छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के अनुपूरक बजट में पेंड्रा बाईपास सड़क के लिए बजट के स्वीकृति की उम्मीद-

छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के अनुपूरक बजट में पेंड्रा बाईपास सड़क के लिए बजट के स्वीकृति की उम्मीद-

पेंड्रा बाईपास निर्माण नहीं होने के कारण जिले के लोगों को भयंकर तकलीफ रोजाना हो रही है दुर्घटनाएं

पेंड्रा बाईपास निर्माण प्रारंभ कराए जाने हेतु मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पेंड्रा नगर पंचायत अध्यक्ष राकेश जालान ने सौंपा है ज्ञापन

अखिलेश नामदेव ( गौरेला पेंड्रा मरवाही )

चुनावी साल में लगभग 23 दिन बाद 18 जुलाई से शुरू होने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के अनुपूरक बजट में पेंड्रा बाईपास के लिए अतिरिक्त बजट की स्वीकृति की उम्मीदें पेंड्रा वासियों ने लगा रखी है। महज कुछ रुपयों की कमी के कारण पेंड्रा के 13 किलोमीटर लंबे बाईपास का निर्माण लंबित है जिसके कारण पूरे गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के लोगों को आवागमन संबंधी भयंकर तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। पेंड्रा बाईपास के अभाव में रोज दुर्घटनाएं हो रही हैं तथा यातायात व्यवस्था का दम निकल चुका है। बाईपास सड़क नहीं होने के कारण जबलपुर, बिलासपुर, रायपुर,अंबिकापुर अमरकंटक, शहडोल सड़क मार्ग की ओर जाने वाले भारी वाहन जब पेंड्रा शहर के बीच से दुर्गा चौक बस स्टैंड होते हुए सकरे सड़क मार्ग से गुजरते हैं तो आम जनों की जान सांसत में पड़ जाती है खासकर तब जब ट्रेलर और हाईवा जैसे वाहन नो एंट्री समाप्त होने के बाद शहर से गुजरते हैं तब यातायात व्यवस्था का भगवान ही मालिक रहता है। बीते 19 जून को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पेंड्रा प्रवास पर नगर पंचायत अध्यक्ष राकेश जालान ने मुख्यमंत्री को इस समस्या से अवगत कराते हुए पेंड्रा बाईपास निर्माण प्रारंभ कराए जाने की मांग रखी है।

13 किलोमीटर लंबे पेंड्रा बाईपास सड़क नहीं बनने से पेण्ड्रा शहर के बीच से गुजरने वाली पुरानी मुख्य सड़क में यातायात का दबाव पहले से ही काफी बढ़ा हुआ था और अब जिला बनने के बाद तो यातायात को व्यवस्थित करने के लिए बाईपास अत्यंत जरूरी है। कोरबा मनेंद्रगढ़ अंबिकापुर बिलासपुर रायपुर शहडोल जबलपुर को जोड़ने वाले पेंड्रा शहर में यातायात का दबाव इतना अधिक है किअत्यधिक है कि प्रशासन को नो एंट्री करना पड़ रहा है तथा पेंड्रा शहर के चारों ओर की सड़कों पर बड़े-बड़े भीमकाय वाहन रास्ते में खड़े रहते हैं और आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। नो एंट्री खुलने के बाद बड़े-बड़े वाहन शहर के बीचो बीच से गुजरते हैं जिससे यातायात अनियंत्रित हो जाता है तथा लोगों के जान के लाले पड़ जाते हैं। बाईपास सड़क के अभाव में आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं तथा अनेक नागरिक बेवजह मौत का शिकार हो रहे हैं। पेंड्रा नगर की यातायात की इस समस्या एवं अव्यवस्था को समझते हुए पेण्ड्रा बाईपास सड़क निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई थी तथा इसके निर्माण के भूमि पूजन का कार्य करते हुए 54 करोड़ रुपए एकमुश्त स्वीकृत किया था। शासन द्वारा स्वीकृत 54 करोड़ की राशि लोक निर्माण विभाग संभाग पेंड्रा के खाते में जमा भी कर दी गई थी । पेंड्रा के के चारों ओर प्रस्तावित एवं स्वीकृतलगभग 13 किलोमीटर लंबी यह बाईपास सड़क के निर्माण की पूरी कार्य योजना बनने के बाद सड़क निर्माण की नई नीति के तहत अधिग्रहित जमीन की मुआवजा राशि बढ़ गई है तथा मुआवजा राशि के लिए बजट की स्वीकृति नहीं हो पाई है इसलिए 13 किलोमीटर लंबे बाईपास सड़क निर्माण की स्वीकृति के बावजूद भी सड़क निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सका है जबकि बाईपास सड़क के निर्माण
शिलान्यास 24 सितंबर 2018 को तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के द्वारा कर दिया गया गया था। वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के बुरी तरह चुनाव में हार जाने के बाद पेंड्रा की इस बाईपास योजना को भुला दिया गया था।


