राहुल गाँधी जलीकट्टू को बताया तमिल संस्कृति पहुँचे देखने कभी किया था, जम के विरोध

यहूदी नववर्ष कहें या फिर अन्तर्राष्ट्रीय नववर्ष बात लगभग बराबर ही है ,वजह कैलेंडर में तारीखे बदलती है साल बदलता है वैसे बात करे अपने भारत के नव वर्ष की तो चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा से नव वर्ष की शुरुआत होती बस मानने और मनाने वालों के लिये । जनवरी माह के दूसरे सप्ताह में 13 से 15 तारीख त्योहारों के लिये जाना जाता है सम्पूर्ण भारत किसी न किसी नाम से त्यौहार का जश्न मनाता है जैसे उत्तर भारत में लोहड़ी और मकर संक्रांति वैसे ही साउथ के तमिलनाडु में पोंगल त्यौहार मनाने के साथ साथ “जल्लिकट्टू महोत्सव” भी मनाया जाता है. इस महोत्सव में लोग सांड को पकड़ने की कोशिश करते हैं.
अभी सियासी मुद्दा जान लीजिये
तमिलनाडु के मदुरई के अवनीयापुरम में जलीकट्टू का खेल शुरू हो चुका है। कॉन्ग्रेस ने जिस खेल को कभी ‘बर्बर’ बताकर भाजपा पर इसके राजनीतिकरण का आरोप लगाया था, उसी जलीकट्टू का मजा लेने कांग्रेस नेता राहुल गाँधी अवनियापुरम के इस कार्यक्रम में पहुँच चुके हैं।
सोशल मीडिया पर राहुल गाँधी की जलीकट्टू में शामिल होने को लेकर जमकर खिंचाई हो रही है। वर्ष 2016 में, कॉन्ग्रेस ने जल्लीकट्टू को ‘बर्बर’ हरकत कहते हुए भाजपा पर इसे समर्थन देकर राजनीति करने का आरोप लगाया था।
राहुल गाँधी शायद ये भूल गए कि उन्हीं की पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और यहाँ तक कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस जलीकट्टू को ‘हिंसक’ और पशुओं पर अत्याचार वाला खेल बता चुके हैं। यही नहीं, साल 2016 के कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में जलीकट्टू को प्रतिबंधित करना भी शामिल था।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने बृहस्पतिवार (जनवरी 14, 2021) को जलीकट्टू में शामिल होने के बाद बयान दिया, “मैं यहाँ आया हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि तमिल संस्कृति, भाषा और इतिहास भारत के भविष्य के लिए आवश्यक हैं और इसका सम्मान करने की आवश्यकता है।”
राहुल गाँधी ने कहा कि तमिल संस्कृति को देखना काफी प्यारा अनुभव था और उन्हें ये देखकर बेहद खुशी हुई कि जलीकट्टू को व्यवस्थित और सुरक्षित तरीके से आयोजित किया जा रहा है। राहुल ने कहा कि वो उन लोगों को संदेश देने के लिए गए हैं, जो ये सोचते हैं कि वो तमिल संस्कृति को खत्म कर देंगे।
जल्लीकट्टू” शब्द का अर्थ
तमिल भाषाविदों के अनुसार “जल्ली” शब्द दरअसल “सल्ली” से बना है जिसका अर्थ “सिक्का” और कट्टू का अर्थ “बांधा हुआ” है| दरअसल “जल्लीकट्टू” सांडों का खेल है जिसमें उसके सींग पर कपड़ा बांधा जाता है और जो खिलाड़ी सांड के सींग पर बांधे हुए इस कपड़े को निकाल लेता है और सबसे लम्बे समय तक सांड के कूबड़ को पकडे रहता है उसे इनाम दिया जाता है. इन इनामों में 2 कार, 10 मोटरसाइकिल, 700 साइकिल, सोने और चांदी के सिक्के और घरेलू उपकरण शामिल होते हैं.
प्राचीन तमिल संगम में “जल्लीकट्टू” को “एरूथाजहूवुथल” नाम से वर्णित किया गया है जिसका अर्थ “सांड को गले लगाना” है| साथ ही इसे “मंजू विराट्टू” नाम से भी वर्णित किया गया है जिसका अर्थ “सांड का पीछा करना” है|
“जल्लीकट्टू” के प्रकार
“जल्लीकट्टू” महोत्सव के अंतर्गत तीन तरह के खेल का आयोजन किया जाता है:
1. वती विराट्टू: इस खेल में एक सांड को एक बाड़े में छोड़ दिया जाता है और एक निश्चित दूरी और समय में उसे पकड़ने वाले को पुरस्कार दिया जाता है|
2. वेली विराट्टू: इस खेल में एक सांड को खुले मैदान में छोड़ दिया जाता है और सांड को वश में करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया जाता है|
3. वातं मंजूविराट्टू: इस खेल में सांड को एक 50 फुट लंबी रस्सी (15 मीटर) से बांधा जाता है और प्रतिभागियों की टीम को एक विशेष समय के भीतर सांड को वश में करना होता है|
जल्लीकट्टू महोत्सव आम तौर पर पोंगल त्योहार के अवसर पर “मट्टू पोंगल के दिन” आयोजित किया जाता है| यह त्योहार तमिलनाडु के अलावा महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों में भी प्रसिद्ध है|
जल्लीकट्टू” महोत्सव पर रोक लगाने के कारण
दरअसल इस महोत्सव को लेकर एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें दिखाया गया था कि महोत्सव से पहले सांडो को शराब पिलाई जाती है। साथ ही दौड़ शुरू होने से पहले सांडो को बुरी तरह से मारा जाता है जिसके कारण जब दौड़ शुरू होती है तो वो गुस्से में बेतहाशा दौड़ते हैं।
इस वीडियों को संज्ञान में लेते हुए “एनीमल वेल्फेयर बोर्ड ऑफ इंडिया”, “पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स (पेटा) इंडिया और बैंगलोर के एक एनजीओ ने इस दौड़ को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी|
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई 2014 को “जल्लीकट्टू महोत्सव” पर रोक लगा दी थी और साथ ही यह आदेश भी जारी की थी कि रोक केवल तामिलनाडु में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लागू होगी। लेकिन केन्द्र सरकार ने 7 जनवरी, 2017 को इस विवादित “जल्लीकट्टू” महोत्सव से रोक हटा दी थी।
