टूट रहा है छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारियों का धैर्य,केंद्रीय कर्मचारी के समान महंगाई भत्ता की घोषणा अभी तक नहीं हुई छत्तीसगढ़ में

महंगाई भत्ता के मामले में केंद्र से 8% पीछे चल रहे हैं छत्तीसगढ़ राज्य के अधिकारी कर्मचारी
अखिलेश नामदेव रायपुर छत्तीसगढ़
केंद्र सरकार के कर्मचारियों से महंगाई भत्ता के मामले में 8% पीछे चल रहे छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारियों का धैर्य टूट सा रहा है जहां एक और केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता मोदी सरकार ने चार प्रतिशत और बढ़ा दिया है वहीं पहले ही चार प्रतिशत पीछे चल रहे छत्तीसगढ़ राज्य के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता असंतोष बढ़ रहा है ऐसे में अब कर्मचारियों अधिकारियों के बीच तरह-तरह की चर्चा होने लगी है।
छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारियों के बीच में इन दोनों महंगाई भत्ता को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है। जहां एक और देश के विभिन्न राज्य अपने-अपने अधिकारी कर्मचारियों को केंद्र के समान महंगाई भत्ता स्वीकृत कर रहे हैं वही छत्तीसगढ़ में अधिकारी कर्मचारी सुबह शाम सिर्फ महंगाई भत्ता स्वीकृत होने की राह तक रहे हैं तथा अब उनका धैर्य जैसे टूट रहा है और कर्मचारियों अधिकारियों के बीच सरकार विरोधी बातें भी होने लगी है। कर्मचारी अधिकारी संघ से जुड़े कर्मचारी नेताओं का अब यह तर्क है कि सरकार किसी की भी हो सट्टा का स्वभाव एक जैसा होता है। छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों अधिकारियों की नीयती ही यही है कि उन्हें अपने ही महंगाई भत्ते के लिए सरकार के खिलाफ आंदोलन करना पड़ता है। दरअसल महंगाई भत्ते के मामले में छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारियों का अनुभव काफी बुरा है। पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारियों को केंद्र के समान महंगाई भत्ता देने में काफी रुलाया गया था तथा छत्तीसगढ़ में अधिकारी कर्मचारियों के दो दो बड़े अलग-अलग संगठन जिसमें छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फैडरेशन एवं छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी महासंघ के अलग-अलग आंदोलन करने के बावजूद भी तत्कालीन छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने अधिकारी कर्मचारियों को केंद्र के समान महंगाई भत्ता नहीं दिया था जिसके बाद अधिकारी कर्मचारियों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर मंत्रालय इन कर्मचारियों अधिकारियों की मदद से भूपेश सरकार के खिलाफ महंगाई भत्ता के लिए आंदोलन करने की रणनीति बनाई थी जिसके दबाव में भूपेश सरकार में छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारियों को केंद्र के समान महंगाई भत्ता स्वीकृत तो कर दिया था परंतु तब तक अधिकारी कर्मचारियों के बीच में इतना रायता फैल चुका था कि इस असंतोष के कारण अधिकारी कर्मचारियों के मन में छत्तीसगढ़ की तत्कालीन भूपेश सरकार के प्रति विद्रोह जैसी भावना पैदा हो गई थी जिसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में भूपेश सरकार को सत्ता से हाथ धोकर उठाना पड़ा था। छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चा के आंदोलन को ही देखते हुए छत्तीसगढ़ में विपक्ष की भाजपा ने अधिकारी कर्मचारी को आश्वासन दिया था कि जब उनकी सरकार आएगी तो मोदी की गारंटी के तहत उन्हें केंद्र के समान समय-समय पर महंगाई भत्ता दिया जाएगा। इस बात को छत्तीसगढ़ के चुनावी घोषणा पत्र में भी भाजपा ने प्रमुखता से रखा था।

भूपेश सरकार के खिलाफ छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारियों का असंतोष का सीधा लाभ भाजपा को मिला और अब छत्तीसगढ़ में विष्णु देव सायके नेतृत्व में भाजपा की सरकार है परंतु परिस्थितियों चाहे जो भी हो पता नहीं क्यों छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारियों को केंद्र के समान महंगाई भत्ता नहीं दे रही है जबकि उत्तर प्रदेश सहित देश के अन्य राज्य केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ता के बढ़ने के बाद अपने-अपने राज्य के कर्मचारियों को केंद्र के समान महंगाई भत्ता दे रहे हैं। इधर पहले ही केंद्र से चार प्रतिशत पीछे चल रहे छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारी का धैर्य अब टूटता जा रहा है क्योंकि उन्हें ऐसा लग रहा है कि पता नहीं कब आचार संहिता लग जाए तथा उन्हें केंद्र के समान महंगाई भत्ता से वंचित होना पड़े। इधर बीते दिनों केंद्रीय सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए चार प्रतिशत अतिरिक्त महंगाई भत्ता की फिर घोषणा कर दी है जिसके बाद भी छत्तीसगढ़ में अधिकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता स्वीकृत नहीं हुआ है ऐसे में कर्मचारियों अधिकारियों तथा पेंशनरों के बीच तरह-तरह की चर्चाएं चल रही है।


