अयोध्या में श्री राम मंदिर में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव से भारत के गांव गांव सहित पूरे विश्व में खुशी का माहौल
मन रूपी दर्पण देखने से आत्म अवलोकन होता है-बाल विदुषी विजया उरमालिया
पेंड्रा के ग्राम बचरवार में चल रहा है श्री राम कथा यज्ञ का आयोजन
मंथरा रूपी मंद मति आज भी है समाज में विद्यमान जिन्हें राम के राज्याभिषेक पर हो रही तकलीफ

अखिलेश नामदेव
दर्पण देखने से स्वयं की छवि दिखाई देती है परंतु मन रूपी दर्पण देखने से आत्म अवलोकन का अवसर मिलता है। कई बार दर्पण देखकर मन में अहंकार भी होने लगता है इससे कोई भी बच नहीं पाता और जो अहंकार से बच पाता है उसी का जीवन सार्थक होता है।
उक्त बातें बाल विदुषी विजया उरमालिया ने पेंड्रा के ग्राम बचरवार में आयोजित श्री राम कथा मानस यज्ञ के छठवें दिन 18 जनवरी गुरुवार को श्रद्धालुओं के बीच कहे। उन्होंने आगे कहा कि जब आपका यस फैलने लगता है तब अहंकार आने लगता है। कोई अहंकार से बच भी नहीं सकता परंतु जरूरी है कि मन में अहंकार आने के साथ ही मन रूपी दर्पण में अपने को देख लेना चाहिए निहार लेना चाहिए वास्तव में मन रूपी दर्पण से अपना आत्मावलोकन होता है।

यश की वृद्धि होने पर थोड़ा ठहराव लाकर आत्मावलोकन करना जरूरी है।धनुष यज्ञ और सीता स्वयंवर के बाद जब चारों भाई श्री राम श्री लक्ष्मण श्री श्री भरत एवं श्री शत्रुघन विवाह के बाद अयोध्या पहुंचे तब अयोध्या में खुशहाली का माहौल था। उन्होंने मानस की चौपाई”जब ते राम ब्याह घर आए, नित नव मंगल मोद मनाए”का उद्धहरण किया और बताया कि अयोध्या के राजा दशरथ जब दर्पण देखा तब उन्हें अपना मुकुट टेढ़ा दिखा और टेढ़े मुकुट में से कान के पास निकले एक सफेद बाल देखकर महसूस हुआ कि अब उन्हें अपना राजपाठ युवराज राम को सौंप देना चाहिए। उन्होंने अपने विचार गुरु वशिष्ठ को व्यक्त किए तब वशिष्ठ ने कहा कि श्री राम का राज्याभिषेक एक अत्यंत सुंदर निर्णय है राजा दशरथ ने कहा कि मैं कल ही युवराज राम को राजपाठ सौंप दूंगा। राजा दशरथ का कल पर छोड़ा निर्णय उनके काल का कारण बना। यदि राज्याभिषेक के इस कार्य को वे तुरंत कर देते तो उन्हें यह शुभ अवसर देखने का अवसर मिलता ।


अयोध्या वासियों के लिए राज्याभिषेक देखने का अवसर 14 वर्ष बाद आया परंतु राजा दशरथ के लिए राज्याभिषेक देखने का अवसर कभी नहीं आया क्योंकि उन्होंने शुभ कार्य को कल के लिए छोड़ कर रखा था। इसलिए शुभ कार्य को करने के लिए तिथि मुहूर्त नक्षत्र के चक्कर में ना फंसकर तुरंत करना चाहिए। बाल विदेशी विजया उर्मलिया ने कहा कि जब जीवन में श्रेष्ठ संकल्प आए तो उसे बिना देरी किए तुरंत मूर्त रूप देना चाहिए। अभी भी लोग भगवान श्री राम के राज अभिषेक पर टीका टिप्पणी कर रहे हैं जबकि कितने ही लोगों के बलिदान और अथक परिश्रम के बाद यह शुभ घड़ी आई है और इस शुभ घड़ी में हम सबको प्रसन्न होना चाहिए। बाल विदुषी ने कहा कि मंदिर में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद अब और जिम्मेदारी बढ़ गई है वह जिम्मेदारी है रामराज लाने की। जिस प्रकार भगवान श्री राम वर्ण जाति में भेद नहीं करते थे, सबको गले लगाते थे तथा एकता स्थापित करते थे। श्री राम जी की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यही वातावरण बना चाहिए। बाल विदुषी विजया उरमालिया ने श्री राम वन गमन प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि किस तरह मंथरा की मंदमति के कारण से अयोध्या में संकट आया। उन्होंने कहा कि इस संकट को लाने में देवताओं ने भी अपनी भूमिका निभाई क्योंकि भगवान राम के वन जाने में उन्हें अपने स्वार्थ की पूर्ति होती दिखाई दे रही थी। रावण का अंत जो होना था।

उन्होंने कहा कि देवताओं ने माता सरस्वती को इसके लिए तैयार किया और मंद मति मंथरा ने माता कैकेयी का मन बदलने का कार्य किया भेद पैदा किया। अपना बदला पूरा किया। उन्होंने कहा कि आज भी समझ में ऐसे मंद मति के लोग हैं इनसे सावधान रहना चाहिए। उन्होंने श्री राम वन गमन प्रसंग का विस्तार पूर्वक वर्णन किया तथा वर्तमान में अयोध्या में हो रहे भगवान श्री राम के राज्याभिषेक पर सभी को एक मत होकर इस उत्सव में शामिल होने का आह्वान किया। पेंड्रा के ग्राम बछरवार स्थित देवी चौरा मेंबीते 6 दिनों से चल रही श्री राम कथा मानस यज्ञ में ग्रामीणों की उत्साह जनक भागीदारी है तथा लोग श्रद्धा पूर्वक कथा का रसपान कर रहे हैं। छठवें दिन की कथा के समापन पर पंडित कृष्ण दत्त उरमालिया ने वर्ष 1990 के घटनाक्रम पर भी संक्षिप्त प्रकाश डाला कथा भगवान श्री राम की आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। श्री राम कथा मानस यज्ञ 21 जनवरी तक आयोजित होगा।
