हाई कोर्ट कहती है कि व्याख्याता बी ई ओ के लिए  अयोग्य, वहीं सरकार मजबूरी में प्रतिनियुक्ति एवं प्रभार पर व्याख्याता से ले रही काम

व्याख्याता की प्राचार्य पद पर पदोन्नति नहीं होने से शिक्षा विभाग का ढांचा चरमराया

छत्तीसगढ़ के 4564 प्राचार्य पद में से 3265 पद रिक्त

नियमित व्याख्याता संघ छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष दिलीप झा ने स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से रखी मांग

स्कूल शिक्षा विभाग की विसंगतियों पर ध्यान आकृष्ट कराया नियमित व्याख्याता संघ ने

अखिलेश नामदेव  छत्तीसगढ़

एक और जहां छत्तीसगढ़ का हाई कोर्ट कहता है कि व्याख्याता बी ई ओ एवं अन्य वरिष्ठ पदों के लिए अयोग्य हैं वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ शासन का स्कूल शिक्षा विभाग व्याख्याता के दम पर ही शिक्षा विभाग का कामकाज संचालित कर रहा है इसका कारण यह है कि छत्तीसगढ़ राज्य में प्राचार्य के कुल स्वीकृत 450064 पदों में 3265 पद रिक्त है। अब ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ की मजबूरी है कि वह वरिष्ठ व्याख्याता के माध्यम से ही प्रतिनियुक्ति एवं प्रभार पर शिक्षा विभाग का काम संचालित करवा रहा है। ऐसे में अब नियमित व्याख्याता संघ छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष दिलीप झा ने छत्तीसगढ़ के नियमित व्याख्याता की पदोन्नति प्राचार्य पद पर करने की मांग की है। इसी के साथ उन्होंने हिंदी माध्यम के आत्मानंद स्कूलों को उनके पुराने स्वरूप में वापस लाने की भी मांग रखी है।
स्कूल शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया है कि
वर्ष 2014 से व्याख्याताओं की प्राचार्य पदोन्नति रुकी हुई है, जिसके कारण प्रदेश में प्राचार्य के कुल स्वीकृत 4564 पद में से 3262 पद रिक्त हैं, अतः इन पूरे रिक्त पदों पर पदोन्नति सूची जारी की जाए। प्रदेश में वर्ष 2008 में व्याख्याता पदोन्नति प्राप्त शिक्षकों को व्याख्याता पद पर ही 16 वर्ष हो चुके हैं, जिनकी पदोन्नति वर्ष 2014 में होनी थी, परंतु उच्च कार्यालय द्वारा विभागीय प्रक्रिया नहीं की गई, उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 तक के समस्त व्याख्याता पदोन्नति हेतु 5 वर्ष की पात्रता पूर्ण कर चुके हैं, अतः पदोन्नति के दायरे मे 2018 तक के व्याख्याताओं को शामिल किया जाए।


