बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में उपमुख्यमंत्री अरुण साव, धरमलाल कौशिक, अमर अग्रवाल, पुन्नूलाल मोहले, धर्मजीत सिंह सहित सुशांत शुक्ला की प्रतिष्ठा है दांव पर

भाजपा के अभेदगढ़ बिलासपुर लोकसभा में भाजपा के तोखन साहू एवं कांग्रेस के देवेंद्र यादव के बीच में है दिलचस्प मुकाबला

भाजपा की राह आसान पर कह पाना मुश्किल ऊंट किस करवट बैठेगा

लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा एवं कांग्रेस में जीत हार का अंतर 12% था

कांग्रेस के युवा प्रत्याशी देवेंद्र यादव भाजपा के तोखन साहू को दे रहे हैं कड़ी टक्कर पर भीतरघात का है डर

अखिलेश नामदेव  

बीते 28 साल से भाजपा के अभेदगढ़ कहे जाने वाले बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के तोखन साहू एवं कांग्रेस के देवेंद्र यादव के बीच मुकाबला दिलचस्प हो चला है। कहने को तो यहां भाजपा से तोखन साहू चुनाव लड़ रहे हैं परंतु सही मायने में बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में
छत्तीसगढ़ शासन के उपमुख्यमंत्री, पूर्व सांसद तथा भारतीय जनता पार्टी के छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष रह चुके अरुण साव विधायक लोरमी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ शासन में पूर्व मंत्री रहे धरमलाल कौशिक विधायक बिल्हा, छत्तीसगढ़ शासन में तीन बार मंत्री रहे अमर अग्रवाल विधायक बिलासपुर, पूर्व सांसद एवं मंत्री पुन्नूलाल मोहले विधायक मुंगेली, धर्मजीत सिंह विधायक तखतपुर सहित सुशांत शुक्ला विधायक बेलतरा की राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।

तीसरे चरण के चुनाव 7 मई को बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के मतदाता भी अपना सांसद चुनने जा रहे हैं जिसके लिए 5 मई को चुनाव प्रचार थम चुका है। मध्य भारत की प्रमुख बिलासपुर लोकसभा सीट पर वर्तमान में भाजपा के तोखन साहू, कांग्रेस के देवेंद्र यादव सहित 37 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है जिसमें सीधा मुकाबला भाजपा एवं कांग्रेस के बीच में ही है। एसईसीएल, रेल जोन मुख्यालय , हाई कोर्ट छत्तीसगढ़ एवं बिलासपुर संभाग मुख्यालय की लोकसभा सीट बिलासपुर की स्थापना वर्ष 1952 में हुई थी। इस सीट में वर्ष 1996 से भारतीय जनता पार्टी के सांसद जीतेते रहे हैं जबकि वर्ष 1996 के पूर्व यहां कांग्रेस का कब्जा रहा है। सिर्फ एक बार जनता पार्टी के निरंजन केशरवानी यहां से सांसद बने थे उनके अलावा जो कांग्रेसी सांसद यहां निर्वाचित हुए उनमें रेशम लाल जांगड़े, चंद्रभान सिंह, सरदार अमर सिंह सहगल रामगोपाल तिवारी गोदिल प्रसाद अनुरागी एवं खेलन राम जांगड़े रहे। 2009 के पूर्व बिलासपुर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट थी तथा वर्ष 2009 में परिसीमन के बाद बिलासपुर लोकसभा सामान्य सीट घोषित की गई जिसमें भाजपा के हिंदूवादी नेता कुंवर दिलीप सिंह जूदेव सांसद निर्वाचित हुए थे ।वर्ष 2014 में बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के ही लखन लाल साहू तथा वर्ष 2019 में भाजपा के अरुण साव सांसद बने थे वहीं इसी बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के पुन्नू लाल मोहले वर्ष 1996 से 2004 तक तीन बार सांसद बने। इस प्रकार 1996 से बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र अब तक भाजपा का अभेदगढ़ बना हुआ है।

लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा और कांग्रेस में 12% था जीत और हार का अंतर

पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में बिलासपुर के सांसद अरुण साव थे जिन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव को चुनाव हराकर बिलासपुर संसदीय सीट हासिल की थी। 2019 के चुनाव में अरुण साव को 52.47 प्रतिशत यानी लगभग 634559 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव को 40.75 प्रतिशत वोट यानी 492796 वोट मिले थे। इस तरह बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा एवं कांग्रेस के बीच हार जीत का अंतर 12% वोट का था जबकि मतदान का प्रतिशत 67 प्रतिशत था। वर्तमान में बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या लगभग 18 ,11,606 है जिसमें से महिला मतदाताओं की संख्या 8,89,970 है वहीं पुरूष मतदाताओं की संख्या 9,21,521 है।

भाजपा प्रत्याशी तोखन साहू की जीत और हार में दिग्गज भाजपा नेताओं की प्रतिष्ठा है दांव पर

