पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला: जनता के प्रतिनिधि एक दबंग राजनेता
विधान पुरुष पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला जी 18 वीं पुण्यतिथि पर विशेष

संस्मरण लेख श्री अक्षय नामदेव ( पेंड्रा )
यदि मुझसे कोई पूंछे की जन प्रतिनिधि कैसा होना चाहिए?? मेरा जवाब होगा पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला जैसा ।
आप सोचेंगे कि जरूर पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला जी से मेरी निकटता रही होगी तभी मैं उनका नाम इस रूप में ले रहा हूं परंतु निकट में मुझे संकोच नहीं की मुझे उनकी निकटता प्राप्त कभी नहीं रही इसके बावजूद एक सक्षम जनप्रतिनिधि के रूप में मैं पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला को विशेष पसंद करता रहा। आज 20 अगस्त को पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला जी की 18 वीं पुण्यतिथि पर उनका स्मरण आया तो उनसे जुड़ी कई बातें आंखों के सामने गुजरने लगी।
दरअसल पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला दो दशक से ज्यादा तक कोटा विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहते हुए अविभाजित मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष, सामान्य प्रशासन मंत्री विधि विधाई मंत्री, ग्रामोंद्योग मंत्री सिंचाई मंत्री तथा छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ के प्रथम विधानसभा अध्यक्ष रहे थे अभिभाजित मध्य प्रदेश तथा नए छत्तीसगढ़ राज्य में इतने जिम्मेदार पदों पर रहने वाले पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला को मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ की राजनीति से जुड़ा ऐसा कौन व्यक्ति होगा जो उन्हें नहीं जानता होगा। हमारे कोटा विधानसभा क्षेत्र के विधायक होने के कारण उनका पेंड्रा गौरेला क्षेत्र में हमेशा आना-जाना लगा रहता था। पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की छवि एक ऐसे दबंग राजनेता की रही जो जब विपक्ष में रहे तो जन समस्याओं के लिए रेल की पटरियों पर बैठ जाया करते थे और जब सत्ता में रहे तब जनता की समस्या सामने आने पर भरी सभा में ही जिम्मेदार अधिकारी से समस्या एवं समस्या के निराकरण के संबंध में पूंछताछ शुरू कर दिया करते थे ,तथा जन समस्या की अनदेखी करने वाले अधिकारियों की भरी सभा में ही खिंचाई किया करते थे। जनता के बीच सीधा एवं निष्पक्ष संवाद उनका स्वभावगत गुण था। जब वह पहली बार कोटा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए पेंड्रा में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे तब उन्होंने अपने एक भाषण में अनायास ही कह डाला था “यदि झोपड़ों में आंसू बहे तो महलों में आग लगा दूंगा।”उनके इस उद्बोधन की चर्चा लंबे समय तक चलती रही थी। उनका यही एक पहलू था कि उन्हें जनता का पक्षधर नेता कहा गया। अनेक सभाओं में तो वह अपने कार्यकर्ताओं तक की खिंचाई कर देते थे।
पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला जी एक विद्वान अध्यनशील राजनेता थे। किसी भी विषय पर उनका गहराई से अध्ययन था। जनता के बीच उनका उद्बोधन सुनने योग्य रहता था जिसमें ज्ञान की रसधारा बहती थी। पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ल जी ने अनेक किताबें लिखी थी तथा पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ल पर अध्ययनशी लोगों ने लिखा है ।पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला को राजनीतिक कार्यक्रमों से ज्यादा सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने में बड़ी दिलचस्पी रहती थी। वे अक्सर रचनात्मक कार्यों में लगे युवाओं का प्रोत्साहन करते थे परंतु उन्हें ठकुर सुहाती बिल्कुल पसंद नहीं थी।दिखावा करने वालों की वे जन सामान्य के बीच में हवा निकाल दिया करते थे। सर्वोदय नेहरू युवा मंडल पेंड्रा के कार्यक्रम हो या कपिलधारा लोकल ट्रेन की मांग को लेकर पेंड्रा के युवकों की पदयात्रा रही हो। सब में उनकी भागीदारी रहती थी। अभिभाजित मध्य प्रदेश में सरकार का बजट काफी कम होता था उसके बावजूद पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला का नेतृत्व ऐसा था कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ते थे जबकि उनके विधानसभा क्षेत्र में पेंड्रा गौरेला कोटा रतनपुर बेलगहना जैसे नगर के अलावा उत्तर में बंधी तथा दक्षिण में जाली तक के 200 से ज्यादा गांव शामिल थे। उनके विधायकी कार्यकाल में उन्होंने कोटा विधानसभा क्षेत्र में विकास के काफी काम किये। अनेक सिंचाई परियोजनाओं की नींव रखी। गौरेला पेंड्रा में अनेक विभागों के बड़े कार्यालयों की स्थापना कराई। पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला इतने बड़े कोटा विधानसभा क्षेत्र के गांव गांव के कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के बीच गजब का तालमेल बनाकर रखते थे जो आजकल के नेताओं में कम ही देखा जाता है।कुछ मामलों में विद्रोधाभास की स्थिति बनने के बावजूद वे क्षेत्र से सतत जनसंपर्क में रहते थे। उनके दौरा कार्यक्रम का क्षेत्र के लोगों का इंतजार रहता था। अपने आगमन में उन्होंने क्या इस पर सबकी नजर रहती थी। इतने बड़े विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला तमाम राजनीतिक उतार चढ़ाव के बावजूद जनता के प्रिय अंतिम समय तक बन रहे। 20 अगस्त 2006 का वह दिन था जब उन्होंने अंतिम सांसें ली। मुझे ठीक ढंग से वह दिन याद है जब सुबह 9:00 बजे लगभग उनके निधन का समाचार मिला था तब स्वाभाविक रूप से मन बेचैन हो उठा था परंतु बिलासपुर उनके अंतिम संस्कार में जाने के लिए साधन की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी तब मैंने अपने सहपाठी मदन सोनी से चर्चा की और हम दोनों में मोटरसाइकिल से जाने की सहमति बनी तथा उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए। आज पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला इस संसार में नहीं है परंतु उनकी याद रह जाती है।। स्मरण बना ही रहता है। आखिर वे हमारे कोटा विधानसभा क्षेत्र के एक दबंग राजनेता थे।
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पुण्यतिथि पर सादर विनम्र श्रद्धांजलि शत-शत नमन 🙏🏽
अक्षय नामदेव पेंड्रा छत्तीसगढ़ मोबाइल 9406 213643

