पत्रकार राकेश शर्मा के निधन पर अश्रुपुरित श्रद्धांजलि
राकेश शर्मा 1995 में पेंड्रा से बिलासपुर तक की पदयात्रा के साथीं रहे
बड़े भैया नर्मदे हर का जोर से उद्घोष अब मुझे सुनाई ना देगा

नगर पंचायत पेंड्रा में एल्डरमैन एवं पत्रकार राकेश शर्मा बबलू के असामयिक निधन से स्तब्ध हूं। आज दोपहर उनके निधन का दुखद समाचार व्हाट्सएप में मिला। रक्षा बंधन की शाम मोटर साइकिल से दुर्घटना में वे घायल हो गए थे, तथा उन्हें इलाज के लिए अपोलो अस्पताल बिलासपुर में भर्ती कराया गया था।इलाज के दौरान अपोलो अस्पताल बिलासपुर में ह्रदय गति रुकने से उनका निधन हो गया।

राकेश शर्मा को पेंड्रा शहर में ज्यादातर लोग बबलू के नाम से संबोधित करते थे। वे एक जिंदा दिल कर्मठ इंसान थे। पूरे जीवन तमाम तरह की शारीरिक बाधाओं के बावजूद वह जीवन संघर्ष से कभी पीछे नहीं हटे। मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले राकेश शर्मा का अपना स्वतंत्र अस्तित्व एवं पहचान थी। उनके बड़े पिताजी पंडित नागरमल शर्मा का पेंड्रा में विशुद्ध पान का कारोबार था ,जिसे उनके परिवार परंपरागत रूप से संचालित करता आ रहा है, इसके बावजूद युवावस्था के प्रारंभिक दिनों में राकेश शर्मा ने ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय शुरू किया तथा इस व्यवसाय में उन्होंने जी तोड़ मेहनत की। भले ही उसका उन्हें प्रतिफल नहीं मिला, इसके बावजूद भी वे संघर्ष से पीछे नहीं हटे। अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती समय से ही वे डॉक्टर चरण दास महंत के नजदीकी रहे।

मैं राकेश शर्मा को व्यक्तिगत रूप से लगभग 40 वर्षों से जनता रहा हूं, तथा लगभग 30 वर्षों से हमारी पारिवारिक नजदीकियां रही है ।अपने अलग अंदाज एवं स्वभाव के होने के कारण राकेश शर्मा की गिनती जुझारू लोगों में होती रही है। आज उनके निधन का समाचार मिलने के बाद मुझे एक पुराना संस्मरण याद आ रहा है जो
अविस्मरणीय है।
दरअसल बात लगभग 28 साल पुरानी है। वर्ष 1995 की बात है। अभिभाजित मध्य प्रदेश के समय आदिवासी अंचल गौरेला पेंड्रा मरवाही के लोगों को जिला मुख्यालय बिलासपुर जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। बिलासपुर जाने के लिए प्रचलित सड़क मार्ग अचानकमार अभ्यारण्य होकर जाता था ,जिसमें गिनती की बसे चलती थी, और आना-जाना बहुत कठिनाई से खर्चीला था, वही ट्रेनों की संख्या भी बिल्कुल कम थी। इन परिस्थितियों में रोजमर्रा के कामकाज के लिए बिलासपुर आना-जाना अत्यंत कष्ट कारक था। उस दौर में कोटा विधानसभा क्षेत्र के विधायक पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला थे जो उस समय मध्य प्रदेश शासन में सामान्य प्रशासन मंत्री थे। उसी दौर में हमारे पेंड्रा के युवा नेता सरदार इकबाल सिंह के नेतृत्व में पेंड्रा में नेहरू युवा मंडल सक्रिय रूप से काम करते हुए क्षेत्र में स्वास्थ्य एवं नेत्र शिविर जैसे सामाजिक कार्यों से अपनी पहचान तेजी से बना रही थी।