उच्च कार्यालय से वर्ष 2023 में 5 वर्ष सेवा अवधि पूर्ण व्याख्याताओं की गोपनीय चरित्रवाली, अचल संपत्ति विवरण तथा आवश्यक प्रपत्र संस्था प्रमुख के हस्ताक्षर युक्त मंगाया गया था, जो कि पूर्व में ही संस्था प्रमुखों द्वारा विकासखंड कार्यालयों में जमा किया जा चुके हैं, अतः व्याख्याताओं से पुनः गोपनीय चरित्रवाली, अचल संपत्ति विवरण एवम प्रपत्र ना मंगाया जाए।चूंकि वरिष्ठता सूची 1-4-2020 के बाद अपडेट नहीं हुई है, केवल आगामी वर्षों के अप्रैल माह मे पूर्व स्थिति पर ही पुनः जारी की गई है, है, अतः पदोन्नति सूची के साथ 800 पदों की प्रतीक्षा सूची: भी अनिवार्य रूप से जारी की जाए, ताकि इस अवधि में मृत व सेवा निवृत व्याख्याताओं के नाम पदोन्नति सूची में होने पर पीछे छूट रहे व्याख्याता पदोन्नति पा सकें, अन्यथा ये पद पुनः रिक्त रह जायेंगे और ये व्याख्याता आगामी पदोन्नति तक के लिए छूट जायेंगे। पदोन्नति हेतु रिक्त पदों में आत्मानंद स्कूलों के प्रतिनियुक्ति से भरे प्राचार्य पदों को भी शामिल किया जाए क्योंकि इन स्कूलों में प्रभारी प्राचार्य के रूप में कनिष्ठ व्याख्याताओं को प्राचार्य प्रभार दे दिया गया है जबकि उनकी जगह वरिष्ठ अनुभवी और पूर्ण कालिक प्राचार्य नियुक्त किया जाना था। समस्त रिक्त पदों पर पदोन्नति की मांग इसलिए भी की जा रही है कि कार्यरत व्याख्याताओं में से बहुत बड़ी संख्या में व्याख्याताओं की सेवा अवधि 1 वर्ष या कुछ माह ही शेष रह गई है, अतः शासन द्वारा पूर्व वर्षों (2014 से) में डी पी सी ना किए ए जाने के कारण पदोन्नति ना हो पाने का उन्हे नुकसान ना हो। इसी के साथ नियमित व्याख्याता संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप झा ने प्रदेश के आत्मानंद हिंदी माध्यम शालाओं को पुनः उनके पूर्व स्वरूप में करने की मांग रखी। नियमित व्याख्याता संघ ने अवगत कराया कि आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना अंतर्गत केवल बहुत ही कम विद्यार्थी संख्या की शालाओं को अंग्रेजी माध्यम किया जाना चाहिए था, परंतु प्रदेश में अधिक विद्यार्थी संख्या वाले हिंदी माध्यम स्कूलों को भी आत्मानंद स्कूल में परिवर्तित कर दिया गया, स्कूल का माध्यम हिन्दी ही रहा केवल उसका नाम आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय हो गया, परंतु इससे शिक्षा जगत और शिक्षकों को निम्न नुकसान हुऐ सुदूर क्षेत्र के स्कूल को अंग्रेजी माध्यम करने के लिए चलते हुए हिंदी माध्यम के स्कूल को बंद करना पड़ा, तथा विद्यार्थियों को अन्य दूर के शाला में प्रवेश लेना पड़ा, साथ ही पदस्थ शिक्षकों को भी प्रतिनियुक्ति लेना पड़ा, या अपना स्थानांतरण अन्यत्र कराना पड़ा।शिक्षकों के मूल पद/पद संख्या को समाप्त कर सभी पद प्रतिनियुक्ति के पद बना दिए गए हैं।प्रतिनियुक्ति पद पर सेवा के अंतिम वर्ष में पेंशन संबंधी व्यवस्था हेतु अन्य स्कूल में स्थानांतरण कर दिया जाता है, जो कि अनुचित है।
आत्मानंद हिंदी माध्यम स्कूलों से डी डी ओ को हटा दिया गया, जिससे वेतन आहरण कलेक्टर द्वारा कर दिया गयाहै, जो कि केवल संविदा नियुक्ति, अस्थाई नियुक्ति के लिए ही होना चाहिए।जी पी इफ, जी आई एस जमा आदि सीधे विकलित ना होकर चालान से जमा किया जा रहा है, जिससे भविष्य में कोश एवम लेखा में समायोजन में दिक्कत होगी।प्रदेश के कुल व्याख्याता पद संख्या कम हुई, जिससे निचले वर्ग को पदोन्नति में कमी हो जायेगी।
व्याख्याताओं के लिए उपलब्ध प्राचार्य पद संख्या को कम कर दिया जायेगा,।
स्कूल में प्राचार्य से लेकर व्याख्याता एवम अन्य कर्मी भी प्रतिनियुक्ति पर हो गए हैं, जबकि सभी वर्षों से स्थाई मूल पद पर थे, साथ ही विभाग, कार्य, तथा कार्य स्थल भी नहीं बदला। नियमित व्याख्याता संघ आपसे मांग करता है कि सभी आत्मानंद हिंदी माध्यम शालाओं को उनके पूर्व के गौरवशाली नाम दिए जाएं।
आत्मानंद हिंदी माध्यम शालाओं को आत्मानंद योजना से पृथक किया जाए साथ ही उन शालाओं में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ शिक्षकों को उन्ही शालाओं में प्रतिनियुक्ति समाप्त कर उनके मूल पद पर पदस्थ किया जाये।

Akhilesh Namdeo

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