मोहब्बत दोस्ती और बेवफ़ाई 

 मोहब्बत दोस्ती और बेवफ़ाई 

प्रेम प्रसंगों में हत्या होना आम बात है, लेकिन यदि हत्या किसी राष्ट्रीय खिलाड़ी की हुई हो और करीब 3 दशक पहले तो कहानी का गुत्थी समझना जरूरी है।
इस समय ट्रेंड में एक फ़िल्मी गाना खूब छाया हुआ है ,गाना है बेवफा तेरा मासूम चेहरा भूल जाने के काबिल नहीं है इश्क में बेवफ़ाई वैसे आज तो आम बात है जैसे लोग कपड़े बदलते वैसे ही महबूब बदलने की चलन सी है ऐसा बिलकुल नहीं है क़ि सब वैसे ही है लेकिन फिर भी अधिकतर गाने में ढल जाने वाले लोग ही है कहने का अर्थ है धन दौलत और शोहरत जब तक साथ है महबूबा साथ है वरना तलाश लेगी किसी और के बाहों की सुकून को और खुद को ढाल देगी किसी और जिस्म की चाहत के मुताबिक
अब हर बात लिखी नहीं जा सकती ,लेखनी की भी अपनी सिमा और मर्यादा है साहब ,अब आइ ये बात मुद्दे की करते है ,बाप बड़ा न पैसा भईया सबसे बड़ा रुपईया
टीवी पर एक सीरियल आता क्राइम पेट्रोल ,जिसमे आप जरूर देखे होंगे लव ट्रैंगल से जुड़ी वारदात दोस्त की पत्नी के साथ अफेयर दोस्त की हत्या
लेकिन आज की घटना कोई टीवी सीरियल की धारावाहिक नहीं है ,बल्कि एक सच्ची घटना जिसका पुख्ता सबूत है
लव गेम और मर्डर मिस्ट्री का एक ऐसा खौफनाक वारदात जो पूरी तरह राजनितिक सियासत को हिला के रख दिया।
तारीख 28 जुलाई 1988 एक राष्ट्रीय बैटमिंटन खिलाड़ी की हत्या उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के KD सिंह बाबू स्टेडियम के बाहर मशहूर बैटमिंटन खिलाडी सैयद मोदी की गोलीमार कर हत्या कर दी जाती है लेकिन अफ़सोस कातिल राजनितिक धड़ पकड़ और अपनी राजनितिक साख बनाने में मशगूल रहता भारतीय कानून व्यवस्था कही न कही राजनितिक रसूख के आगे दम तोड़ देती है हाँ ये सच है
सैयद मोदी राष्ट्रीय बैटमिंटन खिलाड़ी रोज सुबह और शाम को प्रैक्टिश के लिये कद सिंह बाबू स्टेडियम जाते थे।
28 जुलाई की शाम भी कुछ ऐसा ही था ,सैयद मोदी प्रैक्टिश के बाद जैसे ही स्टेडियम से निकले वैसे ही पहले से घात लगाये हमलावरों ने ताबड़तोड़ फायरिंग दाग दी। फिर क्या था ,तत्काल सैयद मोदी वही डैम तोड़ दिये।
मामला हाईप्रोफाइल केस से जुड़ा हुआ एक राष्ट्रीय खिलाडी की मौत की खबर आग की तरह लखनऊ और फिर पूरे देश में फ़ैल गयी सबकी निगाहे एक टक आरोपी को देखने के लिये लालायित थी कान सुनने के लिये व्याकुल थे उस नाम को जिसका ये घिनौना कारनामा था
शुरुआती जाँच के बाद कुछ भी तस्वीर साफ नहीं हो पा रही थी मामला सीबीआई के पास पहुँचा सीबीआई ने जाँच शुरू की हत्या की तहकीकात से जुड़े सभी सूत्रों को बकायदा खगालना शुरू किया अंत में सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट जब सौपी तो नाम बेहद चौकाने वाला था सैयद मोदी की हत्या की पठकथा और साजिशकर्ता कोई और नहीं बल्कि उसका बेहद करीबी दोस्त और तत्कालीन अमेठी राजघराने से ताल्लुकात रखने वाला संजय सिंह था।
हर कोई यही जानना चाहता था कि आखिर किसके इशारे पर इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था. नवंबर 1988 में सीबीआई ने इस केस में चार्जशीट दाखिल की थी जिसमें कुल सात लोगों को आरोपी बनाया गया था. आरोपियों में संजय सिंह, अमिता मोदी, जितेंद्र सिंह, भगवती सिंह, अखिलेश सिंह, अमर बहादुर सिंह और बलई सिंह शामिल थे.
सीबीआई का आरोप था कि संजय सिंह, अमिता मोदी और अखिलेश सिंह ने सैयद मोदी के मर्डर की साजिश रची थी. बाकी 4 लोगों ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया था. सीबीआई के मुताबिक केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास मारुति कार से जब भगवती सिंह ने सैयद मोदी पर रिवॉल्वर से फायरिंग कि तो दूसरे आरोपी जितेंद्र सिंह ने उसका साथ दिया था.
बताया जाता है कि सैयद मोदी, अमिता मोदी और संजय सिंह के बीच गहरी दोस्ती थी. इसी दोस्ती की वजह से संजय सिंह और सैयद मोदी का परिवार एक दूसरे के बेहद करीब भी आ गया था. लेकिन सैयद मोदी के कत्ल के बाद खेल, राजनीति और रिश्तों की एक उलझी हुई कहानी सामने आ रही थी.