यहां पर उल्लेखनीय है कि 13 किलोमीटर लंबी पेण्ड्रा बाईपास सड़क पेंड्रा से सटे 7 गांवों से होकर गुजरेगी जिससे पेंड्रा का विस्तार संभव होगा वही यह गांव भी बाईपास सड़क के माध्यम से विकास की मुख्यधारा में आ सकेंगे और पेंड्रा शहर के भीतर से यातायात का दबाव कम हो जाएगा। बाईपास सड़क जिन गांव से होकर गुजरेगी उनमें दुवटिया ,कुडकई,अड़भार, अमरपुर, पेण्ड्रा, सेमरा, बंधी सेमरा,भदौरा, अमरपुर पेंड्रा है इस सड़क के निर्माण में इन उल्लेखित गांव के 288 किसान प्रभावित हो रहे हैं जिनकी 26 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित कर ली गई है। शुरु में कुछ किसानों को मुआवजा दिया जा रहा था परंतु बाद में सड़क की चौड़ाई में परिवर्तन किए जाने के कारण अधिग्रहित भूमि की मुआवजा राशि बढ़ गई है परंतु शासन द्वारा मुआवजा हेतु अतिरिक्त बजट स्वीकृत नहीं हुआ है जिसके कारण मुआवजा वितरण कार्य रोक दिया गया है और इसी के कारण बाईपास सड़क का निर्माण प्रारंभ नहीं किया जा सका है परंतु मुआवजा वितरण नहीं हो सका है। मुआवजा संबंधी समस्या के समाधान एवं बाईपास सड़क के निर्माण प्रारंभ किए जाने की मांग को लेकर पेंड्रा नगर पंचायत अध्यक्ष राकेश जालान ने बीते 19 जून को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पेंड्रा प्रवास के दौरान एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें उन्होंने पेंड्रा बाईपास के निर्माण प्रारंभ किए जाने की मांग की है ताकि जिले के लोगों को इस समस्या से मुक्ति मिले तथा पेंड्रा शहर का चौतरफा विकास हो।

विधानसभा के अनुपूरक बजट में पेंड्रा बाईपास शामिल नहीं हुआ तो बनेगा चुनावी मुद्दा

जिस तरह से पेंड्रा बाईपास निर्माण की आवश्यकता जिले वासियों को महसूस हो रही है उसे देखते हुए सत्तासीन कांग्रेस से जुड़े नेता चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव के पूर्व पेंड्रा बाईपास सड़क का निर्माण प्रारंभ हो जाए। पेंड्रा बाईपास पेंड्रा नगर सहित पूरे जिले की आवश्यकता इस तरह से बन गई है कि यदि इसे विधानसभा चुनाव के पूर्व प्रारंभ नहीं किया गया आगामी विधानसभा चुनाव में यह विपक्षी पार्टियों के लिए बड़ा चुनावी मुद्दा होगा। खासकर तब जब मरवाही विधानसभा उपचुनाव में जनता ने मरवाही के विधायक डॉक्टर के के ध्रुव को रिकॉर्ड मतों से जीत आया है वही स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी इस बार चाहते हैं कि कोटा विधानसभा में एक बार फिर कांग्रेसका परचम लहराए। कोटा एवं मरवाही की चुनावी राजनीति मैं आम जनमानस के बीच पेंड्रा बाईपास का मामला स्वाभाविक रूप से बड़ा मुद्दा रहेगा। वर्ष 1995 में पेंड्रा नगर पंचायत के अध्यक्ष रह चुके जन नेता इकबाल सिंह सरदार भी मानते हैं कि पेंड्रा बाईपास जरूरत है इस जिले और पेंड्रा नगर की। शायद यही कारण रहा कि 4 महीने पूर्व पेंड्रा बाईपास सड़क निर्माण के लिए शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए सर्वदलीय मंच के तत्वाधान में पदयात्रा कर प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा जा चुका है तथा इस समस्या को समझते हुए स्वयं नगर पंचायत अध्यक्ष पेंड्रा राकेश जालान जो वर्तमान में मरवाही विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक समन्वयक हैं ने भी मुख्यमंत्री से पेंड्रा बाईपास सड़क के निर्माण का अनुरोध बीते 19 जून को किया है। ऐसे में उम्मीद है कि इस सरकार के अंतिम विधानसभा सत्र 18 जुलाई से 21 जुलाई तक चलने वाले चार दिवसीय सत्र के अनुपूरक बजट में पेंड्रा बाईपास को स्वीकृति मिले।

Akhilesh Namdeo

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