पंडित माधवराव सप्रे की 154 वीं जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही को पत्रकारिता की ऐतिहासिक भूमि बताते हुए अतिथियों ने किया सप्रे जी को स्मरण

गौरेला पेंड्रा मरवाही
हिंदी पत्रकारिता के जनक और छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता की नींव रखने वाले पंडित माधवराव सप्रे की 154वीं जयंती के अवसर पर जिले में भावपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। माधवराव सप्रे प्रेस क्लब सह वाचनालय में आयोजित इस कार्यक्रम में जिले के पत्रकारों के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य नागरिकों ने शिरकत कर सप्रे जी के योगदान को याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस अवसर पर पेंड्रा नगर पालिका अध्यक्ष राकेश जालान, जिला पंचायत उपाध्यक्ष उपेंद्र बहादुर, जिले के वरिष्ठ नागरिक एवं समाजसेवी पंडित रामनिवास तिवारी, पत्रकार बंधु तथा वाचनालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि गौरेला-पेंड्रा-मरवाही सिर्फ भौगोलिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि पत्रकारिता के इतिहास में भी यह भूमि गौरवशाली स्थान रखती है। यह वही भूमि है, जहां से पंडित माधवराव सप्रे ने पत्रकारिता की बुनियाद रखी और तत्कालीन समय में सामाजिक कुरीतियों व सामंती व्यवस्था के खिलाफ कलम उठाकर एक नई दिशा दी।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने विशेष रूप से पंडित माधवराव सप्रे द्वारा स्थापित ‘हिंदी केसरी’ समाचार पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि वह केवल एक पत्र नहीं था, बल्कि उस समय जागृति और सामाजिक चेतना का माध्यम था। कठिन परिस्थितियों और संसाधनों की कमी के बावजूद सप्रे जी ने पत्रकारिता को जनहित का सशक्त माध्यम बनाया।
पत्रकारिता में मूल्यों और आदर्शों की आवश्यकता पर बल देते हुए वक्ताओं ने कहा कि आज के समय में पत्रकारों को भी सप्रे जी के पदचिन्हों पर चलते हुए निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता करनी चाहिए।

कार्यक्रम के अंत में उपस्थित पत्रकारों और विद्यार्थियों ने संकल्प लिया कि वे पत्रकारिता के माध्यम से जनहित के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते रहेंगे और पत्रकारिता के आदर्शों को सहेजकर आगे बढ़ाएंगे।
कार्यक्रम में माधव सप्रे वाचनालय में अध्यनरत छात्राओं ने भी उद्बोधन दिया, माधवराव सप्रे द्वारा लिखित हिंदी की प्रथम की हिन्दी मौलिक कहानी एक टोकरी भर माटी को बताया, कैसे माधव और सप्रे ने सामंती व्यवस्था के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करी, छात्र-छात्राओं ने कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से की जबकि आशुतोष दुबे द्वारा रचित जिला गीत का भी गायन किया गया,

छत्तीसगढ़ राज्य’ की परिकल्पना सप्रे ने की थी: उपेंद्र बहादुर सिंह
जिला पंचायत उपाध्यक्ष उपेंद्र बहादुर सिंह ने अपने संबोधन में एक ऐतिहासिक संदर्भ साझा करते हुए कहा कि “पंडित माधवराव सप्रे मेरे दादा जमींदार लाल अमोल सिंह के निमंत्रण पर अंग्रेजी जमाने में पेंड्रा आए थे। उस दौर में उनकी पत्रकारिता निश्चित ही अत्यंत चुनौतीपूर्ण रही है। पंडित सप्रे ने छत्तीसगढ़ राज्य की परिकल्पना उस समय कर ली थी जब उन्होंने ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ नामक अखबार का प्रकाशन पेंड्रा से शुरू किया था, और आज यह गौरवशाली इतिहास के पन्नों में दर्ज है।”

