हाल चाल पूछ कर यही बोलते कि किसे फोन करु,।

ग्रामीण की समस्या को समझ कर अजीत जोगी अपने निजी सहायकों को निर्देश देते कि फला मंत्री या फलां अधिकारी को फोन लगाओ,, और बड़ी से बड़ी मुश्किलों से अजीत जोगी ग्रामीण को निजात दिला देते यही कारण रहा कि अजीत जोगी को मरवाही में भरपूर समर्थन एवं प्यार मिलता रहा। स्वर्गीय अजीज जोखी की चौथी पुण्यतिथि पर गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले छत्तीसगढ़ के कोने-कोने से जोगी समर्थक पुण्यतिथि कार्यक्रम में भाग लेने गौरेला पहुंचे थे। इस अवसर पर स्वर्गीय अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी सपरिवार उपस्थित थे।

