अटैचमेंट कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है जिले का कामकाज
वित्त विभाग से स्वीकृति नहीं मिलने के कारण स्वीकृत सेटअप के अनुरूप गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के कार्यालय में नहीं हो पाई भर्ती
अटैचमेंट से ब्लॉक एवं तहसील स्तर के कार्यालयों तथास्कूलों का कामकाज हुआ प्रभावित

गौरेला पेंड्रा मरवाही
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले का गठन हुए 4 साल हो चुके हैं परंतु कलेक्टर कार्यालय सहित जिले के सभी जिला कार्यालय में सेटअप के अनुरूप भर्ती नहीं होने से जिले के कामकाज पर असर साफ दिख रहा है। स्थिति यह है कि कलेक्टर कार्यालय सहित जिले के अधिकांश जिला कार्यालय शिक्षा विभाग के अटैचमेंट के कर्मचारियों से कम चलाया जा रहा है जिससे ब्लॉक, तहसील एवं स्कूलों का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जिला प्रशासन को स्वीकृत सेटअप के अनुरूप भर्ती के लिए वित्त विभाग की स्वीकृति का इंतजार है।
10 फरवरी 2020 को छत्तीसगढ़ की तत्कालीन कांग्रेसी भूपेश सरकार ने गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले का गठन किया था ।जिले के गठन के बाद गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में कलेक्टर सहित अन्य विभागों के कार्यालय खोले गए तथा कर्मचारियों का सेटअप स्वीकृत किया गया है परंतु इन कार्यालयों मे सेटअप के अनुरूप भर्ती नहीं होने के कारण कलेक्टर कार्यालय सहित जिले के सभी प्रमुख विभागों में उधार के कर्मचारियों से कम चलाया जा रहा है। यह उधार के ज्यादातर कर्मचारी शिक्षा विभाग के हैं जिन्हें स्कूलों से से कलेक्टर कार्यालय सहित अन्य जिला कार्यालय में अटैच किया गया है। कुछ कर्मचारियों को विभाग ने आवश्यकता के अनुसार अटैच किया है परंतु कुछ ऐसे भी कर्मचारी हैं जो जिला कार्यालय में मलाई काटने की अपेक्षा रख कर उच्च स्तरीय राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करके जिला कार्यालय में अटैच है इसका बुरा प्रभाव यह पड़ रहा है कि जिन स्कूलों एवं कार्यायलयों से कर्मचारियों का जिला कार्यालय में अटैच किया गया है उन स्कूलों एवं कार्यालय में कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है। खासकर जिले के हायर सेकेंडरी स्कूलों की स्थिति यह है कि वहां के कर्मचारियों के जिला कार्यालय में अटैच रहने के कारण शिक्षक पढ़ाई छोड़कर डाक बनाने में लगे रहते हैं।

शासन की लोक कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए राज्य से रोजाना नए-नए निर्देश प्रसारित होते रहते हैं तथा उन्हें तत्काल बनाकर भेजना होता है ऐसे में उन स्कूलों की दिक्कतें ज्यादा बढ़ गई है। अभी चले बजट सत्र के दौरान जब बच्चों की पढ़ाई का समय था तब स्कूलों में शिक्षक पढ़ाना छोड़ विधानसभा के प्रश्नों को जवाब बनाने में लगे रहते थे क्योंकि रोजाना तत्काल प्रश्नों का जवाब भेजना पड़ता था। जहां के लिपिक कर्मचारी जिला कार्यालय में अटैच हैं। लिपिक कर्मचारी के स्कूलों में ना रहने के कारण शिक्षक संघ वर्ग की सेवा पुस्तिका एवं जीपीएफ पासबुक जैसे महत्वपूर्ण रिकॉर्ड का संधारण नहीं हो पा रहा है अनेक विद्यालयों में तो शिक्षक ही वेतन पत्रक तैयार कर ट्रेजरी ले जा रहे हैं। जिले का सहायक आयुक्त कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, कलेक्टर कार्यालय, उद्यान कृषि सहित लगभग सभी 52 जिला कार्यालय अटैचमेंट के भरोसे चल रहे हैं जिन्हें आवश्यकता अनुसार अटैक किया है परंतु इन्हीं में से कुछ ऐसे लिपि कर्मचारी भी है जो जिला स्तर के कार्यालय की टेबल में बैठकर लाभ कमाने के उद्देश्य से कांग्रेस शासन में विधायकों से बकायदा अनुशंसा पत्र लिखवाकर अपने आप को अटैच करा रखा है।
जिले में अटैचमेंट सिर्फ शिक्षा विभाग के लिपिक कर्मचारियों का नहीं हुआ है अन्य विभाग भी से अछूते नहीं है खासकर तहसील, जनपद एवं एसडीएम कार्यालय भी अटैचमेंट के कर्मचारियों से चल रहे हैं। जितनी बड़ी तादाद में लिपिक एवं अन्य वर्ग के कर्मचारियों का अटैचमेंट हुआ है अगर उनकी संख्या की गणना की जाए तो चौंकाने वाले आंकड़े है जो यह बताते हैं कि जिले का कामकाज किस तरह उधार के कर्मचारियों से चल रहा है।

स्वीकृत सेटअप के अनुरूप भर्ती करने से ही हो सकता है समस्या का समाधान
उल्लेखनीय है कि जिला बनने के बाद गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में जिस तरह से बड़ी तादाद में लिपिक कर्मचारी के अटैचमेंट हुए हैं उसे स्वाभाविक रूप से ब्लॉक एवं तहसील स्तर के कार्यालय के कामकाज पर बुरा असर पड़ा है तथा वहां पेंडिंग बढ़ गई है। ऐसे में अब इस समस्या के समाधान के लिए जरूरी है कि जिला कलेक्टर कार्यालय सहित अन्य सभी जिला कार्यालय में स्वीकृत सेट के अनुरूप भर्ती की जाए ताकि जनता की समस्याओं का समाधान हो सके और जिला बनने का लाभ मिले।
