ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट क्या है, जो तबाह हो गया

अन्य दिनों जैसे ही रविवार का दिन भी बिल्कुल शांत था. सर्द की ठंड में सुबह की नरमी के बीच लोग अपने जीवन की गर्माहट को लेकर उठे थे. लेकिन किसको पता था कि आज का दिन उत्तराखंड के लिये आफत और मुसीबत भरा होगा. उत्तराखंड में आई जलप्रलय ने तकरीबन आठ साल पहले की केदारनाथ त्रासदी का खौफनाक मंजर याद दिला दिया. उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को आई तबाही से सबसे ज्यादा नुकसान ऋषिगंगा नदी पर बने ऋषिगंगा विघुत पावर प्रोजेक्ट को हुआ है. ग्लेशियर टूटने के कारण अचानक से जल स्तर में वृद्धि होने के कारण ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह से तबाह हो गया.
स्थानीय लोगों ने किया था ऋषिगंगा प्रोजेक्ट का विरोध
ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट का काम वर्ष 2008 में प्रारंभ हुआ था. उस समय स्थानीय लोगों ने इस प्रोजेक्ट का विरोध किया था. प्रोजेक्ट का निर्माण शुरू होने पर स्थानीय लोगों ने न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया. क्षेत्र के लोगों का कहना यह था कि प्रोजेक्ट के लिए किए जा रहे धमाकों से क्षेत्र के पारिस्थिक संतुलन और पर्यावरण के लिए क्षति पहुँच रही है. अभी भी यह मामला उत्तराखंड हाईकोर्ट में लटका हुआ है. हालांकि विवाद कोर्ट की दहलीज पर पहुंचने के बीच प्रोजेक्ट में विद्युत उत्पादन चल रहा था.
2011 में बनकर तैयार हुआ प्रोजेक्ट
ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट एक निजी प्रोजेक्ट था, जो 2011 में बनकर तैयार हुआ था. इसमें करीब 13 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जा रहा था. वर्ष 2016 में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट की बहुत-सी मशीनों में खराबी आ गई थी, जिसकी वजह से विधुत उत्पादन ठप पड़ गया था. उस समय पावर प्रोजेक्ट का रख-रखाव करने वाली कम्पनी भी दिवालिया हो गई थी. ऐसे में साल 2018 में दूसरी कंपनी ने इस प्रोजेक्ट खरीद लिया और उसके बाद बिजली का उत्पादन फिर से शुरू हुआ.
राज्यों को बिजली सप्लाई था मकसद
ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट का उद्देश्य बिजली का प्रोडक्शन बढ़ाना था. इसके जरिए न केवल उत्तराखंड बल्कि दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को बिजली सप्लाई करने की योजना थी. लेकिन रविवार को ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट जलप्रलय आपदा की भेंट चढ़ गया . विशेषज्ञों का कहना है कि जिस प्रकार से ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट तबाह हुआ है, यदि उसको देंखे तो दोबारा प्रोजेक्ट के शुरू होने की संभावना बहुत कम है.