नेहरू मंडल में सरदार इकबाल सिंह के अगुवाई में मेरे सहित देवनारायण केसरी, राजेश सोनी,अजय पवार, प्रशांत श्रीवास, आदित्य पांडे एवं राकेश शर्मा बबलू मुख्य रूप से शामिल थे। ऐसे में सब ने मिलकर योजना बनाई कि बिलासपुर से पेंड्रा और पेंड्रा से बिलासपुर के लिए लोकल ट्रेन की मांग के लिए पेंड्रा से बिलासपुर तक पदयात्रा किया जाए एवं डीआरएम बिलासपुर को ज्ञापन सोपा जाए। सामूहिक सहमती बनने के बाद मैं और इकबाल सिंह भैया पहले मोटरसाइकिल से पेंड्रा से खोडरी, खोंगसरा, टेंगंनमाड़ा, कोटा बिलासपुर तक जाकर सुबह दोपहर शाम के भोजन एवं रुकने की व्यवस्था के लिए संपर्क करके आ गए ताकि पदयात्रा के दौरान पद यात्रियों को किसी तरह की भोजन एवं रहवास की समस्या का सामना ना करना पड़े। पदयात्रा की पूरी योजना एवं व्यवस्था सुनिश्चित हो जाने के बाद 4 जुलाई सन 1995 को नेहरू युवा मंडल पेंड्रा के सभी सदस्य एवं पतिराम साहू,नरेश चौधरी सहित 16 पद यात्रियों ने पेंड्रा से बिलासपुर की पदयात्रा प्रारंभ की। पेंड्रा से गौरेला,गौरेला से खोडरी, खोडरी से जोगीसार, जोगीसार से बेलपत् में हमारा पहला रात्रि विश्राम हुआ। 5 जुलाई को सुबह बेलपत से हमें खोंगसरा जाना था।राकेश शर्मा बबलू भी हमारे साथ थे। हमें घने जंगलों से होकर दुर्गम रास्तों पर चलकर जाना था। राकेश शर्मा बबलू एक पैर से विकलांग थे। उनके पैर में हमेशा पट्टी बंधी होती थी जिसमें से खून भी रिसते रहता था। रोज पट्टी बदलना पड़ता था। इन सब शारीरिक बाधाओं के बावजूद राकेश शर्मा बबलू सभी पद यात्रियों के साथ कदम से कम मिलाते हुए घने जंगलों को दुर्गम रास्तों को पार करते हुए बढ़े चले जा रहे थे। यह उनकी अदम्य इच्छा शक्ति एवं साहस का परिचायक था। हम सभी पदयात्री यात्रा की थकान महसूस करते थे, परंतु राकेश ऐसे साथी थे जो इन सब विपदाओं के बावजूद हमारे साथ पूरे 4 दिन बिलासपुर तक पदयात्रा की और डीआरएम बिलासपुर को ज्ञापन सौंपा। हमारी पदयात्रा की जानकारी कोटा क्षेत्र के विधायक एवं तत्कालीन सामान्य प्रशासन मंत्री मध्य प्रदेश शासन पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला को मिलने पर वह भोपाल से बिलासपुर महानदी एक्सप्रेस से पहुंचे थे तथा उन्होंने हमें बिलासपुर रेस्ट हाउस में अटेंड किया और हमारी आव भगत की। इस पदयात्रा के अंतिम मुकाम पर पंडित राजेन्द्र शुक्ला जी के पहुंचने के कारण पूरे कोटा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसी एवं पंचायत प्रतिनिधि भी वहां पहुंच गए। डीआरएम बिलासपुर रमेश चंद्र शर्मा को ज्ञापन सौंपते वक्त पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला हमारे साथ थे। डीआरएम बिलासपुर ने ज्ञापन लेने के बाद हमें आश्वस्त किया कि आप लोगों ने इतनी कठिन पदयात्रा की है इसलिए आप लोगों की ट्रेन की मांग जरूर पूरी होगी और उन्होंने अपने वादे अनुसार बिलासपुर से पेंड्रा एवं पेंड्रा से बिलासपुर कपिलधारा लोकल ट्रेन की शुरुआत दो अक्टूबर सन 1995 से कर दी।

वही लोकल ट्रेन आज बिलासपुर रीवा एक्सप्रेस के नाम से चल रही है। इस पदयात्रा के दौरान ही मैं राकेश शर्मा को नजदीक से जाना और समझा। निश्चित रूप से वह कर्मठ इंसान थे। बीते कुछ वर्षों से वह पत्रकारिता से जुड़कर अखबार का काम संभाल रहे थे और अक्सर सुबह सवेरे दुर्गा चौक बस स्टैंड पेंड्रा से गुजरने पर वह मुझे देखते ही जोर से बड़े भईया नर्मदे हर का जय घोष करते थे।
आज राकेश शर्मा के निधन की जानकारी के बाद मुझे 28 साल पहले अपने उस पदयात्रा के साथी रहे राकेश शर्मा बबलू की कर्मठता जुझारूपन सहित सहित चार दिनों की पदयात्रा से जुड़ी सारी बातें जुलूस की मानिंद आंखों से गुजरने लगी। अब अब राकेश शर्मा का नर्मदे हर वाला जय घोष सुनाई ना देगा।

अलविदा राकेश।
सादर विनम्र श्रद्धांजलि।
अक्षय नामदेव पेंड्रा छत्तीसगढ़ मोबाइल 94062 13643
