शासकीय सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद समाज में अपनी उपयोगिता सिद्ध करें-एनके चंद्रा डी ई ओ
सेवानिवृत्त प्राचार्य अयोध्या सिंह पैकरा के सम्मान समारोह आयोजित कर दी गई भावभीनी विदाई
अखिलेश नामदेव गौरेला पेंड्रा मरवाही
शासकीय कर्मचारी को एक न एक दिन सेवानिवृत्ति होना पड़ता है। शासकीय सेवा में यह सामान्य प्रक्रिया है परंतु शासकीय सेवा से सेवानिवृत्त कर्मचारी अधिकारी की जवाबदारी बढ़ जाती है तथा उसे समाज में अपनी उपयोगिता सिद्ध करना होता है। समाज के लिए जो कार्य शासकीय सेवा में रहते हुए नहीं कर पाते उसे सेवानिवृत्त होने के पश्चात किया जा सकता है।

उक्त बातें गौरेला पेंड्रा मरवाही के जिला शिक्षा अधिकारी एनके चंद्रा ने शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला सकोला के प्राचार्य अयोध्या सिंह पैकरा के सम्मान समारोह अवसर पर व्यक्त किए। श्री चंद्रा ने कहा कि समाज में प्राचार्य का पद सम्मानित पद है। उन पर विद्यालय संचालन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है एक प्राचार्य के रूप में छात्रों, पालकों और समाज को बड़ी उम्मीदें होती है मुझे खुशी है कि एक प्राचार्य के रूप में पैकरा जी ने अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन किया है। उन्होंने कहा कि उनका पूरा प्रयास होगा कि वे समय सीमा के भीतर उनके सभी स्वत्वों का निराकरण एवं पेंशन का निर्धारण करा दे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि जिस तरह एक विद्यालय के प्राचार्य के रूप में श्री पैकरा ने अपने दायित्व का निर्वहन किया है वह समाज में भी आगे अपनी उपयोगिता सिद्ध करेंगे। शासकीय सेवा में रहते हुए अपनी सीमाओं के कारण चाह कर भी शासकीय सेवक समाज परिवार को अपना समय कम दे पाते हैं परंतु सेवानिवृत्ति के पश्चात पारिवारिक एवं सामाजिक दायित्व का भली-भांति निर्वाहन किया जा सकता है। श्री चंद्रा ने आगे कहा कि अक्सर यह होता है कि स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी सेवा पुस्तिका जीपीएफ पासबुक वगैरह के प्रति जागरूक नहीं होते अतः मेरा सुझाव है कि मेरे जिले के सभी शासकीय कर्मचारी अपने कार्यालय प्रमुख के माध्यम से समय-समय पर अपने सेवा पुस्तिका का संधारण एवं सत्यापन कोष एवं लेखा से कराते रहें ताकि
इसके पूर्व सेवानिवृत्त प्राचार्य अयोध्या सिंह पैकरा का सम्मान छत्तीसगढ़ रीति रिवाज के अनुसार खुमरी टोपी एवं साफी पहनाकर तथा साल श्रीफल तथा पुष्प गुच्छ सेजिला शिक्षा अधिकारी एनके चंद्रा, प्रभारी प्राचार्य अक्षय नामदेव शाला जनभागीदारी विकास समिति के अध्यक्ष सतीश शर्मा, संकुल समन्वयक केआर सिंह एवं शाला परिवार ने संयुक्त रूप से किया। सम्मान समारोह अवसर पर सेवानिवृत्त प्राचार्य अयोध्या सिंह पैकरा ने अपने जीवन के संघर्षों को सबके बीच साझा करते हुए कहा कि किसान परिवार का बेटा होने के कारण मितव्ययिता के साथ पढ़ाई लिखाई हुई तथा आज इस मुकाम तक पहुंचे। उन्होंने छात्राओं को कठिन मेहनत करने की सलाह देते हुए कहा कि विद्यार्थी जीवन एक तपस्या है इस तपस्या के बाद ही फल मिलता है। उन्होंने अपने शासकीय सेवा के अनुभवों को भी साझा किया।
