आदिवासी अंचल में धर्म ध्वजा फहरा कर आदिवासियों को सनातन धर्म में पिरोने का काम जीवन पर्यंत करते रहे स्वामी सदानंद महाराज

श्री श्री 1008 श्री स्वामी सदानंद जी महाराज जी परमहंस की निर्वाण तिथि 9 दिसंबर पर विशेष


यकीन नहीं होता कि श्री श्री 1008 श्री ब्रह्मलीन स्वामी सदानंद जी महाराज परमहंस को समाधि लिए 12 वर्ष गुजर गए है। पेंड्रा गौरेला मरवाही बेलगहना केंदा रतनपुर टेंगनमाड़ा तथा आसपास के गांव या यूं कहे अविभाजित बिलासपुर जिले का धर्म परायण ऐसा कौन व्यक्ति होगा जो ब्रह्मलीन स्वामी सदानंद जी महाराज से परिचित नहीं होगा ? जो भी व्यक्ति 12 साल पूर्व तक जब भी कभी सोन नदी के उद्गम स्थल मानस तीर्थ सोनमुड़ा पेंड्रा गया होगा उन्होंने परमहंस स्वामी सदानंद महाराज के दर्शन अवश्य किए होंगे। मूल रूप से सिद्ध आश्रम बेलगहना से जुड़े स्वामी सदानंद जी महाराज ऐसे संत रहे जिन्होंने अविभाजित बिलासपुर जिले के आदिवासी अंचल खासकर गौरेला, पेंड्रा ,मरवाही एवं केंदा, रतनपुर, बेलगहना क्षेत्र में सनातन हिंदू धर्म की ध्वजा लहराई। मानस तीर्थ सोनमुड़ा पेंड्रा के संस्थापक संत श्री श्री 1008 श्री प्रकाशानंद महाराज जी से दीक्षा प्राप्त स्वामी सदानंद महाराज जी ने विशाल आदिवासी समाज को एक सूत्र में पिरो कर उन्हें सनातन धर्म से जोड़े रखने में अपना पूरा जीवन लगा दिया। संत शिरोमणि सदानंद जी महाराज का प्रभा मंडल का ही प्रभाव रहा कि उनके शिष्यों की संख्या हजारों में थी जो आदिवासी समाज के होने के साथ किसान परिवार के थे। जो लोग भी सोन नदी के उद्गम स्थल मानस तीर्थ सोनमुड़ा पेंड्रा के वर्ष में दो बार आषाढ़ गुरु पूर्णिमा एवं माघ पूर्णिमा के मेले में कभी गए होंगे वे इस बात से भली-भांति परिचित है कि किस तरह से आदिवासी समाज मेला पर्व पर सदानंद जी महाराज के दर्शन के लिए दूरदराज गांवों वन क्षेत्रों से पैदल चलकर तथा बैल गाड़ियों में बैठकर पहुंचते था और स्वामी सदानंद महाराज जी के सानिध्य पाने को अपना धन्य मानते थे। उन दिनों आवागमन के साधनों का नितांत अभाव था। सड़कें कहीं-कहीं ही बनी थी।साइकल भी किसी किसी को नसीब होती थी। स्वामी जी का स्वभाव ऐसा था कि वह कभी भी अपने शिष्यों एवं भक्तों में भेदभाव नहीं किए। वहां पहुंचने वाले शिष्यों एवं भक्तों की संख्या चाहे सैकड़ों में हो या हजारों में सबके खाने पीने रहने का प्रबंध की चिंता सदानंद जी महाराज करते थे। वैसे तो सदानंद जी महाराज प्रायः सिद्ध आश्रम बेलगहना में रहते थे जो उनकी मूल तपोभूमि थी परंतु खास पर्वों गुरु पूर्णिमा एवं माघ पूर्णिमा मेले पर पर वे मानस तीर्थ सोनमुड़ा हफ्ता 15 दिन पहले पहुंच जाते थे तथा समिति के सभी सदस्यों एवं भक्तों को एक सूत्र में जोड़कर पर्व के आयोजन को सफल बनाते थे। आषाढ़ पूर्णिमा एवं माघ पूर्णिमा में सोनमुड़ा मानस तीर्थ में आयोजित होने वाले रामायण एवं भजन में गायक मंडली की लाइन लगी रहती थी। शास्त्रीय गायन आधारित अत्यंत स्तरीय कार्यक्रम आयोजित होता था।इसी तरह चैत्र नवरात्रि पर्व पर वे श्री सिद्ध गणेश दादा कारी आम आश्रम में आ जाते थे तथा यहां परंपरागत रूप से आयोजित होने वाले नवधा रामायण को सफलतापूर्वक संपन्न कराते थे। स्वामी सदानंद महाराज जी से जुड़े शिष्य एवं भक्त इस बात को भलीभांति जानते थे कि स्वामीजी अंतर्यामी हैं। स्वामी जी को पारा शोधन प्रक्रिया का ज्ञान था परंतु शोधन प्रक्रिया की विद्या होने के बावजूद भी उन्होंने कभी इसे धन कमाने का साधन नहीं बनाया। अपने शोधै हुए पारा से उन्होंने एक शिवलिंग का निर्माण किया जो आज भी सिद्धाश्रम बेलगहना में है।स्वामी जी योग विद्या भी जानते थे। योग विद्या को लेकर स्वामी सदानंद जी महाराज के बारे में अनेक किस्से प्रचलित हैं। उनका प्रभामंडल कुछ ऐसा था कि जन सामान्य के अलावा इलाके के राजनेता भी उनके नतमस्तक रहते थे। स्वामी सदानंद महाराज जी सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के अलावा अंधविश्वास के उन्मूलन के लिए भी काफी जन जागरूकता फैलाई थी।सिद्ध पुरुष होने के बावजूद भी उनकी सरलता, सहजता, अनुकरणीय रही है। सनातन हिंदू धर्म परंपरा में गुरु शिष्य एवं आश्रम परंपरा का जितना अच्छा निर्वहन स्वामी सदानंद महाराज जी ने एक संत के रूप में किया है ऐसा देखने में कम ही मिलता है। आदिवासी अंचल के लोगों की उन पर बड़ी आस्था थी। मुझे उनके दर्शन एवं सानिध्य का लाभ अक्सर मिल ही जाता था। उनके निधन पश्चात 12 वर्ष पूर्व आज 9 दिसंबर के ही दिन उन्हें सिद्ध आश्रम बेलगहना में समाधि दी गई थी। मुझे उनकी समाधि दिवस का वह दिन याद आता है जिसमें उनके अंतिम विदाई में किस तरह हजारों की संख्या में लोग स्वत स्फूर्त जूटे थे।

आज 9 दिसंबर को उनके पुण्यतिथी पर उनका स्मरण आया तो उनसे जुड़ी कई बातें जुलूस के मानिंद आंखों के सामने से गुजर रही है।

स्वामी जी की मधुर स्मृतियों को सादर शत-शत नमन । आपका आशीर्वाद इस आदिवासी अंचल पर बना रहे💐💐💐💐💐💐💐🙏🏻

अक्षय नामदेव पेंड्रा छत्तीसगढ़ मोबाइल 94062 13643

Akhilesh Namdeo

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