रिश्तों की उलझी कहानी
सीबीआई का आरोप था कि संजय सिंह और अमिता मोदी के बीच पनप रहा संबंध ही सैयद मोदी के मर्डर की वजह बना. सीबीआई ने जो केस बनाया उसके मुताबिक ये पूरा मामला प्रेम-त्रिकोण का था. सीबीआई ने अमिता मोदी को हिरासत में लेकर उनसे कड़ी पूछताछ भी की थी. जांच के दौरान सीबीआई ने अमिता मोदी की डायरी भी जब्त की, जिसमें संजय सिंह से उनके नजदीकी रिश्ते की बातें दर्ज थी.
सीबीआई का कहना था कि संजय सिंह ने ही सैयद मोदी की हत्या के लिए अपने साथी अखिलेश सिंह की मदद ली. उन्हें मारने के लिए भाड़े के हत्यारे भेजे थे. अदालत में संजय सिंह की तरफ से दिग्गज वकील राम जेठमलानी ने मोर्चा संभाला था. इसके बाद राजनीति, खेल और रिश्तों में उलझी हुई एक कानूनी जंग छिड़ गई थी.

ऐसे बरी हुए संजय और अमिता
सैयद मोदी मर्डर केस की जांच जब पूरी हुई तो कोर्ट में सीबीआई के दावों की धज्जियां उड़ गई थी. सीबीआई को पहला झटका उस वक्त लगा जब संजय सिंह और अमिता मोदी ने चार्जशीट को ही अदालत में चुनौती दी. फिर इन दोनों के खिलाफ पुख्ता सबूत न होने की वजह से सेशन कोर्ट ने सितंबर 1990 में संजय सिंह और अमिता मोदी का नाम केस से अलग कर दिया. दूसरा झटका 1996 में लगा, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक और अहम आरोपी अखिलेश सिंह को बरी कर दिया था.

एक आरोपी का मर्डर, एक की मौत
आरोपी जितेंद्र सिंह को भी बेनेफिट ऑफ डाउट देकर रिहा कर दिया गया. इस केस के 7 में से चार आरोपी तो पहले ही रिहा हो गए. बाकी बचे अमर बहादुर सिंह का संदिग्ध हालत में मर्डर हो गया. एक और आरोपी बलई सिंह की मौत हो गई. सैयद मोदी मर्डर के आखिरी आरोपी भगवती सिंह को लखनऊ के सेशन कोर्ट ने दोषी करार दिया. उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. 22 अगस्त 2009 को अदालत ने सीबीआई की फांसी की सजा की मांग को खारिज कर दिया था.
मुख्य आरोपी और साजिशकर्ता अपनी राजनितिक रसूख रुतबे और सरकार में गहरी पैठ की वजह से बरी हो गया और अपनी राजनीती को चमकाता रहा जानकारी के लिये बता दू संजय सिंह की मौत 19 अगस्त 2019 को लखनऊ के पीजीआई में हो गयी

विरासत का विवाद
पिछले दो दशकों में अमेठी राजघराने के राजा संजय सिंह और अमिता सिंह ने भी कई उतार–चढाव देखे हैं. 1990 में मोदी मर्डर केस से बरी होने के बाद 1995 में संजय ने अमिता से शादी कर ली थी, लेकिन तब तक संजय और गरिमा के घर में बेटे अनंत विक्रम सिंह के अलावा दो बेटियों महिमा सिंह और शैव्या सिंह का जन्म हो चुका था. अब गरिमा सिंह और उनके तीनों बच्चे अमेठी राजघराने की विरासत पर अपना दावा ठोंक रहे हैं. संजय की पहली पत्नी गरिमा आज भी खुद को तलाकशुदा नहीं मानती हैं. पत्नी गरिमा, बेटे अनंत विक्रम, बेटियां महिमा और शैव्या अब भी विरासत की लड़ाई लड़ रहे हैं.

Akhilesh Namdeo