छत्तीसगढ़ की धरती को गर्व — यहां भगवान को माता कौशल्या और मौसी शबरी मिलीं,जीव का कल्याण केवल भगवान की भक्ति से संभव — जगतगुरु रामभद्राचार्य
हिरण्यकश्यप और भक्त प्रह्लाद की कथा से मिली धर्म और आस्था की सीख

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही
भागवत कथा का चौथा दिन
श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन जगतगुरु श्री स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने कहा कि आत्माओं की शांति और जीवों के कल्याण के लिए ही वे यह कथा कह और सुना रहे हैं। उन्होंने कहा कि “जब संत जन कथा करें तो भगवान श्रोता के दो कानों में दस हज़ार कानों की शक्ति प्रदान करते हैं।”

महाराज श्री ने कहा कि मनुष्य को व्यर्थ नहीं बैठना चाहिए, यदि समय मिले तो भगवान का स्मरण, जप और पूजा-अर्चना अवश्य करनी चाहिए। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन का कल्याण होता है। उन्होंने कहा कि संसार और भगवान में यही अंतर है कि संसार से लगाव लोग एक दिन छोड़ देते हैं, पर भगवान से लगाव लगाने वाला कभी नहीं छोड़ा जाता।

जगतगुरु श्री रामभद्राचार्य ने कहा कि हिंदुओं को किसी लालच या प्रलोभन में आकर अपना धर्म नहीं छोड़ना चाहिए। जब तक भारत की 80 प्रतिशत आबादी हिंदू नहीं होगी, तब तक यह देश पूर्णतः हिंदू राष्ट्र नहीं बन सकता।
उन्होंने कहा कि साधुओं की रक्षा स्वयं हनुमान जी करते हैं और दुष्टों का नाश भी वही करते हैं। छत्तीसगढ़ की महिमा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि “यह वही पवित्र भूमि है जहां भगवान श्रीराम को माता कौशल्या मिलीं और मौसी के रूप में शबरी भी मिलीं।”

कथा के दौरान जगद्गुरु श्री ने भगवान के विभिन्न अवतारों, बलराम जी और श्रीकृष्ण के दिव्य कार्यों, और धर्म किसकी शरण में गया था, इन प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया।
उन्होंने विशेष रूप से भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान की भक्ति में सच्चा विश्वास रखने वाला भक्त कभी अकेला नहीं होता। प्रह्लाद की निष्ठा ने साबित किया कि जब भक्ति अटल हो, तो स्वयं भगवान भी अपने भक्त की रक्षा के लिए प्रकट हो जाते हैं।
जगतगुरु श्री रामभद्राचार्य जी ने कहा कि भगवान की 11 आसक्तियां ही भक्ति का रूप ले लेती हैं और भगवान की भक्ति से ही जीव का उद्धार संभव है। उन्होंने बताया कि “उदार” शब्द का अर्थ है — बड़ा होकर जो छोटों से मिले, वही सच्चा उदार कहलाता है।
उन्होंने कहा कि वे कथा पैसे के लिए नहीं करते — “कथा ही मेरा विश्राम और जीवन का लक्ष्य है।”

कथा स्थल पर आज भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। भक्तों ने जयघोष करते हुए श्रीकृष्ण जन्म का उत्सव मनाया।
आयोजन स्थल पर प्रकाश, पेयजल, बैठक व्यवस्था, सुरक्षा और यातायात के समुचित प्रबंध किए गए हैं। भक्ति, ज्ञान और आध्यात्मिकता से ओतप्रोत यह आयोजन पूरे क्षेत्र में श्रद्धा,भक्ति माहौल बनाए हुए है।