लोकसभा चुनाव वर्ष 2024 में बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने अपना उम्मीदवार भाजपा प्रदेश किसान मोर्चा के अध्यक्ष तोखन साहू को बनाया है। लगभग 55 वर्षीय तोखन साहू वर्ष 2013 में लोरमी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। उनकी छवि सीधे-साधे किसान परिवार की है वह कभी किसी मुद्दे पर बहुत अधिक मुखर नहीं रहे हैं परंतु उसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें उनकी सीधी शादी छवि एवं जातिगत समीकरणों के आधार पर बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया है। आठ विधानसभा वाले बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के विधायक हैं ऐसे में स्वाभाविक रूप से यह माना जा रहा है कि भाजपा प्रत्याशी तोखन साहू का पलड़ा भारी है तथा उनके जीत की राह आसान है। दरअसल इस चुनाव में सिर्फ भाजपा प्रत्याशी तोखन साहू की प्रतिष्ठा दांव पर नहीं है सही मायने में असल प्रतिष्ठा तो दांव पर लगी है छत्तीसगढ़ शासन में उपमुख्यमंत्री अरुण साव विधायक लोरमी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक विधायक बिल्हा, छत्तीसगढ़ शासन में कई बार मंत्री रहे अमर अग्रवाल विधायक बिलासपुर, तीन बार सांसद रहे एवं कई बार मंत्री रहे पुन्नूलाल मोहले विधायक मुंगेली एवं कांग्रेस तथा छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस से विधायक रह चुके तथा अब भाजपा से तखतपुर के विधायक धर्मजीत सिंह सहित नये नवेले युवा विधायक सुशांत शुक्ला की जिन्होंने अभी पिछले विधानसभा चुनाव 2023 में जीत हासिल की है तथा लोकसभा चुनाव वर्ष 2024 में उन्हें अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र से अपनी काबिलियत सिद्ध करना है।

इन धुरंधर नेताओं के परफॉर्मेंस के आधार पर ही आने वाले समय में उनका राजनीतिक भविष्य का निर्धारण होना है। ऐसे में ये सभी धुरंधर भाजपा नेता बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी तोखन साहू को जीत दिलाने अपने अपने कार्यकर्ताओं एवं दलबल के साथ अथक मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में जब मोदी लहर चल रही है तब स्वाभाविक रूप से भाजपा प्रत्याशी तोखन साहू के सांसद बनने की राह आसान दिख रही है।

कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र यादव दे रहे हैं कड़ी टक्कर पर भीतरघात का भी है डर

बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी 34 वर्षीय देवेंद्र यादव के बिलासपुर से सांसद बनने राह उतनी आसान दिखाई नहीं देती जबकि देवेंद्र यादव के पास जोश, होश एवं जुनून के साथ दिमाग भी है। 25 वर्ष की उम्र में भिलाई नगर निगम के महापौर रह चुके देवेंद्र यादव भिलाई से विधायक भी हैं परंतु उन्हें बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के तजुर्बेकार कांग्रेस नेताओं का दिल खोल कर समर्थन प्राप्त नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि देवेंद्र यादव कोटा के कांग्रेस विधायक अटल श्रीवास्तव के पसंद एवं प्रस्ताव पर भूपेश बघेल की मर्जी से बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में भाग्य आजमा रहे हैं परंतु पर्याप्त योग्यता धारी होने के बावजूद खास बिलासपुर के ही धुरंधर नेताओं का उस तरह का साथ उन्हें नहीं मिल रहा है जैसा मिलना चाहिए। माना तो यह भी जा रहा है कि बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से बाहर का उम्मीदवार होने के कारण उन्हें उन्हें बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में भीतर घात का भी सामना करना पड़ेगा।

हालांकि स्वयं देवेंद्र यादव बिलासपुर सहित सहित बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के हर उस कांग्रेस नेता को साथ में लेने की कोशिश किए हैं जो मोदी लहर में भी कांग्रेस के हित की बात कर रहा है। बीते दिनों राहुल गांधी की सभा के बाद बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेसियों में उत्साह का भी संचार हुआ है खुद कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र यादव भी उत्साह से लबरेज है । सहज सरल होने के कारण देवेंद्र यादव को कांग्रेसी नेताओं सहित अनेक वर्गों का समर्थन भी मिल रहा है। बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र का पिछड़ा वर्ग समाज एवं कांग्रेस का युवा उन्हें सपोर्ट भी कर रहा है परंतु उसके बावजूद अलग-अलग राजनीतिक एवं सामाजिक तथा गुटीय कारणों से उन्हें प्रतिकूलताओं का सामना करना पड़ रहा है।

बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के आठ विधानसभा क्षेत्र में से दो विधानसभा क्षेत्र क्रमशः कोटा एवं मस्तूरी में कांग्रेस के विधायक होने के कारण उन्हें चुनाव कैंपेनिंग में आसानी भी हो रही है। बिलासपुर शहर में कांग्रेस के महापौर रामशरण यादव है इसका भी लाभ उन्हें चुनाव कैंपेनिंग में मिल रहा है।इसके बावजूद भाजपा एवं कांग्रेस प्रत्याशियों में मुकाबला इतना दिलचस्प है कि कह पाना मुश्किल है कि ऊंट किस करवट बैठेगा।

Akhilesh Namdeo

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