गौरेला में भाजपा नेताओं के बीच खुली गुटबाजी — सीसी रोड निर्माण को लेकर नगर पालिका अध्यक्ष और पिछड़ा वर्ग जिलाध्यक्ष आमने-सामने, नगरीय प्रशासन मंत्री को भेजी गई शिकायत
नगर पालिका अध्यक्ष ने आरोपों को नकारा, कहा — “निर्माण कार्य टेंडर सीमा तक”
सड़क निर्माण की राजनीति अब पार्टी के भीतर विवाद का कारण बनी

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही
गौरेला नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 05 में सीसी रोड निर्माण को लेकर भाजपा के दो प्रमुख नेताओं के बीच सीधा टकराव सामने आया है। मामला इतना गंभीर हो गया कि भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद संदीप जायसवाल ने नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश दुबे के खिलाफ नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव को लिखित शिकायत भेज दी है। उन्होंने निर्माण कार्य में जानबूझकर भेदभाव का आरोप लगाया है।
क्या है विवाद का मामला?
पूरन तालाब परिसर के सामने, वार्ड क्रमांक 05 में 200 मीटर सीसी रोड निर्माण कार्य की स्वीकृति दी गई थी, जिसका काम 1 जुलाई से शुरू भी हो चुका है। लेकिन संदीप जायसवाल का आरोप है कि नगर अध्यक्ष मुकेश दुबे ने निर्माण एजेंसी को स्पष्ट निर्देश दिया कि संदीप जायसवाल के घर के सामने सड़क न बनाई जाए। जायसवाल का दावा है कि नगर अध्यक्ष ने यह तक कहा —
“संदीप जायसवाल के घर के सामने एक इंच रोड नहीं बनने दूंगा।”

पूर्व पार्षद ने कहा कि जिस हिस्से को छोड़ा गया है, वह वार्ड का सबसे जर्जर और खराब सड़क वाला इलाका है, जिसकी मरम्मत स्थानीय जनता की भी प्राथमिक मांग थी। उन्होंने अपने शिकायत पत्र में क्षेत्र की खस्ताहाल सड़कों के फोटो भी संलग्न किए हैं।

नगर पालिका अध्यक्ष का स्पष्टीकरण — टेंडर की सीमा में नहीं आता हिस्सा
इस मामले पर सफाई देते हुए नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश दुबे ने सभी आरोपों को निराधार बताया और कहा —
“जारी टेंडर की लंबाई 200 मीटर है, जो मंजू जायसवाल के घर से 50 फीट पहले समाप्त हो जाती है। यदि उस क्षेत्र में निर्माण कराना है तो परिषद को प्रस्ताव बनाकर शासन से स्वीकृति लेनी होगी।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि टेंडर और तकनीकी स्वीकृति के अनुसार ही निर्माण की सीमा तय की गई है और इसमें किसी प्रकार की व्यक्तिगत दुर्भावना नहीं है।
भाजपा में अंतर्विरोध या राजनीतिक दबाव?
गौरतलब है कि संदीप जायसवाल और मुकेश दुबे दोनों ही भाजपा से जुड़े हुए हैं। पार्टी के भीतर यह टकराव कोई नया नहीं है। सूत्रों की मानें तो नगर पालिका चुनाव के दौरान प्रचार और टिकट वितरण को लेकर दोनों नेताओं के बीच तनाव पनपा था, जो अब तक बना हुआ है। अब विकास कार्यों को लेकर भी दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई खुलकर सामने आ रही है।

इस घटनाक्रम को लेकर भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं में भी असमंजस और नाराजगी की स्थिति है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि यह मतभेद जल्द नहीं सुलझा, तो इसका असर पार्टी की छवि और आने वाले नगरीय चुनावों पर भी पड़ सकता है।