‘सप्रे जी को पढ़ा, जाना और गर्व हुआ’: राकेश जालान
नगर पालिका अध्यक्ष राकेश जालान ने कहा कि “भले ही हमने पंडित माधवराव सप्रे को देखा नहीं, परंतु जितना पढ़ा और जाना है, वह हमारे लिए गर्व की बात है। उन्होंने पेंड्रा जैसे छोटे से स्थान से अखबार प्रकाशित कर सामंती व्यवस्था के खिलाफ आवाज बुलंद की। यह इतिहास हम सबके लिए प्रेरणास्रोत है।”

‘पत्रकारिता संकट में है, मूल्यों की पुनर्स्थापना जरूरी’: पंडित रामनिवास तिवारी
जिले के वरिष्ठ साहित्यकार पंडित रामनिवास तिवारी ने पत्रकारिता के बदलते स्वरूप पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि “लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकारिता आज संकट में है। जिसे समझने और सुधारने की आवश्यकता है। पंडित माधवराव सप्रे ने जिस अभाव के दौर में पत्रकारिता की, वह आज भी प्रेरणादायक उदाहरण है।”

कार्यक्रम में उपस्थित पत्रकारों में भी उद्बोधन दिया पत्रकार अखिलेश नामदेव ने कहा कि पत्रकारिता का बोध और जो माधवराव सप्रे कथा निश्चित ही चुनौती भरा था उसे दौर में पत्रकारिता कितनी कठिन थी इसको समझना जरूरी है आज सोशल मीडिया के दौर पर जिस व्यक्ति के हाथ में मोबाइल है वह पत्रकार है परंतु जरूर इस बात की है कि व्यक्ति इस बात का संज्ञान ले की कौन से मुद्दे समाज के हित में है और जिसे शासन प्रशासन तक पहुंचना जरूरी है,
पत्रकार दुर्गेश सिंह बिशेन ने भी कहां कि पंडित माधवराव सप्रे की कर्मस्थली गौरेला पेंड्रा मरवाही रही है, ये हम सब के लिए बड़ी उपलब्धि है,50 रुपए मासिक का वेतन पाकर वे सन 1900 में पेंड्रा जैसी छोटी सी जगह से अखबार निकाला।
पत्रकार आकाश पवार ने कहा कि मराठी भाषी होने के बाद पंडित माधवराव सप्रे कि हिंदी भाषा की मजबूत पकड़ थी, उन्होंने हिंदी पत्रकारिता को दिशा दी ।

जिला पंचायत उपाध्यक्ष उपेंद्र बहादुर ने पत्रकारों एवं वाचनालय में अध्ययन छात्रों के जरूर को ध्यान में रखते हुए एक अतिथि कक्ष बनाने के लिए लोक निर्माण मंत्री से बात तत्काल स्वीकृति दिलाने की बात एक घोषणा की साथ ही नगर पालिका अध्यक्ष राकेश जालान ने प्रेस क्लब एवं वाचनालय के लिए जरूरत पड़ने पर हर संभव मदद करने की बात करते हुए कहा कि वाचनालय में अध्यनरत छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग ले और जिले का नाम रोशन करें कि हम सबके लिए उपलब्धि होगी और उनकी इस उपलब्धि के लिए लगने वाले हर जरूरतों को पूरा करने मैं सदैव सहयोग के लिए तैयार हूं । पत्रकार एवं पार्षद मनीष श्रीवास ने वाचनालय में पढ़ने वाले बच्चों क ₹50000 पार्षद निधि से पुस्तकों के लिए देने की घोषणा की ।

उसके अलावा कार्यक्रम में जिले के पत्रकार मुकेश विश्वकर्मा रामेश्वर तिवारी आकाश पवार, उज्जवल तिवारी, प्रवेश शर्मा, अरविंद सिंह बनाफर, संदीप अग्रवाल, जितेंद्र सोनी, राजू ठाकुर, आयुष्मान शर्मा, प्रशांत डेनियल, सुबीर चौधरी अभिषेक गुप्ता, विपत सारथी शिवेंद्र तिवारी, सहित वाचनालय में अध्ययन रक्षा छात्राएं प्रबंधक उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम का संचालन शरद अग्रवाल ने किया जबकि आभार प्रदर्शन वरिष्ठ पत्रकार सुभाष अग्रवाल ने किया

