सरकार और किसानों के बीच फिर से बातचीत का दौर जारी

किसान बिल को लेकर अभी भी गतिरोध बना हुआ है. सरकार लगातार कोशिश कर रही है. किसी तरीके से किसानों को समझाया जाए, उनको मनाया जाए, लेकिन किसान भी अपनी मांगों को लेकर पूरी तरीके से अडिग है. सरकार और किसान नेताओं के बीच अब तक 10 बार वार्ता हो चुकी है. लेकिन हर वार्ता निरर्थक रही, कोई हल निकल कर सामने नहीं आ पाया. आज फिर से किसान नेता और सरकार के बीच बातचीत का दौर शुरू होने वाला है. हम उम्मीद करते हैं कि यह बातचीत सार्थक होगी और करीब 2 महीने से बने गतिरोध की स्थिति समाप्त होगी.
केंद्र सरकार और किसानों के बीच आज 11वें दौर की बातचीत हो रही है. नए कृषि क़ानूनों को रद्द करने की अपनी माँग पर बीते वर्ष 26 नवंबर से दिल्ली की सीमा पर आंदोलनरत किसानों और सरकार के बीच अब तक दस दौर की बेनतीजा बातचीत हुई है.
11वें दौर की बातचीत के लिए किसान सिंघु बॉर्डर से बस में रवाना हुए. उससे पहले उन्होंने कहा कि वो अपनी माँग को लेकर डटे हुए हैं और जब तक तीनों कृषि क़ानून रद्द नहीं किए जाते हैं और एमएसपी पर ख़रीद को क़ानूनी जामा नहीं पहनाया जाता है, वो विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.
इस बैठक में जाने से पहले भारतीय किसान यूनियन पंजाब के अध्यक्ष फरमान सिंह संधू ने कहा, “इस बैठक में हम पूरे मन से जा रहे हैं. हमने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया है और अपनी दलील दी है कि इन तीन नए क़ानूनों को रद्द करे. आज एमएसपी पर चर्चा होगी.”
कल केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों को निलंबित करने के प्रस्ताव पर किसान संगठनों ने गुरुवार को दो लंबी बैठकें की.
कुछ किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करने की राय भी बैठक में ज़ाहिर की. लेकिन अंत में किसान नेताओं ने तीनों कृषि क़ानूनों के रद्द होने और एमएसपी पर क़ानूनी गारंटी मिलने तक प्रदर्शन जारी रखने का फ़ैसला किया.
बैठक के दौरान सरकार की मंशा, आंदोलन की आगे की रणनीति और 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड की तैयारियों को लेकर बात हुई. बैठक में शामिल एक किसान नेता के मुताबिक़ कम से कम 10 किसान नेताओं ने सरकार की तरफ़ से कृषि क़ानूनों को डेढ़ साल के लिए निलंबित करने के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करने और रुख़ नरम करने की बात कही.
लेकिन अधिकतर किसान नेता अपनी तीनों क़ानूनों को रद्द करने और एमएसपी का क़ानूनी अधिकार लेने की बात पर सहमत हुए और अपने रुख़ पर अड़े रहने का फ़ैसला किया.
शुक्रवार को सरकार के साथ होने वाली बातचीत से पहले किसानों की तरफ़ से एक बार फिर सख़्त रुख़ अख़्तियार किया गया है.
कृषि मंत्री भी समस्या के हल को निकालने के लिये लगातार बैठकें कर रहे हैं.
आज हम सभी उम्मीद लगा सकते हैं कि सरकार का प्रयास रहेगा जारी गतिरोध को दूर किया जाये, जिससे देश के अन्नादात्ता अपने अपने घरों को लौट जाएं .
